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गाजे -बाजे के साथ हुआ ऋजुमती माताजी का भव्य मंगल प्रवेश
कल होगा शताब्दी समारोह का भव्य उदघाटन
-डॉ सुनील संचय,(साढूमल, ललितपुर)
Jain Star News Network | December 27,2017
श्री महावीर दिगम्बर जैन संस्कृत उ.मा.विद्यालय साढूमल (ललितपुर)के शताब्दी समारोह हेतु परमपूज्य संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज की परम विदुषी शिष्या परमपूज्य आर्यिका श्री ऋजुमति माताजी ससंघ का विशाल जुलुस के साथ भव्य मंगल प्रवेश साढूमल में भारी उत्साह पूर्वक गाजे-बाजे के साथ हुआ । समारोह के मीडिया प्रभारी डॉ सुनील संचय ने बताया कि जुलुस में संस्कृत विद्यालय के छात्र-छात्राएं अपने परिधान में पंक्तिबद्ध होकर गगनभेदी जयकारा लगाते हुए,मड़ावरा एवं साढूमल की जैन समाज, जिनवाणी प्रभावना महिला मण्डल एवं जैन युवक संघ साढूमल, जैन सेवा संघ मड़ावरा बैंड बाजे के साथ उत्साह पूर्वक चल रहे थे। लवकुश क्लब साढूमल का उत्साह भी सराहनीय था।साढूमल में प्रवेश के समय भव्य तोरणद्वार, प्रत्येक द्वार पर रंगोली बनाई गई थी।संस्कृत विद्यालय के प्रमुख द्वार पर राजुल एवं समदर्शी जैन ने बड़ी ही सुन्दर रंगोली बनाई,जिसकी बड़ी सराहना हुई,जुलुश में मड़ावरा जैन समाज के अनेक लोग शामिल रहे। शताब्दी समारोह के संयोजक श्री नंदन कुमार जैन, संतोष कुमार जैन शास्त्री,प्रबंधक देवेन्द्र कुमार जैन झंडा,मंत्री जीवन कुमार जैन,कोषाध्यक्ष सिंघई चक्रेश जैन साढूमल, प्रधानाचार्य विनीत कुमार जैन कैलगुवा,श्रेष्ठि डॉ राकेश सिंघई मड़ावरा, जैन समाज के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। मङ्गल प्रवेश के दौरान जयकारों से पूरा वातावरण धार्मिक भावनाओं से ओत-पोत हो उठा।
प्रवेश के बाद ऋजुमती माताजी ने प्रवचन में कहा की गणेश प्रसाद जी वर्णी का शिक्षा के क्षेत्र में जो योगदान रहा उसे हम युगों -युगों तक नहीं भुला सकते। इस विद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में विगत 100 वर्षों में जो अलख जगाई है वह अनुकरणीय है। शताब्दी वर्ष होना किसी भी संस्था के लिए गौरवशाली होता है।साथ ही कहा की विद्यालय में स्वरोजगार हेतु बालक -बालिकाओं को हाथकरघा उद्योग की भी शिक्षा दी जानी चाहिए, जिससे वह भविष्य के प्रति भी निश्चिंत्य हो सके। प्राचार्य विनीत कुमार जैन ने बताया कि कल उदघाटन सत्र में विद्यालय के संस्थापक के परिवारजन व हैड ट्रस्टी डॉ सुनील जैन, चक्रेश जैन, जिला विद्यालय निरीक्षक श्री वीरेंद्र कुमार दुबे,महासभा अध्यक्ष निर्मल सेठी दिल्ली, जैन जगत के मूर्धन्य विद्वान और इस विद्यालय के स्नातक डॉ शीतलचंद्र जी जयपुर, डॉ नरेंद्र गाजियाबाद, डॉ सनत कुमार जयपुर, डॉ सुनील संचय आदि अनेक विद्वान शामिल होंगे।
उदघाटन सत्र का शुभारंभ जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह और जिला विद्यालय निरीक्षक वीरेंद्र दुबे, अखिल भारतबर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्मल सेठी दिल्ली के कर कमलों द्वारा होगा। इस अवसर पर विद्यालय के 100 वर्षों के सफर को समेटे 'शताब्दी स्मारिका'का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया जायेगा। बड़ी संख्या में इस विद्यालय के देश भर के स्नातक भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।
फ़ोटो कैप्सन:
साढूमल में ऋजुमती माताजी के प्रवेश में उमड़ा जन सैलाव
विद्यालय प्रांगण में संबोधित करती माताजी ससंघ।
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श्री केशरवाडी तीर्थ:विश्व हितैषी उपधान महातपोत्सव -
मोक्षमाला -47 वां दिन
By-अभिषेख जैन,चेन्नई
Jain Star News Network | December 27,2017
धर्मनगरी चेन्नई के श्री केशरवाडी तीर्थ के परम पवित्र प्रांगण में शिवगंज निवासी श्रीमती ऊजीबाई लुबचन्दजी धुलाजी के ऋण स्मरणार्थे प.पू. विश्वपूर्णाश्रीजी म.सा. की सुशिष्या प.पू. साध्वीजी श्री हितेषपूर्णाश्रीजी म.सा. (सांसारिक सुपुत्री) के 25वें संयमजीवन अनुमोदनार्थे संघवी श्रीमती मंजुलाबाई रिखबचंदजी सतावत परिवार, चेन्नई द्वारा आयोजित विश्व हितैषी उपधान महा तपोत्सव के निश्रा दाता पू. गणिवर्य श्री पद्मचन्द्रसागरजी म.सा. फरमाते हैं कि विरति धर्म धरती के केन्द्र में है, और जिन शासन की धुरी भी विरती ही है । इन्द्र भी विरती को नमस्कार करते है । विरती से ही शासन की शुरुआत, मध्य और अन्त है । विरती यानि पापों को अटकाना उपधान तप में सर्व विरती का बीजारोपण होता है । चारित्र असीमित है, और ज्ञान-दर्शन सीमित है । हमें धर्म की क्रियाओं का अनुबंध करना चाहीये । संबंधो की सुवास दादा आदीनाथ से प्राप्त हुई है । दादा आदीनाथ ने ८३ लाख वर्ष पूर्व तक परिवार और राज्य संबंधि बातों की ही नींव रखी थी और पनपाई और मजबूत बनायी । कलिकाल सर्वज्ञ आ. श्री हेमचन्द्रचार्य ने अपनी माता की स्मृति में १ करोड़ नवकार का जाप किया था । आप्त वही होता है जो हमारे हित की चिंता करे । पू. मुनिराज श्री संभवचंद्रसागरजी म.सा. ने प्रवचन में फरमाया कि पुण्य से अनादिकाल से जमा किये हुए कचरे को निकाला जा सकता है । पुण्य से मिली संपत्ति को दान के माध्यम से हम अपनी कृषणता को दूर कर सकते है । पुण्य से हमें मन मिला । मन से हम दूसरों के गुणों की अनुमोदना अवश्य करें, निंदा न करें । आँखो से प्रभु-गुरु के दर्शन करें । जीभ को अनेक शब्दों का खजाना मिला, उसे सही सदुपयोग करें । शरीर मिला वो भी पुण्य से ही, उससे परमार्थ करें । महोत्सव में पधारे समस्त अतिथिगणों का आयोजक परिवार की ओर से संघवी विपिन सतावत से धन्यवाद ज्ञापन किया । विजय मुर्हुत में दोपहर को श्री १०८ पार्श्व पद्मावती महापूजन भव्य रुप से संपन्न हुआ ।
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आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को नवकार उपाधि
Jain Star News Network | December 27,2017
उज्जैन: जैन धर्म में दिगम्बर संप्रदाय प्रमुख संत धरती के भगवन कहलाने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को नवकार गुरु महारत्न उपाधि भेंट करने के लिए 11 सदस्यी समिति का गठन हुआ है. समिति अध्यक्ष जहाँ आयोजक विनायक अशोक लुनिया है वहीँ पुणे से नवकार गौरव एवं साधु संत सेवा रत्न अवॉर्डी रमेश ओसवाल समिति महासचिव है एवं 11 सदस्यीय उपाधि अलंकरण समिति के ९ सदस्य देश भर के अलग अलग क्षेत्रों से है जो की 28 दिसंबर को मध्य प्रदेश के राजधानी भोपाल पहुंच कर वहां से छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ पहुँच कर आचार्यश्री को उपन्धी भेंट करेंगे.
ज्ञातव्य रहे की उक्त उपाधि अलंकरण गत वर्ष उज्जैन के तपोभूमि में समाजसेवी जैन सेवक एवं पत्रकार स्व. अशोक जी लुनिया के द्वारा प्रारम्भ किया गया था. जो की जैन धर्म का सबसे बड़ा अवार्ड "नवकार उपाधि अलंकरण" के रूप में देश सहित पुरे विश्व में पहचाना जाता है. जिसका वर्ष 2017 का आयोजन भी किया जा रहा है जिसमे जैन धर्म के 34 साधु- साध्वी गुरुभगवन्तों को नवकार उपाधि भेंट कर धर्म की गरिमा बढ़ाई जा रही है तो वहीँ मध्य प्रदेश, गुजरात सहित महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रीगण व देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से 12 जैन मिनिस्टर, 32 समाजसेवीगण व 18 सामाजिक संस्थानों को उपाधि अलंकरण किया जा रहा है.
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Jain Star News Network |December 22,2017
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