15.01.2018 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 15.01.2018
Updated: 16.01.2018

Update

👉 पूज्यप्रवर के *भुवनेश्वर प्रवास का तृतीय दिवस..*
👉 वर्धमान के प्रतिनिधि के मंगल सान्निध्य में *"वर्धमान महोत्सव" का मंगल शुभारम्भ..*
👉 *"वर्धमान महोत्सव" में आचार्य श्री ने चतुर्विध धर्मसंघ को प्रवर्धमान होने का प्रदान किया "प्रेरणा पाथेय"..* कहा *"वर्धमान महोत्सव" संघ की वृद्धिमत्ता का द्योतक है।*
👉 चतुर्विध धर्मसंघ की विभिन्न प्रस्तुतियों से अनुगुंजित हुआ भुवनेश्वर..
👉 *तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल, युवक परिषद* के सदस्यों, *साध्वीवृन्द एवं समणीवृंद ने गीत के माध्यम से मंगलभावना व्यक्त की..*
👉 *साध्वीवर्या जी और मुख्यनियोजिका जी ने* अपने विचारों से *लोगों को धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने को उत्प्रेरित किया..*
👉 प्रवचन के दौरान *शांतिदूत महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के दर्शनार्थ* पहुंचे *ओड़िशा राज्य के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक*..
👉 *आचार्य श्री ने अपनी मंगलवाणी व आशीर्वाद से किया आच्छादित..*

दिनांक: 15/01/2018

🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

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*16/01/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4* का प्रवास
सुबह का प्रवास
*Bhawar singh Ji chajjer* ke nivassthan *Vijayanagaram*
शाम का प्रवास
*Chintan valsa* 5th batallian main gate opposite
Chintan valsa AP
☎8890269128,9884901680
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास *Shree Jain Swetamber Terapanth sabha*
No 5 Thakayattam Bazzar
Near police station *Gudiyattam* Tamilnadu
☎9003789485,9150179971
9488921371
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*बिलिगेरे से विहार करके शान्तीलाल जी मारू के निवास स्थान हुँसुर पधारेगे* (कर्नाटक)
☎9448385582
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Govind raj contractors*
selambi mangalam
(Chidambaram Cuddalore road)
(तमीलनाडु)
☎8107033307,9043660081
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*रमेश जी ऑचलिया के निवास स्थान पर*
*तिन्डीवनम* (तमिलनाडु)
☎9786805285,9566296874
9344656645,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Ummed ji Ranjeet Ji Bhandari*
Chandrathil Road
*Ernakulam Outer* (केरला) ☎9672039432,9246998909
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*KGF* (कर्नाटक)
☎8890788495
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*निम्बारा स्कूल से 16 KM का विहार करके कराजड़ा स्कूल में पधारेगे*
Bhubaneswar se Visakhapatnam highway
☎7297958479,9025434777
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
https://maps.google.com/?q=12.956870,77.558029
*Rajanji vikramji rishabji sethiya*
Sethiya nivas 23/1 5th main 9 cross n 10cross *Chamrajpet Bangalore*
☎9845120940,9448767555
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*North Town Apartment*
Binny Mill Villa No 10
*Chennai*
☎9962649649,9380361000
9841036201
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*जैन भवन*
114/48, Big Street (Periya Teru),
*Vadivishwaram,Nagercoil*
(तमिलनाडु)
☎9629840537
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*बल्लारी* (कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*हासन*
☎9601420513,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*पारसमल जी गादिया के निवास स्थान*
No18 कमल कुज
1st Main 1st Cross
Sri Puram Extn
*शोषाद्रीपुरम बैगलौर* (कर्नाटक)
☎7798028703,9845572842
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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👉 चेन्नई: कन्यामण्डल - Happy Mind & Healthy Body (Work shop) का आयोजन
👉 जलगांव: मुनि वृन्द का "मंगल पदार्पण"
👉 चेन्नई - अभिनव सामायिक का आयोजन
👉 विजयनगर: बेंगलोर - जैन संस्कार विधि प्रगतिमान प्रयोग
👉 राउरकेला - नये युग में बढाये कदम कार्यशाला
👉 बारडोली - जैन संस्कार विधि से सामूहिक जन्मोत्सव
👉 अहमदाबाद - तीन सिंघाड़ों का आध्यात्मिक मिलन
👉 जयपुर - पैरेंटिंग सेमिनार का आयोजन
👉 बेहाला - स्वछता अभियान
👉 आसीन्द - मेवाड़ कॉन्फ्रेन्स का आयोजन
👉 श्रीडूंगरगढ़ - स्वछता अभियान
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

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Update

👉 पूज्यप्रवर के *भुवनेश्वर प्रवास का तृतीय दिवस..*
👉 *"वर्धमान महोत्सव" का समायोजन..*
👉 पूज्य गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..
👉 कार्यक्रम के मध्य *महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के दर्शनार्थ* पहुंचे *ओड़िशा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक..*
👉 आज के *कार्यक्रम के कुछ विशेष दृश्य..*

दिनांक: 15/01/2018

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 237* 📝

*संस्कृत-सरोज-सरोवर आचार्य समन्तभद्र*

*साहित्य*

गतांक से आगे...

*स्वयंभू स्तोत्र* इसमें चतुर्विंशति तीर्थंकरों की स्तुति होने के कारण ग्रंथ का दूसरा नाम चतुर्विंशति जिनस्तुति है। इसके 143 पद्य हैं। रचना शैली सरल है। ग्रंथ की भाषा अलंकारपूर्ण है। इस ग्रंथ के विषय का युक्तिपूर्ण विवेचन विज्ञ गणों को भावविभोर कर देता है। स्तुति प्रधान इस ग्रंथ में न्याय एवं दर्शन के मौलिक बिंदुओं की अभिव्यंजना तथा पौराणिक और ऐतिहासिक बिंदुओं का समावेश रचनाकार के बहुमुखी ज्ञान की सूचना है। विषय वर्णन की स्पष्टता के कारण पाठक को तीर्थंकरों के प्रत्यक्ष दर्शन जैसे अनुभूति होने लगती है।

बसंत, इंद्रवज्रा आदि तेरह छंदों में इस ग्रंथ की रचना हुई है। कवियों ने इस ग्रंथ को सरस्वती की स्वच्छंद विहार भूमि कहा है। इस स्तोत्र के 'निर्दयभस्मसात् क्रियाम्' (1/4) पद से आचार्य समन्तभद्र को भस्मक व्याधि होने का संकेत है।

स्वतःबोध होने के कारण तीर्थंकरों को स्वयंभू कहा जाता है। प्रस्तुत स्तोत्र में तीर्थंकरों की स्तुति है, अतः इस कृति का नाम स्वयंभू स्तोत्र है अथवा ग्रंथ का प्रारंभ स्वयंभू शब्द से होने के कारण भी यह स्तोत्र स्वयंभू के नाम से प्रसिद्ध हुआ है।

*आचार्य समंतभद्र द्वारा रचित युक्त्यनुशासन ग्रंथ* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 61* 📝

*विजयरामजी अग्रवाल*

*तीन भाई*

विजय राम जी अग्रवाल मालव (मध्यप्रदेश) में तेरापंथ के प्रथम श्रावक माने जाते हैं। वे तीन भाई थे— विजयरामजी, गोमाजी और ईसरदासजी। उनके पिता झूमाजी अग्रवाल मूलतः उदयपुर के निवासी थे, परंतु कालांतर में कार्य की खोज में रतलाम आकर बस गए। वहां वे धान तोलने का कार्य करने लगे। तोलने में उनका हाथ इतना जम गया कि बटखरों के बिना भी यदि तराजू के पलड़े में धान डाल देते तो वह तोलने पर बराबर निकलता। लोगों में उनकी ईमानदारी का अत्यंत विश्वास था। वे प्रकृति से बहुत भद्र और सादगी से जीवन-यापन करने वाले व्यक्ति थे।

एक बार उनके तीनों बालकों के वस्त्र मकान की मुंडेर पर सूख रहे थे। उसी समय रतलाम नरेश का एक हाथी उसी मार्ग से गुजरा। उसने उन वस्त्रों को देखा और सूंड से उठाकर अपने मस्तक पर रख लिया। लोगों ने झूमाजी को सूचित किया कि तुम्हारे पुत्रों के वस्त्र हाथी लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा— "ले जाने दो, यह शुभ संकेत है कि मेरे पुत्र भाग्यशाली होंगे।"

वस्तुतः तीनों भाई बड़े भाग्यशाली निकले। व्यापार कार्य में वे सब अत्यंत दक्ष थे, अतः बहुत शीघ्र ही धनवानों की कोटि में आ गए और नगर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में गिने जाने लगे। वे मूलतः वैष्णव धर्म को मानने वाले थे, परंतु उनका उठना-बैठना और मैत्री संबंध बहुलतया जैनों के साथ ही था। व्यापार क्षेत्र में वे जैनों के साथ अत्यधिक संबंधित थे। स्वभावतः ही जैन धर्म से परिचित हो गए और वैष्णव धर्म के समान ही उसे भी आदर की दृष्टि से देखने लगे।

*प्रथम श्रावक*

आचार्यश्री भारमलजी के युग में संवत् 1838 में मालव भूमि में सर्वप्रथम मुनि वेणीरामजी का पदार्पण हुआ। वे उस समय रतलाम में भी पधारे। चारों ओर से विरोध के कारण उन्हें वहां स्थान प्राप्ति के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। प्रथम तीन दिनों में उन्हें 9 स्थान बदलने पड़े। स्थान प्राप्त होता किंतु विरोधी लोग स्थान दाता को भ्रांत कर देते और फिर उसके द्वारा मुनिश्री को वहां रहने का निषेध करवा देते। मुनि वेणीरामजी बड़े साहसी और निर्भीक व्यक्ति थे। उन विरोधियों की कोई परवाह नहीं करते हुए वे स्थानों की गवेषणा करते रहे। आखिर सलूनी नामक एक 'जतनी' (यति संप्रदाय की साध्वी) ने उनको अपने उपाश्रय में स्थान दिया। बहकाने वाले लोग उसके पास भी पहुंचे, परंतु उन सबको उसने ऐसा झिड़का कि फिर कभी भी उसके पास जाने का साहस ही नहीं कर पाए।

जैन समाज के व्यक्तियों द्वारा दूर देश से आए जैन मुनियों का उक्त प्रकार से विरोध होते देखा तो अनेक व्यक्तियों को आश्चर्य हुआ। वस्तुस्थिति की जिज्ञासा से वह मुनिश्री के पास आने लगे। उनमें विजयरामजी अग्रवाल आदि कुछ अजैन तथा कुछ जैन व्यक्ति थे। मुनिश्री ने उन लोगों को तत्त्वज्ञान दिया। धीरे-धीरे वे श्रद्धालु बने और फिर पक्के श्रावक बन गए। तेरापंथी बनने वाले उन लोगों में विजयरामजी आदि तीनो भाई प्रमुख थे, अतः मालव भूमि के वे प्रथम श्रावक कहे जाते हैं।

*श्रावक विजयरामजी अग्रवाल के उदार सहयोग व धार्मिक वृत्ति* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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