09.02.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 09.02.2018
Updated: 10.02.2018

Update

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*10/02/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*के.वी. कुप्पम*
गुडियातम-वैलुर रोड
☎9003789485
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*नारायण जी सिंघवी के निवास स्थान पर*
*बिलीकेरे* (कर्नाटक)
*Mysore -Hunsur Road*
☎9448385582
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*महावीर भवन*
*विलिपुरम*
☎8107033307
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*महावीर भवन*
*विलिपुरम*
☎9566296874
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Sree Agastiya Temple*
No ER -391/91
Pudiyagoan
Tirupunitra(केरला) ☎9672039432,7907269421
9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*तेरापंथ भवन*
*चित्रदुर्गा* (कर्नाटक)
हुबली - बैगलौर हाईवे
☎7821050720,9558651374
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*कृष्णगिरि मन्दिर**से 12 km का विहार करके *बरगुर छत्रम पधारेगे* (तमिलनाडु)
बैगलोर - चेन्नई रोड
☎8890788494,9845353039
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*ऐरावरम् हाई स्कूल से 9.5 km का विहार करके जग्गमपेट पधारेगे*
विशाखापट्नम् - चेन्नैइ रोड
☎7297958479,9025434777
7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 6* का प्रवास
*अर्हम भवन विजयनगर बैगलौर*
(कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*North town*
*Chennai* (तमिलनाडु)
☎9884901680,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*अमृता स्कूल*
*परमपल्ली*
*THIRUVANTHAPURAM- COLAM ROAD* (केरला)
☎8875762662
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*येरेगुडी कल्याण मंडप से 10 km का विहार करके हालरवी पधारेगे*
बेलारी- रायचुर रोड
☎9845123211
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*संघ संवाद+संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*कृष्णपुरा* (विहार 8 km)
हासन - मैसुर रोड
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास *तेरापंथ सभा भवन गॉधीनगर बैगलौर* (कर्नाटक)
☎7798028703
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".

News in Hindi

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 255* 📝

*जिनागम सिन्धु आचार्य जिनभद्रगणी*

जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण आगम प्रधान आचार्य थे। वे ज्ञान के सागर कुशल वाग्मी एवं आगमवाणी के प्रति अगाध श्रद्धाशील थे। उनका चिंतन स्वतंत्र नहीं, आगमतंत्र से बंधा हुआ था। आचार्य सिद्धसेन ने युक्ति पर आगमों को परखा। आचार्य जिनभद्र ने आगम को प्रथम स्थान दिया था। आगम का आलंबन लेकर ही उन्होंने युक्त और अयुक्त का चिंतन किया। अन्य मतों की आलोचना आगम वाक्यों के आधार पर की एवं आगमिक परंपरा को सुरक्षित रखा। इतिहास के पृष्ठों पर आगम परंपरा के पोषक आचार्यों में आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण का नाम अग्रणी स्थान पर है।

*गुरु-परम्परा*

जिनभद्रगणी ने अपने ग्रंथों में गुरु-परम्परा का उल्लेख नहीं किया है। अङ्कोटक (अकोट) ग्राम से प्राप्त दो प्रतिमाओं पर टंकित अभिलेख में निवृत्ति कुल के वाचनाचार्य जिनभद्र का उल्लेख है। प्राचीन जैन मूर्तियों के गंभीर अध्येता श्री उमाकांत प्रेमचंद शाह के अभिमत से यह उल्लेख भाष्यकार जिनभद्रगणी से संबंधित है। प्रतिमा के अभिलेख में वाचनाचार्य का उल्लेख है। जिनभद्रगणी की प्रसिद्धि क्षमाश्रमण के नाम से है। वाचक, क्षमाश्रमण आदि शब्दों को विद्वानों ने एकार्थक माना है। अतः वाचनाचार्य का विशेषण क्षमाश्रमणजी के लिए ही संभव है।

प्रस्तुत प्रतिमा लेख के आधार पर जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण निवृत्ति कुल के हैं। उनके गुरु और गुरु-परम्परा के नामों की सूची नहीं है। नवांगवृत्ति संशोधक द्रोणाचार्य, सूराचार्य, गर्गर्षि, दुर्गर्षी, उपमिति, भवप्रपंचकथारचनाकार सिद्धर्षि जैसे प्रभावशाली आचार्य निवृत्ति कुल के हुए हैं।

निवृत्ति कुल का संबंध वज्रसेन के शिष्य निवृत्ति से था। अतः जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण आचार्य सुहस्ती की परंपरा में होने वाले वज्रसेन शाखीय संभव है।

जिनवाणी के गहन अध्येता आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण को शताब्दियों तक पट्टावली परंपरा में महत्त्वपूर्ण स्थान नहीं मिला।

जैनाचार्यों द्वारा 15वीं शताब्दी में रची गई पट्टावलियों से पहले किसी भी पट्टावली में जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण का उल्लेख नहीं है। यह आश्चर्य का विषय है।

गंभीर भाष्यकार क्षमाश्रमणजी के ग्रंथों की प्रभावकता के कारण जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण के स्वर्गवास के कई शताब्दियों बाद उत्तरवर्ती विद्वान् आचार्यों ने उनका नाम अपनी गुरु-परंपरा के साथ जोड़ा। उन्हें युगप्रधान माना और उनको टीकाकार हरिभद्र का शिष्य बताया है। पट्टावलीकारों द्वारा जिनभद्र को हरिभद्र का शिष्य माना जाना भ्रांत प्रतीत होता है। आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण हरिभद्र से बहुत पूर्व हुए हैं। दोनों में लगभग एक शताब्दी का अंतराल है। टीकाकार हरिभद्र ने जिनभद्रगणी के अवतरण का अपने ग्रंथों में उपयोग किया है। अतः जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण टीकाकार हरिभद्र के शिष्य नहीं हो सकते।

*जिनागम सिन्धु आचार्य जिनभद्रगणी के जीवन-वृत* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 79* 📝

*शोभाचंदजी बैंगानी (प्रथम)*

*ऋषिराय का पदार्पण*

चातुर्मास समाप्त होते हैं ऋषिराय ने स्थिति निरीक्षणार्थ मुनि ईसरजी के सिंघाड़े को थली की ओर भेज दिया। स्वयं वहां से विहार कर खेरवा पधारे। वहां जयमाता कल्लूजी को दर्शन दिए। पच्चीस दिन विराज कर वहां से थली की ओर प्रस्थान किया। बोरावड़ पदार्पण हुआ तब तक मुनि ईसरजी अपना कार्य पूर्ण कर वापस आ गए। उन्होंने सूचित किया कि थली में धर्म प्रचार की बहुत अच्छी संभावना है। वहां का जीवन सीधा और सादा है। मोटा खाना तथा मोटा पहनना ही प्रायः प्रचलित है। कृषि तथा पशुपालन वहां की आजीविका के मुख्य अंग हैं। कुछ व्यक्ति वाणिज्य से भी जीविका चलाते हैं। संतों ने यह भी बताया कि उधर विहार करने वालों को रोटी व राब की कमी तो नहीं आएगी परंतु अचित्त जल की कमी अवश्य आ सकती है।

ऋषिराय अभावों और परिषहों की कोई परवाह नहीं करते थे। कार्यार्थी कोई भी व्यक्ति सुख-दुख को प्रमुखता न देकर उद्दिष्ट कार्य को ही प्रमुखता देता है। वे वहां से विहार करते हुए थली में पधार गए। वहां हर नगर की जनता में एक अनिर्वचनीय उत्साह पाया। पोष के अंत या माघ के प्रारंभ में थली में प्रवेश हुआ था। अतः शेषकाल के अनेक महीने वे वहां विचरे। स्थान-स्थान से चातुर्मास की मांग होने लगी। ऋषिराय ने तब सम्वत् 1787 का अपना चातुर्मास बीदासर को दिया। उसके अतिरिक्त चुरू में मुनि जीतमलजी (जयाचार्य), रीणी (तारानगर) में मुनि सरूपचंदजी तथा रतनगढ़ में मुनि ईसरजी के चातुर्मास करवाए गए। अन्य अनेक क्षेत्रों में साध्वियों के चातुर्मास हुए। एक ही वर्ष में वहां अच्छा धर्मोद्योत हुआ। बीदासर में तथा अन्यत्र भी शोभाचंदजी बैंगानी ने अपने प्रभाव का सदुपयोग किया। उन्होंने स्वयं तो धर्म का मर्म समझा ही, अन्य अनेक परिवारों को समझाने में भी सहयोगी बने। जयाचार्य ने उस वर्ष थली में हुए धर्म प्रसार का वर्णन करते हुए कहा है—

वर्ष सित्यासिये सुखकार, हुवो धर्म उद्योत अपार।
थया थली देश में थाट, चार तीर्थ तणा गहघाट।।

*श्रावक शोभाचंदजी बैंगानी ने बीकानेर नरेश की किस प्रकार सहायता की...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 हिसार - आध्यात्मिक मिलन
👉 सूरत - प्लास्टिक फ्री वीक के अंर्तगत विभिन्न कार्यक्रम
👉 काठमांडू - प्लास्टिक फ्री वीक सप्ताह का आयोजन
👉 जलगांव - पेरेंटिंग सेमिनार का आयोजन
👉 रायगंज(प.ब.) - जैन संस्कार विधि के बढते चरण

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻

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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम..

21°00'26.1"N 84°29'00.6"E

https://maps.google.com/?q=21.007247,84.483495&hl=en&gl=us

👉 पूज्यप्रवर का आज का *लगभग 14.80 कि.मी. का विहार..*

👉 आज का प्रवास: *युवा ज्योति हाई स्कूल*, रेलवे स्टेशन रोड, *बामुर (ओड़िसा)*

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प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Sources

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  8. दर्शन
  9. भाव
  10. सागर
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