06.02.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 06.02.2018
Updated: 08.02.2018

Update

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*07/02/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*के.वी. कुप्पम*
गुडियातम-वैलुर रोड
☎9003789485,9894529102
9488921371
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Nagmangalla से विहार करके*
*लक्ष्मीलाल जी बोहरा के निवास स्थान ओल्ड पोस्ट ऑफिस रोड *Hunsur*
मडिकेरी- मेसुर रोड (कर्नाटक)
☎9448385582
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*महावीर भवन*
*विलिपुरम*
☎8107033307
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*महावीर भवन*
*विलिपुरम*
☎9566296874
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Sree Agastiya Temple*
No ER -391/91
Pudiyagoan
Tirupunitra(केरला) ☎9672039432,7907269421
9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*नागेश्वरघाम* (कर्नाटक)
पुना - बैगलौर हाईवे
☎7821050720,9558651374
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*तमिलनाडु सीमा प्रवेश*
*मेड्कम्पहल्ली तमिल सरकारी विद्यालय*
बैगलोर - चेन्नई रोड
☎8890788494,9845353039
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*अन्नावरम् से 11 km का विहार करके कतीपुडी घर्मशाला मे पधारेगे*
विशाखापट्नम् - चेन्नैइ रोड
☎7297958479,9025434777
7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 6* का प्रवास
*अर्हम भवन विजयनगर बैगलौर*
(कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*North town*
*Chennai* (तमिलनाडु)
☎9884901680,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*THIRUVANTHAPURAM* (केरला)
☎8875762662
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*बेलारी तेरापंथ भवन से 8 km का विहार करके संगलकल पधारेगे*
बेलारी- रायचुर रोड
☎94405281402
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*संघ संवाद+संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*ऐलेशपुरा से विहार करके ओलेनरसिगपुरा विमल जी पितलिया के निवास स्थान पधारेगे*
हासन - मैसुर रोड
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास *तेरापंथ सभा भवन गॉधीनगर बैगलौर* (कर्नाटक)
☎7798028703
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".

👉 जयपुर - त्रिदिवसीय ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
👉 इस्लामपूर - महिला मंडल द्वारा "श्री उत्सव" कार्यक्रम का आयोजन
👉 राउरकेला - प्लास्टिक फ्री वीक कार्यक्रम का आयोजन
👉 तिरूपुर - प्लास्टिक फ्री वीक के पोस्टर का विमोचन एवं सेवा कार्य
👉 जोरहाट " प्लास्टिक फ्री वीक" Say no to plastic" कार्यक्रम का आयोजन

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻

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News in Hindi

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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 76* 📝

*ऋषभदासजी तलेसरा*

*दृढ़ श्रद्धालु*

ऋषभदासजी तलेसरा उदयपुर के निवासी थे। वे दृढ़ श्रद्धालु तथा धर्म की अच्छी लगन वाले श्रावक थे। त्याग और तपस्या में सबसे आगे होकर भाग लेते थे। स्थानीय श्रावक वर्ग में उनका स्थान प्रथम पंक्ति में आता था। उन्होंने ऋषिराय तथा जयाचार्य के शासनकाल में विशेष सेवाएं की थीं। आगम में जिन श्रावकों को माता-पिता के समान बतलाया है, वे उसी उपमान को सिद्ध करने वाले थे। धर्म संघ का हित साधन करने में उन जैसी निपुणता विरल व्यक्तियों में ही देखी जाती है।

तलेसराजी का तत्त्वज्ञान बहुत गहरा था। वे दूसरों को तत्त्व समझाने में भी बड़े निष्णात थे। तत्त्वज्ञ होना एक बात है और दूसरों को तत्त्व की गहराई हृदयंगम करा देना बिल्कुल ही दूसरी बात है। उनमें उक्त दोनों योग्यताएं भरपूर थीं। अनेक व्यक्तियों को उन्होंने सम्यक् बोध प्रदान किया था।

*आर्थिक संपन्नता*

ऋषभदासजी आर्थिक दृष्टि से बहुत संपन्न व्यक्ति थे। दूर-दूर तक उनका व्यापार चलता था। रुपयों का लेन-देन भी बहुत बड़ी मात्रा में करते थे। अनेक राज्यों से उनके सुदृढ़ आर्थिक संबंध थे। आवश्यकता होने पर वे उनकी आर्थिक मांग को तत्काल पूर्ति करने की क्षमता रखते थे। नरेश भी बड़ी पूंजी की आवश्यकता होने पर ऐसे व्यक्तियों को ही प्राथमिकता से पूछा करते थे।

कहा जाता है कि एक बार उदयपुर के महाराणा को किसी कार्य के लिए तत्काल कई लाख रुपयों की आवश्यकता हुई। उन्होंने तब अपना विश्वस्त व्यक्ति भेजकर ऋषभदासजी को उसका संकेत करवाया। उन्होंने एक बार में ही उतने रुपए देकर तत्काल उस आवश्यकता की पूर्ति कर दी। उक्त घटना से उनकी आर्थिक क्षमता का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

तलेसरा जी की संपन्नता को अभिव्यक्त करने वाली एक घटना भी सुज्ञात है। महाराणा को मेवाड़ की उत्तरी सीमा पर किसी कार्य के लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता थी। ऋषभदासजी से उसकी मांग की गई। उन्होंने अजमेर राज्य पर दो लाख की हुंडी लिखकर वह रुपया उदयपुर राज्य को प्रदान किया। कहा जाता है कि तलेसराजी की पूंजी राज्य तथा बड़े ठिकानों में ही अधिक लगा करती थी। छोटे स्थानों पर पूंजी लगाना उन्हें कम पसंद था।

*सौ वर्षों तक शय्यातर*

आगम में साधुओं के लिए कहा गया है— 'उनके पास सब वस्तुएं याचित होती हैं, अयाचित कुछ भी नहीं होता।' भोजन-पानी से लेकर स्थान पर्यंत से वे गृहस्थ से ही ग्रहण करते हैं। जीवन की इन अनिवार्य वस्तुओं को भी वे कल्प्य की सीमा के अंतर्गत मिलती हो तो ग्रहण करते हैं, अन्यथा नहीं। इसीलिए कहा गया है— 'विशुद्ध दान देने वाला और लेने वाला दोनों ही दुर्लभ हैं।' अशन-पान आदि देने वालों से भी शय्या-स्थान देने वाला अधिक दुर्लभ है। ऋषभदासजी उन दुर्लभ व्यक्तियों में एक थे। उन्होंने अपने पुराने मकान से संलग्न ही नया मकान बनवाया। उनके मन में भावना जागी की संत-सतियों का चातुर्मास मेरे इस नए मकान में करवाया जाए। चाहे को राह मिल गई। जयाचार्य उन दिनों उदयपुर में ही थे। एक दिन अवसर देखकर उन्होंने प्रार्थना की कि आगामी वर्ष का चातुर्मास जिनका भी करवाया जाए, वह मेरे नए मकान में हो। जयाचार्य ने उनकी भावना को आदर देते हुए प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। तब से उदयपुर में प्रतिवर्ष उनके मकान में ही चातुर्मास होने लगे। लगभग सौ वर्षों तक उनके परिवार वालों को 'शय्यातर' (स्थानदाता) होने का लाभ मिलता रहा।

*श्रावक शोभाचंदजी बैंगानी (प्रथम) के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 252* 📝

*भवार्णव पारगामी आचार्य भद्रबाहु-द्वितीय*
*(निर्युक्तिकार)*

*साहित्य*

गतांक से आगे...

आचार्य भद्रबाहु ने 10 निर्युक्तियों की रचना निम्न ग्रंथों पर की है—

*(1)* आवश्यक *(2)* दशवैकालिक *(3)* उत्तराध्ययन *(4)* आचारांग *(5)* सूत्रकृतांग *(6)* दशाश्रुतस्कंध *(7)* वृहत्कल्प *(8)* व्यवहार *(9)* सूर्यप्रज्ञप्ति *(10)* ऋषिभाषित।

इन दसों निर्युक्तियों का रचना क्रम भी इसी प्रकार बताया गया है। इन निर्युक्तियों के अतिरिक्त निशीथ निर्युक्ति, ओघनिर्युक्ति, पिण्डनिर्युक्ति, संसत्त (संसक्त) निर्युक्ति, पंचकल्प निर्युक्ति, गोविंद निर्युक्ति, आराधना निर्युक्ति आदि निर्युक्तियों के नामों का उल्लेख भी मिलता है।

आचारांग आगम की पंचम चूलिका ही निशीथ आगम के रूप में प्रतिष्ठित है, अतः यह स्वतंत्र निर्युक्ति ग्रंथ न होकर आचारांग निर्युक्ति में ही समाविष्ट है। वर्तमान में निशीथ निर्युक्ति, निशीथ भाष्य की गाथाओं के साथ सम्मिश्रित अवस्था में प्राप्त होती है। पिण्डनिर्युक्ति का विषय दशवैकालिक आगम के पंचम अध्ययन की निर्युक्ति में, ओघनिर्युक्ति का विषय आवश्यक निर्युक्ति में एवं पंचकल्प निर्युक्ति का विषय वृहत्कल्प निर्युक्ति में समाहित है। संसत्त निर्युक्ति एक स्वतंत्र रचना है। चौरासी आगमों में इसका स्थान है। गोविंद निर्युक्ति में नय-शास्त्र चर्चित है। इसकी रचना किसी आगम ग्रंथ पर न होकर स्वतंत्र रूप से हुई है। आराधना निर्युक्ति का निर्देश मूलाचार में है। ये दोनों निर्युक्तियां अनुपलब्ध हैं। आराधना निर्युक्ति का विषय अज्ञात है।

आचार्य भद्रबाहु के निर्युक्ति ग्रंथों में अंतिम दो निर्युक्तियां अनुपलब्ध हैं। टीकाकार मलयगिरि के अभिमत से उनके (मलयगिरि के) समय में ही सूर्यप्रज्ञप्ति निर्युक्ति का लोप हो गया था। टीकाकार मलयगिरि ने केवल सूर्यप्रज्ञप्ति के मूल सूत्रों पर टीका रचना का कार्य किया था।

ऋषिभाषित निर्युक्ति एक स्वतंत्र रचना संभव है। परंतु वह भी वर्तमान में उपलब्ध नहीं है।

*आचार्य भद्रबाहु की उपलब्ध निर्युक्तियों का परिचय* प्राप्त करेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 बारडोली - जैन संस्कार विधि से सामूहिक जन्मोत्सव
👉 राजाजीनगर - निर्माण एक नन्हा क़दम स्वच्छता की ओर
👉 आमेट - प्लास्टिक बंद करने के लिए तेरापंथ महिला मंडल द्वारा रैली का आयोजन
👉जोधपुर - युवक परिषद द्वारा जैन संस्कार विधि से जन्मोत्सव व परिणायोत्सव समारोह का कार्यक्रम आयोजित किया

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻

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🏵❄ *अणुव्रत* ❄🏵

🎗 *संपादक* 🎗
*श्री अशोक संचेती*

🏮 *फरवरी अंक* 🏮

‼पढिये‼

*अणुव्रत कहिन!*
स्तम्भ के अंतर्गत

*मुनि दिनकर*
एवं
*समणी सत्यप्रज्ञा*
की
*नैतिकता*
एवं
*विश्व-बंधुत्व*
पर
भावपूर्ण कविताएं❗

🔅प्रेषक 🔅
*अणुव्रत सोशल मीडिया*

🔅संप्रसारक🔅
🌻 *संघ संवाद* 🌻

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https://goo.gl/maps/SRe8zVWkB2q

👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "किशोरगंज (बौनडा)" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - आर.डी. नोडल हाइस्कूल, किशोरगंज (बौनडा), जिला - अंगुल (ओड़िशा)

प्रस्तुति - *संघ संवाद*

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Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

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  1. Jainism
  2. Sangh
  3. Sangh Samvad
  4. Terapanth
  5. अशोक
  6. आचार्य
  7. दर्शन
  8. भाव
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