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दिल्ली में #प्राकृत भाषा अकादमी की स्थापना का संकल्प
आम आदमी पार्टी एक ऐसी पार्टी बनने जा रही है जिसने सिर्फ आम आदमी की उन्नति के लिए ही कार्य नहीं किये हैं बल्कि उसके साथ साथ आम आदमी की भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए दिल्ली में 12 भाषाओं की अकादमी स्थापित करने का संकल्प किया है । इसी श्रृंखला में जैन समाज के निवेदन पर उन्होंने प्राकृत भाषा की अकादमी स्थापित करने का संकल्प किया है ।
इस संदर्भ में 27 दिसम्बर 2017 को दिल्ली विधान सभा अध्यक्ष श्री रामनिवास गोयल जी को प्राकृत भाषा की प्रथम पत्रिका 'पागद भासा' भेंट करके दिल्ली में प्राकृत अकादमी की स्थापना का ज्ञापन सौंपा गया । श्री गोयल जी से चर्चा करते हुए पागद भासा के संपादक डॉ अनेकान्त कुमार जैन,नेशनल मीडिया फॉउंडेशन की सचिव डॉ इंदु जैन और जिन फाउंडेशन के उपाध्यक्ष श्री राकेश जैन ने बताया कि यह प्राचीन काल में संस्कृत के समानांतर आम भाषा रही है और भारत की सबसे प्राचीन भाषा है जिसमें हजारों पांडुलिपियां लिखी गईं हैं । भगवान महावीर की वाणी इसी भाषा में निबद्ध है । यदि इसकी अकादमी स्थापित होती है तो सरकारी स्तर पर दिल्ली ऐसा पहला राज्य होगा और यह आम आदमी पार्टी की सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जायेगी और जैन समाज आभार मानेगी ।
श्री गोयल ने तुरंत फ़ोन पर शिक्षा मंत्री श्री मनीष शिशोदिया से बात की और डॉ अनेकान्त जैन द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को पढ़कर सुनाया । फ़ोन पर श्री मनीष जी ने कहा कि यह प्रस्ताव हमें डॉ अनेकान्त ने पहले भी भेजा था जिसे हमने स्वीकार कर लिया है तथा उन भाषाओं की लिस्ट में प्राकृत को भी शामिल कर लिया है ।
ज्ञातव्य है कि कुछ माह पूर्व डॉ अनेकान्त,डॉ इंदु एवं श्री राकेश जी ने कानून मंत्री श्री सोमनाथ भारती जी के माध्यम से यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी को भिजवाया था । कुंदकुंद भारती के मंत्री श्री अनिल जैन काठमांडू, जैन समाज के अध्यक्ष श्री चक्रेश जैन, महा सभा के अध्यक्ष श्री निर्मल सेठी जी,नेशनल मीडिया फॉउंडेशन की सचिव डॉ इंदु जैन पहले भी मुख्यमंत्री जी से प्राकृत अकादमी की स्थापना की बात साक्षात कह चुके हैं ।
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News in Hindi
अंग्रेजो का अंग्रेजी नवबर्ष मनाने से पहले सिर्फ एक बार देश की आजादी में जैन समाज के गौरव लाला हुक्म चंद जैन व उनके नाबालिग 13 वर्ष के भतीजे फकीरचंद को हांसी में उनकी ही हवेली के सामने ही 19 जनवरी 1858 को सरेआम फांसी देकर उनके मृतक शरीर को अपमान करने हेतु जलाये जाने के स्थान पर दफनाये जाने और जलियावाला बाग़ में हजारों लोगो के क़त्ल के साथ उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद कर लेना जिन्होंने अपने परिवार, जवानी, खून का बलिदान देकर हमें आज़ादी दिलाई।
भारत की आजादी के इतिहास में अंग्रेजों ने पहली फांसी वर्ष 1857 में क्रांति की शुरूआात करने वाले क्रांतिकारी मंगल पांडे को और दूसरी फांसी लाला हुकुम चंद जैन को दी थी! इस पोस्ट के साथ लाला जी और उनकी हांसी की हवेली व उनकी याद में शिलापट की फोटो संलग्न है!
26 जनवरी 2008 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर हरियाणा सरकार द्वारा लाला जी की फोटो अपनी झाकीं में प्रदर्शित की थी!
अमर शहीद लाला हुकुम चंद जैन जी के अतिरिक्त अन्य कई जैन समाज के लोग फांसी पर चढाये गए और कई की मौत पुलिस की यातना, गोलीवारी या लाठी चार्ज से हुई! हज़ारों जैन बंधुओं ने आजादी के आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया और जेल गए! “स्वतंत्रता संग्राम में जैन” पुस्तक में 600 जैन सेनानियों का प्रमाणिक विवरण प्रकाशित किया जा चुका है!
किसी अन्य धर्म के कैलेंडर के अनुसार महीना और दिन पलटने का जश्न मनाना क्या उचित होगा? क्युकी जैन त्योहारों को अन्य धर्म के लोगो द्वारा मनाये जाना आज तक जानकारी में नहीं आया जबकि अपने जैन धर्म का विश्व का प्राचीनतम व प्रमाणिक “वीर निर्वाण संवत” नवबर्ष भगवान निर्वाण कल्याणक के अगले दिन से आरम्भ होता है!
यदि हम या हमारा परिवार में से देश की आजादी में अपना सहयोग न दे सके तो कम से कम जिन्होंने अपना सब कुछ देश के लिए अर्पण कर दिया ऐसे वीरों की कुर्बानी को नमन कर उन पर जुल्म करने वाले अंग्रेजो के त्यौहार न मनाकर उन्हें सच्ची श्रधांजलि तो दे ही सकते है और शायद ऐसा कर उनकी मृत आत्मा को भी शांति पंहुचा सके!
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