Update
👉 अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा एक आव्हान
♻ *श्रावक श्राविकाओं के नाम*
🔆 *संकल्प पूर्वक स्वीकार करे श्रावक प्रतिक्रमण*
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Update
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*16/02/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*के.वी. कुप्पम*
गुडियातम-वैलुर रोड
☎9003789485
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*महावीर भवन*
*श्रीरंगपटना* (कर्नाटक)
☎9448385582
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*U Ramesh Chand*
24 Rajaji street *Tindivanam*
☎8107033307
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*श्री सुसवाणी माता मंदिर भवन* *विलिपुरम*
☎9566296874
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के*
*सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*कोरलम कोलेज*
भुवनेश्वर -विशाखापट्नम् रोड
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Sree Agastiya Temple*
No ER -391/91
Pudiyagoan
Tirupunitra(केरला) ☎9672039432,7907269421
9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*NALHAL SCHOOL MYE*
(कर्नाटक)
हिरियुर - बैगलौर हाईवे
☎7821050720,9558651374
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*वानियमवाडी* *से 10 km का विहार करके मिनुर गाँव के छत्रम मे पधारेगे* (तमिलनाडु)
वानियमवाड़ी - गुडियातम हाईवे
☎8890788494,9443235611
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*राजमुंदरी* *से 10 km का विहार करके HP पेट्रोल पम्प के सामने जयपाला पधारेगे*
विशाखापट्नम् - चेन्नैइ रोड
☎7297958479,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 6* का प्रवास
*अर्हम भवन विजयनगर बैगलौर*
(कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमल प्रज्ञा जी ठाणा 19* का प्रवास
*मकरजोल से 13 km का विहार करके प्लासा पधारेगे*
भुवनेश्वर- विशाखापट्नम् रोड
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*North town*
*Chennai* (तमिलनाडु)
☎8428020772,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*पांडुगल्लु से 7Km का विहार करके पदातुमलं पधारेंगें*
बेलारी- रायचुर रोड
☎9845123211
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*संघ संवाद+संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*लादुलाल जी दक के निवास स्थान पर*
*के आर पेट* (कर्नाटक)
हासन - मैसुर रोड
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*पारसमल जी गादिया*
No 18 Kamal Kunj
1st main 1st cross
Sri Puram Extn
*Seshadripuram* Bangalore (कर्नाटक)
☎7798028703
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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".
*चातुर्मास घोषणा*
👉 *आचार्य श्री महाश्रमण जी* ने महत्ती कृपा करके *साध्वी श्री जिनरेखा जी ठाणा 5* का सन 2018 का चातुर्मास वाशी में फ़रमाया है।
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
Update
👉 कांटाबाजी - पुज्यवर के प्रवास से पूर्व समणी वृन्द का आगमन
👉 मंडी आदमपुर - मंगल भावना समारोह
👉 रोहिणी (दिल्ली) - आचार्य महाश्रमण फिजियोथैरेपी सैंटर का उद्घाटन
👉 विजयनगर (बेंगलौर) - "भाषण प्रतियोगिता" आयोजित
👉 अहमदाबाद - ज्ञानशाला ज्ञानार्थीयों के लिए पिकनिक का आयोजन
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📚 *बच्चों की मनभावन पत्रिका.....*
🔆 'बच्चों का देश' पत्रिका का प्रकाशन अणुव्रत विश्व भारती द्वारा प्रारम्भ हो गया है।
🔆 बच्चों के लिए यह सर्वोत्तम पत्रिका है। इसके सदस्य अवश्य बनिए।
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*सम्पर्क सूत्र*
*अध्यक्ष, अणुविभा*
*श्री निर्मल जी रांका*
*9414343100*
प्रसारक -🔅 *अणुविभा* 🔅
संप्रसारक - 🌻 *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 259* 📝
*जिनागम सिन्धु आचार्य जिनभद्रगणी*
*भाष्य ग्रंथ*
गतांक से आगे...
*व्यवहार भाष्य* यह 10 उद्देशकों में विभक्त है। इसके प्रारंभ में विस्तृत पीठिका है। निक्षेप पद्धति के आधार पर व्यवहार और व्यवहारी का वर्णन है। पीठीका में व्यवहार को जानने वाले को ही गीतार्थ बताया है। व्यवहार भाष्य में आलोचना, प्रायश्चित्त, गच्छ, पदवी, विहार आदि विषयों का प्रतिपादन है। अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार, अनाचार आदि के आधार पर भिन्न-भिन्न प्रायश्चित्तों का विधान है। व्यवहार भाष्य की 4629 गाथाएं हैं।
*निशीथ भाष्य* जैन आचार संहिता और प्रायश्चित्त विधि का विस्तार से विवेचन निशीथ भाष्य में है। इस भाष्य में सामाजिक, सांस्कृतिक आदि विविध विषयात्मक सामग्री है। शोध विद्यार्थी के लिए यह भाष्य विशेष उपयोगी है। निशीथ भाष्य की 6500 गाथाएं हैं। यह भाष्य सामग्री की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
*संघदासगणी* (विक्रम की छठी शताब्दी) संघदासगणी के दो भाष्य उपलब्ध हैं। वृहत्कल्प-लघुभाष्य और पंचकर्म-महाभाष्य।
*वृहत्कल्प-लघुभाष्य* वृहत्कल्प पर दो भाष्य हैं लघुभाष्य और वृहद्भाष्य। वृहत्कल्प का वृहद्भाष्य उपलब्ध नहीं है। लघुभाष्य छः उद्देशकों में विभक्त है। इसकी गाथा संख्या 6490 है। भाष्य के प्रारंभ में 805 श्लोकों में विस्तृत पीठीका है। जैन श्रमणों की आचार चर्या के साथ ही सांस्कृतिक सामग्री भी इस लघुभाष्य में निहित है।
*पंचकल्प-महाभाष्य* इसकी रचना पंचकल्प निर्युक्ति पर है। इस भाष्य की 2574 गाथाएं हैं। आर्य देशों और राजधानियों की सूचना इस ग्रंथ में है।
वसुदेवहिण्डी के प्रथम खण्ड के प्रणेता संघदासगणी से भाष्यकार संघदासगणी भिन्न माने गए हैं।
*भाष्यकार जिनभद्रगणी* आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण विशिष्ट भाष्यकार हैं। भाष्यकारों में उन्हें महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उत्तरवर्ती आचार्यों ने भाष्यसुधाम्भोधि, भाष्य पीयूष पाथोधि, भगवान् भाष्यकार, दुःषमान्धकार-निमग्न-जिनप्रवचनप्रदीपप्रतिभ, संदेह-संदोह-शैल-शृंग-भंगदम्भोलि आदि का संबोधन देकर उच्चकोटिक भाष्यकार के रूप में जिनभद्रगणी का स्मरण किया है।
*आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण द्वारा रचित साहित्य* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 83* 📝
*रामचंदजी कोठारी*
*जयपुर आगमन*
रामचंदजी कोठारी जयपुर के महत्त्वपूर्ण श्रावकों में से एक थे। उनका जन्म संवत् 1850 के आसपास अनुमानित है। उनके पिता देवचंदजी प्रारंभ में बीकानेर में रहते थे। वे एक धनी और प्रभावशाली व्यक्ति थे। बीकानेर नरेश से उनके संबंध बहुत अच्छे थे। उस समय जयपुर नरेश रामसिंहजी जयपुर को हर प्रकार से संपन्न और जन-समृद्ध बनाने पर लगे हुए थे। दूर-दूर के धनी व विशिष्ट व्यक्तियों को वे अनेक छूटें देकर जयपुर में बसने के लिए राजी कर रहे थे। उसी सिलसिले में उन्होंने अपने एक विश्वस्त व्यक्ति को भेजकर देवचंदजी को भी जयपुर आकर बसने तथा व्यापार करने का निमंत्रण दिया। बीकानेर नरेश को जब उस निमंत्रण का पता चला तो उन्होंने कोठारी जी को बुलाया और बीकानेर में ही बसे रहने के लिए उन पर दबाव डाला। देवचंदजी ने नरेश के सम्मुख तो उनकी बात स्वीकार कर ली, परंतु मन में वे जयपुर जाने का निश्चय कर चुके थे। नरेश के अप्रसन्न हो जाने तथा गमन में बाधा डालने का भय था। अतः उन्होंने प्रच्छन्न रूप से सारी तैयारी की और ऊंटों पर अपनी संपत्ति और सामान लादकर मध्य रात्रि के समय वहां से जयपुर के लिए विदा हो गए। पीछे से उनके प्रच्छन्न निर्गमन का नरेश को पता लगा तो वे बहुत क्रोधित हुए। कोठारीजी तब तक तो उनकी पहुंच से दूर जा चुके थे, परंतु बीकानेर में उनकी जो अचल संपत्ति तथा भूमि थी वह सब अपने अधिकार में लेकर उन्होंने अपना रोष शांत किया।
देवचंदजी जयपुर पहुंचे तो वहां नरेश रामसिंहजी ने आदरपूर्वक उनको बसने के लिए जौहरी बाजार में स्थान प्रदान किया। उस विशाल स्थान में उन्होंने पांच हवेलियां बनवाईं। उनके छह पुत्र थे, परंतु एक की मृत्यु बाल्यावस्था में ही हो गई थी। अतः पांचों पुत्रों की निर्वाह व्यवस्था के लिए वह उपक्रम पर्याप्त था। उस मार्ग का नाम तभी से कोठारियों की गली पड़ गया जो अब तक प्रचलित है।
*बावन में एक*
देवचंदजी के छह पुत्रों में चतुर्थ रामचंदजी थे। संवत् 1885 में जयाचार्य में अग्रणी अवस्था में जयपुर चातुर्मास किया। उस समय उनसे धार्मिक रहस्यों को समझ कर स्थानीय 52 महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों ने सम्यक्त्व दीक्षा ग्रहण की। उनमें एक रामचंदजी भी थे। वे जितने श्रद्धाशील थे उतने ही क्रियाशील भी। धर्म उनके जीवन व्यवहार में उतरा था। उसके साथ ही सामायिक, संवर, तप तथा विविध प्रत्याख्यान भी उनके जीवन के अभिन्न अंग बन गए थे। वे एक दृढ़धर्मी श्रावक थे।
*निपुण व्यापारी*
रामचंदजी जयपुर के बहुमान्य नागरिकों में गिने जाते थे। अच्छी सूझ-बूझ वाले होने के कारण लोग अपने कार्यों के लिए उनसे परामर्श लिया करते थे। व्यापारिक क्षेत्र में भी उनकी निपुणता प्रशंसनीय थी। उन्होंने अपने व्यापार को जहां दूर-दूर तक फैलाया, वहां उसे विविधता भी प्रदान की। जयपुर में 'देवचंद रामचंद' के नाम से तथा कलकत्ता में 'रामचंद पूनमचंद' के नाम से उनका हुंडी-चिट्ठी का कार्य था। बोलपुर (वीरभूमि) में 'पूनमचंद गोकुलचंद' नाम से जीरे और सूत का कार्य करते थे। वहां वे इंडोवर्मा का पेट्रोल पंप भी चलाते थे और बंगाल बैंक के खजाने को भी संभालते थे।
*श्रावक रामचंदजी कोठारी की धार्मिक जागरूकता* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
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संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "धर्मशाला" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - पंचायत हाइस्कूल, धर्मशाला (सुबर्नपुर जिला)ओड़िशा
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
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