18.01.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 18.01.2018
Updated: 20.01.2018

News in Hindi

छिन्दवाड़ा में मूकमाटी रचियता आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी, मुनि श्री अनंत सागर जी, मुनि श्री धर्म सागर जी, मुनि श्रीअचल सागर जी, मुनि श्री अतुल सागर जी, मुनि श्री भाव सागर जी ये 6 बाल ब्रह्मचारी मुनि विराजित है

मुनिश्री विमलसागर जी महाराज की तपस्या मुनिश्री ने लगातार 6 उपवास किये थे एवं 18 घंटे तक लगातार सामयिक में खड़े रहे थे। मुनिश्री 24 घंटे स्त्रोतों का पाठ करते रहते हैं। मुनिपुंगव सुधासागर जी भी मुनिश्री विमलसागर जी की तपस्या की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते है। मुनिश्री अनंतसागर जी महाराज हमेशा मौन रहते हैं और लेखन कार्य मे लगे रहते हैं। मुनिश्री धर्मसागर जी बोलते नही है लेकिन उनकी कलम बोलती है मुनिश्री ने अनेक कवितायें लिखी है। मुनिश्री अचलसगर जी की गृहस्थ अवस्था की बहिन आर्यिकाश्री श्रुतमती माताजी है। मुनिश्री अतुलसागर जी कठोरतम चर्या के धारी है कई बार बिना पाटे भूमि पर शयन करते है,चटाई भी नहीं लेते,ना श्रावको से अनावश्यक चर्चा करते है। सिद्धान्त, व्याकरण, न्याय के ज्ञाता हैं और वैयावृत्ति में हमेशा तत्पर रहते हैं।
मुनिश्री अचलसागर जी ने प्रवचन में कहा कि गुरु कि महिमा न्यारी है उनके बारे में क्या कहा जाय गुरु की कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहे। मुनिश्री अनंतसागर जी ने कहा कि वैद्य का कार्य है रोगों को दूर करना चाहे टेबलेट से हो या काढ़े से हो। मुनिश्री विमलसागर जी ने कहा कि यह जिनमुद्रा बिना बोले ही उपदेश देती है। भगवान की मूर्ति बिना बोले ही सम्यक दर्शन को प्राप्त करा देती है। मुनियों की चर्या अनूठी होती है। हमारे आचार्यों ने काव्य के रूप में ही उपदेश दिया है चाहे पदमपुराण हो या हरिवंशपुराण।

हिंदी भाषा जरूरी है क्योंकि स्वप्न हिंदी में ही आते हैं। मन यदि सयंत होता है तो सही कार्य होता है नहीं तो खतरनाक होता है। मंच संचालन शुभांषु जैन शहपुरा ने किया

Source: © Facebook

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फिर से हमारी समिति ने अपने अथक प्रयासों से तमिलनाडु की पवित्र भूमि पर बिखरे अनमोल तीर्थो को सहेजने साइन बोर्ड्स को लगवाने का प्रयास किया है #Save_Ancient_JainHeritage

दक्षिण के सभी जिनालयों की काया-कल्प की दिशा में तमिलनाडु के 2 और जिलों में १६ क्षेत्रों के अंतर्गत ५४ साइन बोर्ड्स और, हमारी समिति - जैन संघ पुणे द्वारा लगवा दिए गए हैं | इस तरह कुल ८० क्षेत्रों की सेवा इन २४४ पटलों(सारे पटल हमारी समिति द्वारा ही लगाए गए हैं, किसी संस्था की मदद बिना लोगों के सहयोग से) के माध्यम से हो गयी है | इसके अतिरिक्त ५ जिनालयों का जीर्णोद्धार भी हम करा चुके हैं, इस तरह अभी तक कुल ८५ जिनालयों की सेवा का सौभाग्य हमको प्राप्त हो चूका है, इसके लिए हम आप सभी के आभारी हैं |

कहते हुए असीम प्रसन्नता हो रही है कि अब सिर्फ ३ जिले ही रह गए हैं तमिलनाडु के पटल लगने के लिए, आप सभी के सहयोग से वहाँ भी जल्दी ही लग जायेंगे |

कई लोगों जिसमे प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं, के फ़ोन आते हैं, कि किस तरह उनको इन पटलों के माध्यम से क्षेत्र तक पहुंचने में सुविधा हुई, एक बार एक अमेरिका की अनुसंधानकर्ता भी हमको धन्यवाद देने आई थी, पटलों के माध्यम से वो क्षेत्र तक पहुंच पाई | इंटरनेट माध्यमों पर कई बार इन पटलों के फोटो आते रहते हैं | बड़ा आनंददायक प्रसंग है, जब पहली से लेकर चौथी-पांचवी सदी के क्षेत्रों कि वैयावृत्ति हो रही है | कुछ सफलताएं जो इन पटलों द्वारा प्राप्त हो रही हैं:
१. चूँकि ये क्षेत्र ज्यादा प्रचारित नहीं हैं साथ ही दूसरी तरफ अत्यंत मनोरम और महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं और दूसरी जगहों से आये लोगो को आसानी से नहीं मिलते हैं, तो अब इन लोगो को मुख्य सड़क से इन तक पहुचने में आसानी रहेगी |
२. जानकारी के आभाव में किसी क्षेत्र पर आवाजाही रुक जाती है तो गलत लोग वहाँ बैठकर गलत काम करते हैं, साथ ही अतिक्रमण का भी खतरा बना रहता है, अब ये परेशानी से निजात मिलेगी |

मैत्री समूह द्वारा इस वर्ष जीर्णोद्धार कार्य के लिए हमारी समिति को सम्मानित किया गया है | विदेशों में स्थित शास्त्र जी को खोज निकालने के लिए हमारी एक समिति कार्यरत है |

श्री अनंतराज जी का बहुत बहुत धन्यवाद, ७५ वर्ष के ऊपर आयु होने पर भी अभी भी इन पटलों के लगाने में जी जान से लगे हुए हैं |
हमारे तमिलनाडु के इन महान कार्यकर्ता को आप सभी धन्यवाद के २ शब्द कहेंगे तो उनको बहुत अच्छा लगेगा, जिन्होंने अपनी आयु का बहुभाग तमिलनाडु की सम्पदा बचाने में लगा दिए है | वो हिंदी या अंग्रेजी नही बोल पाते | अंग्रेजी के सन्देश वो पढ़ लेते हैं तो कृपया अपने शब्द उन तक जरूर पहुचाये, इस उम्र में वो प्रोत्साहित जरूर होंगे | उनका दूरभाष क्रमांक है - ९४८६८१०८५८
इन्होने हाल ही में 10 सालों से उपेक्षित और अतिक्रमणकारियों से पीड़ित पुडुकोट्टई जिले के चेट्टीपट्टी की गुफा को कई सालों के परिश्रम के बाद ASI से जालियों द्वारा संरक्षित कराई गयी है | फोटो संलग्न है |

आप हमसे "[email protected]" पर संपर्क कर सकते हैं |
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Jai Jinendra,
Once again we have installed 54 more sign boards in Tamilnadu for 2 districts, 16 - places(now total number of boards are 244 across 80 places, our committee has got installed all these boards without taking help from any committee, individual has contributed towards this cause) in order to promote our Teerth, so that more and more people visit our ancient places in South India. Apart from this we have also renovated 5 more Jinalayas.
This will overcome few problems:
Due to negligence places like these are used for bad activities and more-over conversion can also takes place, but now due to sign boards people can reach to these places frequently and thus above problems can be resolved at some extent.

Our team got awarded by Maitreesamooh for Jeernoddhar work this year. Our team is also working for finding out the shastra ji present across globe.

A big thanks to Mr Ananthraj ji, who is 75+ and still doing the work with dedication. If you can pass your thanks to him, it will definitely encourage him, currently he got protected Chetti Patti cave of Pudukottai Dist after 10 years. His number - 94868 10858

Only 3 districts are remaining where boards to be installed, its a great pleasure for us, they will also be covered very soon.

Renovation work will be continued.

Thanks,
Jain Sangh Pune
9028746993

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अद्भुत शिल्प तभी प्रकट होता है जब शिल्पकार स्वयं मन से शिल्प को बनाने का प्रयास करता है यहां देख कर ही लगता है शिल्पी ने सारी प्रतिभा को लगा दिया पासाण को भगवान बनाने में! #Jainism

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