Update
07 जनवरी का संकल्प
*तिथि:- माध कृष्णा षष्ठी*
निद्रावस्था में भी रहता है हमारा मस्तिष्क पूर्ण जागृत ।
सोते समय हों शुद्ध विचार तो नहीं करता भय आकृष्ट ।।
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🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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*07/01/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द व समणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*Shree Jain Swetamber Terapanth sabha*
No 5 Thakayattam Bazzar
Near police station *Gudiyattam* Tamilnadu
☎9003789485,9150179971
9488921371
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Bansilal ji Pitaliya* के निवास स्थान पर
BPL SHOW ROOM
K.R Nager (कर्नाटक)
☎9901135937,9448385582
9886872447,9886872448
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*ज्ञानचंद जी आंचलिया के निवास स्थान पर*
*सिरकाली* (तमीलनाडु)
☎8107033307,9443153387
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*जैन स्थानक*
*मदुरान्दगम* (तमिलनाडु)
☎9786805285,9566296874
7200000096,044-27552114
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Jagannath ji ke niwas sthan per*
Shobana Complex
City Textile Opp Federal Bank
*Changaramkulam*(केरला ☎9672039432
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*KGF* (कर्नाटक)
☎8890788495
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4 का प्रवास*
*आन्ध्राप्रदेश बोडर पार कर इसापुर गॉव पधारेगे*
Bhubaneswar se Visakhapatnam highway
☎7297958479
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*प्रकाशचन्द जी बाफना*
39/2 k p Puttanna Chetty Road
5 th Main (Near Uma Talkies) *chamrajpet* Bangalore
Opp parvttama choutry
☎9448385652,9663385882
9449017771
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*Shantilal Bothra*
No 31, 5th cross
MKB nagar Chennai 39
☎9840085122,9840885586
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*जैन भवन*
114/48, Big Street (Periya Teru),
Vadivishwaram,
*Nagercoil* - 629001.
(तमिलनाडु)
☎9629840537
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*बल्लारी* (कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*निर्मल जी भंसाली के निवास स्थान पर*
*के. आर. पुरम हासन (कर्नाटक)*
☎9601420513,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*तेरापंथ भवन टी. दासरहल्ली* *से विहार करके कान्तीलाल जी गादिया के निवास स्थान Peenya पधारेगे*
बैगलौर (कर्नाटक)
☎7798028703,080-28393432
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*आचार्य श्री महाश्रमणजी* *की सुशिष्या* *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* *एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास
*Sri jain swetamber terapanth trust*
S H G terapanth bhawan
38/new no 50 singarachari street
Near krishna sweets *Triplicane*
Chennai -5 Tamilnadu
☎9840143333
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 231* 📝
*संस्कृत-सरोज-सरोवर आचार्य समन्तभद्र*
श्वेतांबर परंपरा में जो स्थान आचार्य सिद्धसेन का है, वही स्थान दिगंबर परंपरा में समन्तभद्र स्वामी का है। आचार्य समन्तभद्र असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे। वे सारस्वत आचार्यों की परंपरा में सर्वप्रथम थे। दिगंबर विद्वानों ने उनको श्रुतधर आचार्यों के समकक्ष माना है।
*गुरु-परम्परा*
आचार्य समन्तभद्र ने अपने को काञ्ची का नग्नाटक कहा है। काञ्ची मैसूर प्रांत में है और वर्तमान में वह काञ्चीवरम् नाम से प्रसिद्ध है। आचार्य समन्तभद्र के इस उल्लेख से स्पष्ट है उन्होंने जैन परंपरा में दिगंबर मुनि दीक्षा ग्रहण की थी। उनका संबंध दिगंबर संप्रदाय की किस गुरु परंपरा से था, उनके दीक्षा गुरु कौन थे? इस संबंध का निर्देश उपलब्ध नहीं है, पर मुनि जीवन में काञ्ची से उनका संबंध किसी न किसी रूप में अवश्य था।
*जन्म एवं परिवार*
आचार्य समन्तभद्र दक्षिण के क्षत्रिय राजकुमार थे। वह फणिमण्डलान्तर्गत (तमिलनाडु) उरगपुर नरेश के पुत्र थे। 'आप्तमीमांसा' कृति की प्रति-विशेष में उनके जीवन का यह परिचायक उल्लेख है। उरगपुर चोल राजाओं की सबसे प्राचीन ऐतिहासिक राजधानी थी।
आचार्य समन्तभद्र के 'जिन स्तुति विद्या' नामक काव्य के अंतर्गत 116वें पद्य की चित्र रचना के बाहर से सातवें वलय में 'शान्ति वर्म' नाम का एवं चतुर्थ वलय में 'जिन स्तुति शंत' नाम का बोध होता है। इससे प्रतीत होता है स्तुति विद्या कृति का ही दूसरा नाम जिन स्तुति और शान्ति वर्म स्वयं समन्तभद्र का ही दूसरा नाम संभव है। मुनियों के लिए वर्मान्त नामों के उल्लेख उपलब्ध नहीं हैं, अतः यह समन्तभद्र के गृहस्थ जीवन का नाम हो सकता है।
*जीवन-वृत्त*
गृहस्थ जीवन में आचार्य समन्तभद्र कितने वर्ष तक रहे? किस प्रकार के संस्कारों में पले? जैन संस्कार उन्हें कहां से प्राप्त हुए? यह अज्ञात है। मुनि जीवन में प्रवेश पाकर वे गणियों के गणी कहलाए एवं स्वामी शब्द से पहचाने गए।
आचार्य समन्तभद्र के जीवन में कई विशेष क्षमताओं का विकास था, वे प्रांजल प्रतिभा के धनी थे, ज्ञान के भंडार थे। संस्कृत भाषा पर उनका विशेष आधिपत्य था। सरस्वती की कृपा उन पर थी। दर्शनशास्त्र, न्यायशास्त्र, व्याकरण, ज्योतिष, काव्य, पुराण, इतिहास आदि तत्कालीन भारतीय विद्याओं के विविध विषय उनके आत्मगत हो गए थे।
वे स्याद्वाद के संजीवक आचार्य थे। उनका दर्शन स्याद्वाद का दर्शन था। उनकी अभिव्यक्ति स्याद्वाद की अभिव्यक्ति थी। वे जब बोलते अपने वचन को स्याद्वाद की तुला से तौलते थे। उनके उत्तरवर्ती विद्वान् आचार्यों ने उनको स्याद्वाद विद्यापति, स्याद्वाद शरीर, स्याद्वाद विद्यागुरु तथा स्याद्वाद मार्ग-अग्रणी का संबोधन देकर अपना मस्तक झुकाया। भट्ट अकलंक ने समन्तभद्र को भव्य जीवों के लिए अद्वितीय नेत्र कहा है एवं स्याद्वाद मार्ग का विशेषण प्रदान किया है।
*आचार्य समन्तभद्र के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में आगे और पढ़ेंगे व प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 55* 📝
*केसरजी भण्डारी*
*कविता प्रेमी*
केसरजी भंडारी अनेक विषयों में निष्णात व्यक्ति थे। राजकार्यों में प्रमुखता से भाग लेते हुए भी उनकी कला प्रेमिता जागरूक थी। ऐसे व्यक्ति कला क्षेत्र में प्रायः प्रेक्षक या प्रशंसक होने तक ही अपनी सीमा बनाते हैं, परंतु भंडारीजी ने तो काव्य कला के क्षेत्र में स्वयं प्रवेश कर आगे तक पद न्यास किया था। उनकी कृतियों के विषय में कहीं कोई विवरण तो क्या, संकेत भी उपलब्ध नहीं है, इसलिए निर्णीत रूप में कुछ भी कह पाना कठिन है। हाल ही में जैन विश्व भारती के ग्रंथागार में कुछ हस्तलिखित प्राचीन प्रतियां सम्मिलित हुई हैं। उसमें एक संकलनात्मक प्रति है, जिसमें भंडारीजी द्वारा रचित 'कक्का पैंतीसी' संकलित है। उसके प्रारंभ में लिखा है— 'अथ कक्का पैंतीसी भंडारी केसरजी की जोड़ लिख्यते।' इस में धार्मिक एवं नैतिक उद्बोधन देने वाले कुंडलिया छंद के 35 श्लोक हैं। वर्णमाला के प्रत्येक वर्ण को आद्य अक्षर रूप में प्रयुक्त कर एक-एक कुंडलिया का निर्माण किया गया है। अंतिम श्लोक में इसकी पूर्ति का समय संवत् 1858 आषाढ़ सुदी 7 रविवार दिया गया है। इस रचना को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह उनकी प्रारंभिक रचना नहीं है। उन्होंने इससे पूर्व-पश्चात और भी काफी कुछ लिखा होगा, परंतु अभी तो उसे गवेषणा का विषय ही कहा जा सकता है।
*केसरजी भण्डारी की कक्का पैंतीसी के कुछ पद्य उद्धृत* करेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "पानीकोली" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - पानीकोली हाईस्कूल, पानीकोली, जिला - जाजपुर (ओड़िशा)
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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👉 राजनगर - शासन श्री मुनि श्री सुखलाल जी का मर्यादा महोत्सव हेतु पदार्पण
प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*
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