11.01.2018 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 11.01.2018
Updated: 13.01.2018

Update

👉 हनुमन्तनगर, बेंगलुरु: "आचार्य श्री महाश्रमण यात्रा - युवाओं का दायित्व" कार्यशाला
👉 विशाखापट्टनम: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा "रजत जयंती और मकर सक्रांति" के उपलक्ष पर "सेवा कार्य"
👉 सिरकाली: तमिलनाडु - मुमुक्षु अभिनंदन कार्यक्रम
👉 मोमासर - सेवा कार्य
👉 कटिहार - तेरापंथ समाज की उभरती प्रतिभा
👉 बीकानेर - नशा मुक्ति व सांप्रदायिक सौहार्द पर कार्यक्रम का आयोजन
👉 जोधपुर - जैन संस्कार विधि
👉 सादुलपुर-राजगढ़: अणुव्रत समिति द्वारा प्रचार कार्य
👉 जोधपुर - जैन तेरापंथ पंचांग- कैलेण्डर का विमोचन
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

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12 जनवरी का संकल्प

*तिथि:- माध कृष्णा एकादशी*

भरता जाता है घट जिस तरह बूंद - बूंद से ।
त्यागवर्ती जगे यों छोटे - छोटे संकल्पो से।।

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 234* 📝

*संस्कृत-सरोज-सरोवर आचार्य समन्तभद्र*

*जीवन-वृत्त*

गतांक से आगे...

सेनगण की पट्टावली में आचार्य समन्तभद्र के जीवन-वृत की वाराणसी में घटित घटना का उल्लेख इस प्रकार गया है

*'नवतिलिंगदेभिरामद्राक्षाभिरामभीमलिङ्गः स्वयन्वादिस्त्रोटकोत्कीरण रुद्रसांद्रचंद्रिका विशदयशः श्री चंद्रजिनेंद्र सद्दर्शन समुत्पन्नकौतूहलकलितशिवकोटि महाराजतपोराज्यस्थापकाचार्य श्रीमत्समन्तभद्रस्वामिनाम्।'*

सेनगण की प्रस्तुत पट्टावली में शिवकोटि को नवतिलिङ्ग का राजा बताया गया है, काशी का नहीं। विद्वानों का अभिमत है नवतिलिङ्ग की राजधानी संभवतः काञ्ची रही है जिसको दक्षिण भारत की काशी (काञ्ची) भी कहते हैं। राजावलिकथे, आराधनाकथाकोष, मल्लिषेण प्रशस्ति एवं सेनगण पट्टावली इन ग्रंथों में उपलब्ध सारे संदर्भों का सम्मिलित निष्कर्ष यह है आचार्य समन्तभद्र भस्मकरोग से आक्रांत हुए। काशी के शिवालय में शिवजी को अर्पित चढ़ावा भक्षण करने से उनको स्वास्थ्य लाभ हुआ। जिन स्तुति किए जाने पर लिंग स्फोटन और उसके महत्त्व से चंद्रप्रभु का बिम्ब प्रकट होने की घटना घटी। काशी नरेश शिवकोटि इस घटना से अत्यंत प्रभावित हुआ। व्याधिमुक्त होने के बाद समन्तभद्र ने पुनः मुनि दीक्षा ग्रहण की तथा संयम में स्थिर होकर वे जैन धर्म की प्रभावना में प्रवृत्त हुए। आचार्य समन्तभद्र का परिचय उन्हीं के द्वारा रचित एक श्लोक में प्राप्त होता है। वह इस प्रकार है—

*आचार्योऽहं कविरहमहं वादिराट् पण्डितोऽहं*
*दैवज्ञोऽहं भिषगहमहं मांत्रिककस्तांत्रिकोऽहं।*
*राजन्नस्यां जलधिवलियामेखलायामिलाय-*
*माज्ञासिद्धः कीमिति बहुना सिद्धसारस्वतोऽहम्।।3।।*
*(स्वयंभू स्त्रोत्र)*

स्वामी समन्तभद्र आचार्य, कवि, वादीराट्, पंडित, दैवज्ञ (ज्योतिषज्ञ), वैद्य, मांत्रिक, तांत्रिक, आज्ञासिद्ध और सारस्वत थे। आसमुद्रात् पृथ्वी पर उनका आदेश अनतिक्रमणीय था और सरस्वती उनके कंठ में विराजमान थी। समन्तभद्र आचार्य कब और किन परिस्थितियों में बने? भस्मक व्याधि द्वारा आक्रांत होने से पहले बने या बाद में बने? किसके द्वारा उनकी नियुक्ति आचार्य पद पर हुई? इसका प्रसंग प्राप्त नहीं है पर अपने द्वारा दिए गए परिचय में 'आचार्योऽहं' यह प्रथम विशेषण उनके आचार्य होने का समर्थन करता है। इसी श्लोक में आज्ञासिद्ध विशेषण शब्द संसार पर उनके पूर्ण आधिपत्य का सूचक है और सिद्ध सारस्वत का विशेषण उनकी अप्रतिहत वादशक्ति का परिचायक है। वे वाद कुशल ही नहीं वाद रसिक आचार्य भी थे। दहाड़ते हुए पञ्चानन की भांति वे सर्वत्र निर्भीक होकर विहरण करते, जैन धर्म के यथार्थ रूप को प्रकट करते और दर्शनांतरीय विद्वानों से जमकर लोहा लेते। सुप्रसिद्ध ज्ञान केंद्रों में, जनपदों में एवं सुदूर प्रदेशों में पहुंचकर उन्होंने शास्त्रार्थ किए। उनके तर्क अकाट्य हुआ करते। प्रतिद्वंदी का उनके सामने टिक पाना कठिन हो जाता। उनका नाम सुनते ही प्रतिवादी कांप उठते, हतप्रभ हो जाते एवं हकलाने लगते। दक्षिण के दिग्-दिगंत उनके शास्त्रार्थ विजय के उद्घोषों से ध्वनित थे।

*आचार्य समन्तभद्र के शास्त्रार्थ* के बारे में आगे और जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 58* 📝

*महेशदासजी मूंथा*

*जयपुर में*

महेशदासजी मूंथा तेरापंथ के नामी श्रावकों में से एक हो गए थे। वे मूलतः किशनगढ के निवासी थे किंतु बाद में जयपुर को ही उन्होंने अपना स्थाई निवास बना लिया था ऐसा उनकी गीतिकाओं से अनुमान होता है। आचार्य ऋषिराय के सम्मुख उन्होंने अपनी अनेक गीतिकाओं में ऐसी प्रार्थना की है कि आप शीघ्र ही जयपुर पधारिये। उनकी 'दिहाड़ो' नामक सुप्रसिद्ध गीतिका में भी यही प्रार्थना है—
"अब कद आस्यो जी स्वामीजी जयपुर शहर में, मुख स्यूं द्यो नी फुरमाय"

परंतु वे जयपुर कब बसे थे, इसका कोई सुनिर्णीत समय उपलब्ध नहीं है।

*पांच रुपये और शास्त्रार्थ*

पहले जब वे किशनगढ़ में रहते थे तब स्थानकवासी आम्राय को मानते थे और तेरापंथ के कट्टर विरोधी थे। सम्वत् 1869 के ग्रीष्मकाल में जब आचार्य भारमलजी किशनगढ़ पधारे तब वहां स्थानकवासियों ने चर्चा के लिए आह्वान किया। आचार्यश्री ने उसे स्वीकार कर लिया और वहां की एक बगीची में चर्चा प्रारंभ हो गई। उसमें जब विपक्ष पराजय के कगार पर पहुंच गया और निरुत्तर हो जाने पर मौन हो जाने का अवसर आ गया तब सभा के बीच में से कुछ व्यक्ति उठे और हल्ला मचा दिया कि तेरापंथी हार गए, हार गए, हार गए। इस हल्ले-गुल्ले के साथ ही जनता भी उठ गई। वहां तेरापंथ का कोई घर नहीं था। सभी अन्य संप्रदाय के ही लोग थे। तेरापंथ के प्रति उनमें द्वेष भाव था। शास्त्रार्थ में मचाया गया हल्ला उसी का परिणाम कहा जा सकता है।

शास्त्रार्थ प्रारंभ होने से पूर्व ही वहां के मुखिया व्यक्तियों ने यह योजना बना ली थी कि ज्यों ही पराजय का अवसर जान पड़े त्यों ही हल्ला मचवाकर शास्त्रार्थ को भंग कर दिया जाए। कुछ व्यक्तियों को इशारा करने के साथ ही हल्ला मचा देने के लिए जनता के बीच में बिठा दिया गया था। उन लोगों ने उस कार्य के लिए उन्हें कुछ रुपए दे दिए थे। उस सारी योजना में महेशदासजी का प्रमुख रुप से हाथ था।

कुछ समय पश्चात जब महेशदासजी तेरापंथी बन गए तब उन्होंने स्वयं ही यह भेद खोला था कि वह शास्त्रार्थ ज्ञान के बल पर नहीं किंतु रुपयों के बल पर जीता गया था। उन्होंने अपनी एक गीतिका में उस स्थिति का दिग्दर्शन इस प्रकार करवाया है—

"रुपया दीधा पांच, ते किम बोले सांच"

वे कहा करते थे कि शास्त्रार्थ केवल पांच रुपए में में जीता गया था।

*तेरापंथ में*

कुछ वहां ठहरने के पश्चात् आचार्य भारमलजी ने तो जयपुर की ओर प्रस्थान कर दिया मुनि हेमराजजी ने इंद्रगढ़ की ओर। इंद्रगढ के काफी समीप पहुंच जाने के पश्चात भी हेमराजजी को वापस किशनगढ़ ही लौटना पड़ा। मार्ग की नदी में भरपूर पानी आ जाने के कारण आगे जाने का उनका मार्ग अवरुद्ध हो गया था। उन्होंने वह चातुर्मास फिर किशनगढ़ में ही किया। चातुर्मास के प्रारंभ में तो उन्हें वहां अत्यंत विरोध का सामना करना पड़ा किंतु बाद में स्थिति बदल गई। संवत्सरी के दिन वहां एक भी पौषध नहीं हुआ जबकि दीपावली के दिन पांच पौषध हुए। चातुर्मासांत तक वहां कुछ व्यक्ति समझे और उन्होंने गुरु धारणा की, उनमें एक महेशदासजी भी थे। उन्होंने खूब ठोक-बजाकर गुरु धारणा की थी। पहले स्थानकवासी आम्नाय में वे जितने कट्टर थे उससे भी कहीं अधिक कट्टर तेरापंथ में हो गए थे। उन्होंने बाद में पचासों ही अन्य व्यक्तियों को समझा कर धर्म-मार्ग पर आरूढ़ किया था।

*महेशदासजी ने अपनी पत्नी को कैसे प्रतिबोधित किया...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*12/01/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द व समणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4* का प्रवास
सुबह 16 km का विहार करके
*KAMMASIGADAM*पधारेगे
शाम को 6km का विहार करके *BOPPADAM* पधारेगे
VISAKHAPATNAM HIGHWAY PER
☎8890269128,9884901680
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास *Shree Jain Swetamber Terapanth sabha*
No 5 Thakayattam Bazzar
Near police station *Gudiyattam* Tamilnadu
☎9003789485,9150179971
9488921371
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Bansilal ji Pitaliya* के निवास स्थान पर
BPL SHOW ROOM
K.R Nager (कर्नाटक)
☎9901135937,9448385582
9886872447,9886872448
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*जैन भवन कोरिदम*
(तमीलनाडु)
☎8107033307,9443153387
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*BDA OFFICE*
*सारम* (तमिलनाडु)
☎9786805285,9566296874
9344656645,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Thejus Auditorium*
*Nandikkara* (केरला) ☎9672039432,9961656999
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*KGF* (कर्नाटक)
☎8890788495
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*PALASA से 14 km का विहार करके Aadhinath Industry Turkolla पधारेगे*
Bhubaneswar se Visakhapatnam highway
☎7297958479,9025434777
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Babulalji Chordiya*
King Enclave
4th main 4th cross
*Chamrajpet- Bangalore*
☎7624946879,9844536804
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*North Town Apartment*
Binny Mill Villa No 10
*Chennai*
☎9962649649,9380361000
9841036201
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*जैन भवन*
114/48, Big Street (Periya Teru),
*Vadivishwaram,Nagercoil*
(तमिलनाडु)
☎9629840537
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*बल्लारी* (कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*संदीप जी सुराणा के निवास स्थान पर*
*के आर पुरम्*
*हासन (कर्नाटक)*
☎9601420513,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*Rajajinagar* *बैगलौर* (कर्नाटक)
☎7798028703,9900252718
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*आचार्य श्री महाश्रमणजी* *की सुशिष्या* *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* *एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास
*Sri jain swetamber terapanth trust*
S H G terapanth bhawan
38/new no 50 singarachari street
Near krishna sweets *Triplicane*
Chennai -5 Tamilnadu
☎9840143333
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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News in Hindi

*प्रेक्षाध्यान जिज्ञासा समाधान श्रृंखला*

उद्देश्य - साधकों के मन में उठने वाली जिज्ञासाओं का समाधान ।

*स्वयं प्रेक्षा ध्यान प्रयोग से लाभान्वित हो व अन्यो को भी लाभान्वित करे ।*

🙏🏼
*प्रेक्षा फाउंडेशन*

प्रसारक - तेरापंथ *संघ संवाद*

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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "कटक" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - ओएसएपी हाइस्कूल, कटक, जिला - कटक (ओड़िशा)

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

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