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09-02-2018 Bamur, Angul, Odisha:
अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
मानवता की ज्योति जगाते युवा ज्योति हाइस्कूल पहुंचे मानवता के मसीहा
-आलस्य को त्याग ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ने की दी पावन प्रेरणा
09.02.2018 बामुर, अंगुल (ओड़िशा)ः जन-जन में मानवता की ज्योति जगाते, लोगों को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का मंत्र बताते जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, अखंड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ शुक्रवार को अनगुल जिले के बामुर स्थित युवा ज्योति हाइस्कूल में पधारे। आचार्यश्री का युवा ज्योति हाइस्कूल में मंगल पदार्पण मानों बामुरवासियो में आध्यात्मिकता की ज्योति जलाने के लिए हुआ।
शुक्रवार की सुबह नाकची से आचार्यश्री ने अपनी धवल सेना के साथ मंगल प्रस्थान किया। मार्ग के दोनों ओर आसपास स्थित पहाड़ों और मार्ग के आसपास स्थित सघन वृक्ष इस क्षेत्र को जंगली पथ बनाने में सक्षम थे। मार्ग के आसपास रहने वाले लोगों को अपने आशीर्वाद से लाभान्वित करते हुए आचार्यश्री लगभग पन्द्रह किलोमीटर का विहार कर बामुर स्थित युवा ज्योति हाइस्कूल में पधारे।
विद्यालय प्रांगण में उपस्थित विद्यार्थियों, शिक्षकों व ग्रामीणों को अपने श्रीमुख से पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को नींद को बहुमान नहीं देना चाहिए। यदि आदमी को अपने जीवन में विकास करना और आगे बढ़ना है तो नींद को बहुमान देने से बचने का प्रयास करना चाहिए। कार्य से हुए थकान के उपरान्त थोड़ा विश्राम तो आवश्यक है, किन्तु आलस्यवश होकर सोना अच्छा नहीं होता। विद्यार्थियों को भी ज्ञानार्जन के क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो उन्हें भी नींद, आलस्य आदि से बचने का प्रयास करना चाहिए।
आलस्य को मनुष्य का शत्रु कहा गया है। वह भी एक ऐसा शत्रु जो मनुष्य के शरीर मंे ही रहने वाला है। आलस्य करने वाले आदमी को विकास संभव नहीं हो पाता। इसलिए आदमी को आलस्य से बचने का प्रयास करना चाहिए। विद्यार्थी को भी आलस्य से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को ज्यादा जोर-जोर से हंसा भी नहीं चाहिए। ज्यादा हंसी-मजाक से आदमी की गरिमा कम हो सकती है। हंसी से हल्काई हो जाती है। छिछले स्तर की हंसी-मजाक से आदमी को बचने का प्रयास करना चाहिए। विद्यार्थी को मैथुन कथा या विकथा से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। मैथुन कथा में या विकथा में रस लेने वाले विद्यार्थी ज्ञानार्जन के रास्ते से भटक सकते हैं। इसलिए विद्यार्थी को ऐसे बुराइयों से बचने का प्रयास करना चाहिए। विद्यार्थी को सदा ज्ञानार्जन के रत रहने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञानार्जन करना, उन्हें दोहराने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान का अच्छा विकास हो, इसके लिए विद्यार्थी को अर्जित ज्ञान को दोहराने का प्रयास करना चाहिए, अन्यथा की स्थिति मंे वह ज्ञान विस्मृत भी हो सकता है।
आचार्यश्री ने अपनी पावन प्रेरणा के पश्चात उपस्थित समस्त विद्यार्थियों, शिक्षकों व ग्रामीणों को अहिंसा यात्रा के विषय में अवगति प्रदान की कर उनसे अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया तो विद्यालय परिसर में उपस्थित समस्त लोगों ने सहर्ष अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को स्वीकार किया।
इसके उपरान्त आचार्यश्री के अपने विद्यालय में आगमन से हर्षित विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री ऋषिकेश साहू ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।