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*17/02/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*के.वी. कुप्पम*
गुडियातम-वैलुर रोड
☎9003789485
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*महावीर भवन*
*श्रीरंगपटना* (कर्नाटक)
☎9448385582
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*U Ramesh Chand*
24 Rajaji street *Tindivanam*
☎8107033307
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*श्री सुसवाणी माता मंदिर भवन* *विलिपुरम*
☎9566296874
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के*
*सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*रंगदोई स्कूल मे*
भुवनेश्वर -विशाखापट्नम् रोड
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Sree Agastiya Temple*
No ER -391/91
Pudiyagoan
Tirupunitra(केरला) ☎9672039432,7907269421
9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*Tumkur* (कर्नाटक)
हिरियुर - बैगलौर हाईवे
☎7821050720,9558651374
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*मिनुर गाँव से 11 km का विहार करके अंबुर से २km आगे सिंधी वेयर हाऊस पधारेगे* (तमिलनाडु)
बैगलोर - चेन्नेइ हाईवे
☎8890788494
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*जयपाला से 12.5 km का विहार करके गोरीपटना पधारेगे*
विशाखापट्नम् - चेन्नैइ रोड
☎7297958479,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 6* का प्रवास
*अर्हम भवन विजयनगर से विहार करके जीतमल जी भंडारी के निवास स्थान पधारेगे*
*रेडियन केरल अपार्टमेन्ट नायदहल्ली सर्कल मेट्रो पिलर नम्बर 431 मैसुर रोड बैगलौर* (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमल प्रज्ञा जी ठाणा 19* का प्रवास
*पलासा स्कूल से 12.5 कि मी. विहार कर तरूकल कोटा आदित्या ग्रेनाईट फैक्ट्री मे पधारेंगे*
भुवनेश्वर- विशाखापट्नम् रोड
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*North town*
*Chennai* (तमिलनाडु)
☎8428020772,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*जैन मन्दिर*
*आर्टीज*
कोलम से कायाकुलम रोड
☎8875762662
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*पदाटुम्बलं से 12 km का विहार करके मलेपलि पधरेंगें*
बेलारी- रायचुर रोड
☎9845123211
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*संघ संवाद+संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*लादुलाल जी दक के निवास स्थान पर*
*के आर पेट* (कर्नाटक)
हासन - मैसुर रोड
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*पारसमल जी गादिया*
No 18 Kamal Kunj
1st main 1st cross
Sri Puram Extn
*Seshadripuram* Bangalore (कर्नाटक)
☎7798028703
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प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 दक्षिण हावड़ा - प्रतिक्रमण जागरूकता कार्यशाला का आयोजन
👉 अड़ाजन, सूरत - प्रतिक्रमण जागरूक कार्यशाला
👉 राजमहेन्द्रवरम - नये युग में बढ़ाऐ कदम कार्यशाला
👉 गांधीनगर (बेंगलौर) - प्रतिक्रमण जागरूकता कार्यशाला का आयोजन
👉 सिंधानूर - ब्रह्मा कुमारी संस्था द्वारा आयोजित सर्व धर्म सम्मेलन में तेरापंथ महिला मंडल सम्मलित
👉 सुजानगढ - निर्माण-एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर कार्यक्रम
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻
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Update
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 260* 📝
*जिनागम सिन्धु आचार्य जिनभद्रगणी*
*साहित्य*
आचार्य जिनभद्रगणी के 9 ग्रंथों की सूचना मिलती है—
*(1)* विशेषावश्यक भाष्य
*(2)* विशेषावश्यक भाष्य स्वोपज्ञ वृत्ति (अपूर्ण)
*(3)* वृहत्-संग्रहिणी
*(4)* वृहत् क्षेत्र समास
*(5)* विशेषणवती
*(6)* जीतकल्प
*(7)* जीतकल्प भाष्य
*(8)* अनुयोगद्वार चूर्णि
*(9)* ध्यान शतक।
इन ग्रंथों में अनुयोगद्वार चूर्णि गद्यात्मक है, शेष रचनाएं पद्यात्मक हैं। विशेषावश्यक भाष्य स्वोपज्ञ वृत्ति संस्कृत में है, अवशिष्ट रचनाएं प्राकृत में हैं। ध्यान शतक के कर्त्ता जिनभद्रगणी को मानने में विद्वान् संदिग्ध हैं।
जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण का साहित्यिक क्षेत्र में भाष्य साहित्य को विशेष अनुदान है। उनके दो भाष्य उपलब्ध हैं। विशेषावश्यक भाष्य और जीतकल्प भाष्य।
*विशेषावश्यक भाष्य* आवश्यक सूत्र पर तीन भाष्य हैं। उनमें विशेषावश्यक भाष्य आवश्यक सूत्र के प्रथम अध्ययन सामायिक सूत्र पर है। इसमें 3630 गाथाएं है। जिन प्रवचन को प्रकाशित करने के लिए यह दीपक के समान माना गया है।
नय, निक्षेप, प्रमाण, स्याद्वाद आदि दार्शनिक विषयों पर गूढ़ परिचर्चा, कर्मशास्त्र का सूक्ष्म प्रतिपादन, ज्ञानपंचक की भेद-प्रभेदों के साथ व्याख्या, शब्दशास्त्र का विस्तार से विवेचन तथा औदारिक आदि आठ प्रकार की वर्गणाओं के संबंध में नए तथ्य इस ग्रंथ में हैं। जैन दर्शन के साथ दर्शनेतर सिद्धांतों का तुलनात्मक रूप भी इस कृति में प्रस्तुत है। इसमें गणधरवाद का सर्वांगपूर्ण विवेचन है। सिद्धों की विभिन्न अवस्थाओं का हृदयग्राही वर्णन है। सात निह्नवों के साथ आठवें निह्नव 'बोटिक' का उल्लेख है। 'बोटिक' निह्नव को दिगंबर बताया गया है।
आचार्य सिद्धसेन ने केवलज्ञान, केवलदर्शन को युगपद् माना है। जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण ने आगमिक मान्यता का आधार देकर ज्ञान, दर्शन के युगपद् सिद्धांत का खंडन किया है।
जिनभद्रगणी का मौलिक चिंतन था। उन्होंने प्रत्येक प्रयोग के साथ अनेकांत और नय को घटित किया। परोक्ष की परिधि में परिगणित इंद्रिय प्रत्यक्ष को संव्यवहार प्रत्यक्ष संज्ञा देने की पहल भी उन्होंने की। ये समग्र बिंदु भाष्य साहित्य में अधिकांशतः हैं। शोध विद्यार्थियों के लिए यह कृति विशेष सहायक है।
इस भाष्य की महत्ता को प्रकट करते हुए अंत में भाष्यकार लिखते हैं– इस सामायिक भाष्य के श्रवण, अध्ययन, मनन से बुद्धि परिमार्जित हो जाती है। शिष्य में शास्त्रानुयोग को ग्रहण करने की क्षमता आती है।
विशालकाय भाष्य साहित्य में आचार्य जिनभद्र के विशेषावश्यक भाष्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह जैन आगमों में बहुविध विषयों का प्रतिनिधि ग्रंथ है। इस ग्रंथ में जिनभद्रगणी की तर्क एवं व्याख्या शक्ति के दर्शन होते हैं।
*आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण द्वारा रचित अन्य साहित्यों* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 84* 📝
*रामचंदजी कोठारी*
*धार्मिक जागरूकता*
रामचंदजी के दो पुत्र थे। माणकचंदजी और पूनमचंदजी। बड़े पुत्र के कोई संतान नहीं थी। पूनमचंदजी के एक पुत्र गोकुलचंदजी थे। परिवार के प्रत्येक सदस्य को धार्मिक संस्कार प्रदान करने में रामचंदजी बड़े सावधान थे। वे उसे अपना प्रथम कर्त्तव्य समझते थे। साधु-साध्वियों की उपासना तथा धर्म चर्चा में उनकी विशेष रुचि रहा करती थी। इन्हीं के आधार पर वे अपनी धार्मिकता में उत्तरोत्तर वृद्धि करते रहे।
*शंका और समाधान*
रामचंदजी के श्रद्धाशील जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब वे शंकाशील बन गए। किसी मुनि ने कोई स्खलना की। रामचंदजी ने उनको टोका तो उन्होंने अपने कार्य को उचित सिद्ध करने का प्रयास किया। कोठारीजी को लगा कि सदोष कार्य को निर्दोष कहने वाले साधु कैसे हो सकते हैं? उन्होंने सभी मुनिजनों को वंदन करना छोड़ दिया। युवाचार्य जय को जब इसका पता चला तो उन्होंने उन्हें पुनः स्थिर करने का निश्चय किया।
संवत् 1907 के शेषकाल में युवाचार्य का जयपुर पदार्पण हुआ। वे रामचंदजी कोठारी से मिले और वंदन व्यवहार छोड़ देने का कारण पूछा। कोठारीजी ने कहा— 'अनेक साधु सदोष आचरण को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। उन्हें वंदन कैसे किया जा सकता है?'
युवाचार्य ने कहा— "भगवती सूत्र में पुलाक निर्ग्रंथ के पांच भेद बताए गए हैं। उनमें एक दर्शन पुलाक है। आवेशवश यदि कोई साधु सदोष कार्य को निर्दोष घोषित करता है तो उसका यह तात्पर्य नहीं कि वह वैसा मानता भी है। आवेश वश की गई घोषणा से वह अपने सम्यक्त्व को निस्सार अवश्य बनाता है, परंतु सम्यक्त्वहीन नहीं हो जाता। सम्यक्त्वहीन होने पर उसे निर्ग्रंथ के भेदों में कैसे गिना जा सकता है? आवेशवश किए गए दोष का प्रायश्चित्त कर लेने पर वह निर्दोष हो जाता है।"
कोठारीजी ने युवाचार्य के उस तर्कपूर्ण कथन के हार्द को समझा और बोले— 'युवाचार्यश्री आप ठीक फरमा रहे हैं। मैं आपके कथन को समझ गया हूं। कठिनाई तो यह है कि मुनि तो आग्रह वश कही गई बात का प्रायश्चित्त कर निर्दोष हो जाते हैं, परंतु उसके मन का दूसरों को क्या पता लगे? वे तो अश्रद्धाशील बनकर उलझ जाते हैं। सबको तो आप जैसे प्रतिबोधक नहीं मिल पाते। अब मेरे मन में कोई उलझन नहीं है। मैं आज से वंदन व्यवहार पुनः प्रारंभ करता हूं। इस प्रकार युवाचार्य के प्रतिबोध दान ने उनको पुनः धर्म मार्ग में सुस्थिर कर दिया। उसके पश्चात देहावसान पर्यंत उनकी धार्मिक जागरूकता यथावत् बनी रही।
*धर्म प्रसारक श्रावक लिछमणदासजी खारड़ के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "हरडाखोल" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - एम.ई. स्कूल, हरडाखोल(सुवर्णपुर जिला)ओड़िशा
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
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