19.01.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 19.01.2018
Updated: 21.01.2018

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आचार्य भगवान श्री विद्यासागर जी महाराज के 71वें जन्मदिवस पर मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज की पुस्तक "आत्मान्वेषी" पर आधारित "आत्मान्वेषी" नाटक के भोपाल / अजमेर / जबलपुर / सागर में सफलतम मंचन के पश्चात,

विवेचना रंगमंडल जबलपुर और मैत्री समूह के साथ अर्चना मलैया जी द्वारा किये गए नाट्य रूपांतरण का पुनः मंचन:

स्थान: श्री पिसनहारी तीर्थ, (मढ़िया जी) प्रांगण, जबलपुर

समय: सायं 8:00 बजे

दिनांक: 23 जनवरी (मंगलवार)

कृपया अधिक से अधिक संख्या में पहुँच कर धर्मलाभ लेवें।

निवेदक: श्री पिसनहारी तीर्थ ट्रस्ट कमेटी, गढ़ा पुरवा,जबलपुर म.प्र.

आओ दर्शन करते है अत्यंत प्राचीन विश्व की एकमात्र प्रतिमा जिसमे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान साक्षात् शंख पर विराजमान है....यह प्रतिमा मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में विराजमान है ।.....आप सभी इस को शेयर करे ताकि सम्पूर्ण विश्व इतनी प्राचीन प्रतिमा के दर्शन लाभ ले सके ।

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आईआईटी से निकले पेशेवर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ‘सेल्समैन’ बनकर रह जाते हैं: प्रणब मुखर्जी #share • Pranav Mukharji

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान बेहतरीन पेशेवरों को तैयार करते हैं लेकिन वे राष्ट्र निर्माण में योगदान करने के बजाय बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ‘सेल्समैन’ बनकर रह जाते हैं.

उच्च स्तर के अनुसंधान पर ज़ोर देते हुए मुखर्जी ने कहा कि दक्षिण एशिया के विश्वविद्यालयों को अपने लक्ष्य की समीक्षा करनी चाहिए.

देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में शामिल चटगांव विश्वविद्यालय ने प्रणब को मानद डॉक्टर ऑफ लेटर्स (डी लिट) की उपाधि से मंगलवार को नवाज़ा.

बांग्लादेश के चार दिवसीय निजी दौरे के तीसरे दिन मंगलवार को दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘अमर्त्य सेन, सीवी रमन और हर गोविंद खुराना जैसे कुछ भारतीयों को शानदार शैक्षणिक शोध के लिए नोबल पुरस्कार हासिल हुआ लेकिन उन्होंने हार्वर्ड जैसे विदेशी संस्थानों में शिक्षा हासिल की न कि भारतीय संस्थानों में.’

उन्होंने कहा कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान बेहतरीन पेशेवर तैयार करते हैं जो ‘वस्तुत: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सेल्समैन’ बनकर रह जाते हैं. वे अपनी क्षमता एवं बुद्धिमता से अन्याय करते हैं क्योंकि ये कार्य कम प्रतिभा वाले लोग भी कर सकते हैं.

मुखर्जी ने कहा कि वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने शिक्षा के लिए कोष आवंटित किया था लेकिन उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा करने का काफी कम अवसर था. राष्ट्रपति बनने के बाद वह इसे कर सके क्योंकि वह 100 से ज़्यादा विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति थे.

उन्होंने विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि सीमित लक्ष्यों को छोड़कर उन्हें ख़ुद को बुद्धिमत्ता के केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहिए क्योंकि बुद्धिमत्ता और रचनात्मक विचारों में कोई अंतर नहीं होता.

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘हज़ारों साल के इतिहास में नालंदा और तक्षशीला जैसे विश्वविद्यालय चुंबक की तरह काम करते थे जो विश्व के अक़्लमंद लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते थे.’

चटगांव विश्वविद्यालय के उपकुलपति इफ़्तेख़ार उद्दीन चौधरी ने मुखर्जी को विश्वविद्यालय परिसर में उपाधि से नवाज़ा.

प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘बांग्लादेश में आज़ादी के सिर्फ़ साढ़े तीन साल बाद बंगबंधु शेख़ मुजीबुर रहमान की हत्या कर गई जबकि भारत में महात्मा गांधी को मार डाला गया. पाकिस्तान ने लियाक़त अली ख़ान और ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो की हत्या को देख, वहीं बर्मा में आंग सान और श्रीलंका में राणासिंघे प्रेमदासा की हत्या हुई.’

मुखर्जी ने कहा, इन हत्याओं में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में व्याप्त लोकतंत्र को बुरी तरह प्रभावित किया जो कि ब्रिटिश राज में एक हुआ करते थे. उन्होंने कहा, ‘लोगों को इन हत्याओं के राजनीतिक या सामाजिक आर्थिक कारणों को समझना चाहिए, जिसकी वजह से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को धक्का पहुंचा.’

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आईआईटी से निकले पेशेवर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ‘सेल्समैन’ बनकर रह जाते हैं: प्रणब मुखर्जी #share • Pranav Mukharji

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान बेहतरीन पेशेवरों को तैयार करते हैं लेकिन वे राष्ट्र निर्माण में योगदान करने के बजाय बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ‘सेल्समैन’ बनकर रह जाते हैं.

उच्च स्तर के अनुसंधान पर ज़ोर देते हुए मुखर्जी ने कहा कि दक्षिण एशिया के विश्वविद्यालयों को अपने लक्ष्य की समीक्षा करनी चाहिए.

देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में शामिल चटगांव विश्वविद्यालय ने प्रणब को मानद डॉक्टर ऑफ लेटर्स (डी लिट) की उपाधि से मंगलवार को नवाज़ा.

बांग्लादेश के चार दिवसीय निजी दौरे के तीसरे दिन मंगलवार को दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘अमर्त्य सेन, सीवी रमन और हर गोविंद खुराना जैसे कुछ भारतीयों को शानदार शैक्षणिक शोध के लिए नोबल पुरस्कार हासिल हुआ लेकिन उन्होंने हार्वर्ड जैसे विदेशी संस्थानों में शिक्षा हासिल की न कि भारतीय संस्थानों में.’

उन्होंने कहा कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान बेहतरीन पेशेवर तैयार करते हैं जो ‘वस्तुत: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सेल्समैन’ बनकर रह जाते हैं. वे अपनी क्षमता एवं बुद्धिमता से अन्याय करते हैं क्योंकि ये कार्य कम प्रतिभा वाले लोग भी कर सकते हैं.

मुखर्जी ने कहा कि वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने शिक्षा के लिए कोष आवंटित किया था लेकिन उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा करने का काफी कम अवसर था. राष्ट्रपति बनने के बाद वह इसे कर सके क्योंकि वह 100 से ज़्यादा विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति थे.

उन्होंने विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि सीमित लक्ष्यों को छोड़कर उन्हें ख़ुद को बुद्धिमत्ता के केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहिए क्योंकि बुद्धिमत्ता और रचनात्मक विचारों में कोई अंतर नहीं होता.

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘हज़ारों साल के इतिहास में नालंदा और तक्षशीला जैसे विश्वविद्यालय चुंबक की तरह काम करते थे जो विश्व के अक़्लमंद लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते थे.’

चटगांव विश्वविद्यालय के उपकुलपति इफ़्तेख़ार उद्दीन चौधरी ने मुखर्जी को विश्वविद्यालय परिसर में उपाधि से नवाज़ा.

प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘बांग्लादेश में आज़ादी के सिर्फ़ साढ़े तीन साल बाद बंगबंधु शेख़ मुजीबुर रहमान की हत्या कर गई जबकि भारत में महात्मा गांधी को मार डाला गया. पाकिस्तान ने लियाक़त अली ख़ान और ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो की हत्या को देख, वहीं बर्मा में आंग सान और श्रीलंका में राणासिंघे प्रेमदासा की हत्या हुई.’

मुखर्जी ने कहा, इन हत्याओं में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में व्याप्त लोकतंत्र को बुरी तरह प्रभावित किया जो कि ब्रिटिश राज में एक हुआ करते थे. उन्होंने कहा, ‘लोगों को इन हत्याओं के राजनीतिक या सामाजिक आर्थिक कारणों को समझना चाहिए, जिसकी वजह से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को धक्का पहुंचा.’

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आप सभी के सहयोग से देश की राजधानी दिल्ली में पहली बार विश्वविद्यालय स्तर पर जैनविद्या का यह सर्टिफिकेट कोर्स और उसकी परीक्षा निर्विघ्न सम्पन्न हुई ।

डॉ अनेकान्त कुमार जैन
संयोजक - जैनविद्या सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स

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शाम का समय था उस दिन आचार्य श्री जी का उपवास था।हम और कुछ महाराज लोग वैयावृत्ति की भावना से आचार्य श्री जी के पास बैठ गये..

तब आचार्य श्री जी ने हँसकर कहा- आप लोग तो मुझे ऐसा घेर कर बैठ गये जैसे किसी पदार्थ,गुड़ आदि के पास चारों ओर चींटियाँ लग जाती हैं। तभी शिष्य ने कहा-हाँ आचार्य श्री जी गलती चींटियों की नहीं है,बल्कि गलती तो गुड़ की है वह इतना मीठा क्यों होता है।

आचार्य श्री जी ने कहा-गुड़ तो गुड़ होता है उसका इसमें क्या दोष।शिष्य ने कहा क्या करें आचार्य श्री गुड़ में मिठास ही कुछ इस प्रकार की होती है।चींटियों को उसकी गंध बहुत दूर से ही आ जाती है और वे इसके पास दौड़ी चली आती है।

आचार्य श्री ने कहा -यह तो उसका स्वभाव है।शिष्य ने कहा- ऐसा ही आपका स्वभाव है इसलिये सभी आपके पास दौड़े चले आते हैं।

#Warning_Important_Info Apple ने iPhone के लिए Night-Shift मोड लंच किया, m Research करते हुए पाया की 'Blue Light' किस तरह हमारी लाइफ को बर्बाद कर रही हैं 'Electronic Gadget' के बढ़ता हुआ प्रयोग और रात रात को Laptop/Mobile/Tablet प्रयोग करने से कैसे कैंसर तक हो सकता हैं, आचार्य श्री ज्ञानसागर जी अपने प्रवचन में कह रहे थे कुछ दिन पहले ही की mobile के बढ़ते प्रयोग से Serious health issues जैसे Migraine, Depression, Over eating, Irritation, eye blindness, loss of memory [#MobileBlueLight ] जैसी गंभीर चीज़े बढ़ रही हैं आज जब Research की और ये सभी पाया तो होश उड़ गए, उन पर विश्वास नहीं करते ये देखिये साथ में ' How exposure to Blue Light affects your brain and body -An InfoGgraphic' देखे और संभल जाए!! कम से कम रात में कम से कम प्रयोग करे जैसे Laptop/Mobile/TV #PLEASE_SHARE_THIS_INFO

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प्रश्न - क्या सदैव दुःख के पश्चात सुख प्राप्त होता है और क्या पिछले किये हुए कर्मों से दुख प्राप्त होता है उसे वर्तमान में हम कर्म के प्रभाव से कम कर सकते हैं?

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