13.12.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 13.12.2017
Updated: 15.12.2017

Update

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*14/12/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द व समणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*Telugu chettiyar mandapam*
Near busstand
*Bargur*
कृष्णगीरी- चेन्नैइ रोड (तमीलनाडु)
☎9003789485,9366111160
9443235611
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*GOVT HIGH SCHOOL*
*YELWAL* (कर्नाटक)
☎9901135937,9448385582
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* प्रवास
*पुनप्पम हाउस*
तंजावुर रोड
*तिरची (तमिलनाडु*-620017)
☎ 8107033307
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*जैन भवन*
*तिरूकलीकुन्ड्रम* (पक्षीतीर्थ),(तमिलनाडु)
☎9786805285,9443247152
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Casa plaza*
3rd floor 303 near ESI dispensary Chalapuram
*Calicut*(केरला)
☎9672039432
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*सिपानी फेक्ट्री नरसापुरा*से विहार करके *अरबी कतनुर सरकारी स्कूल* पधारेगे
होसकोटा- कोलार हाईवे
कोलार से 10 km पहले (कर्नाटक)
☎8890788494,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Prakashchand Rajesh Kumar Bhansali*
#9, Appajappa Agrahara Near Prakash cafe 1st main road Chamrajpet Bangalore (कर्नाटक)
☎41169636,42135241
9916378129
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*इंचोडा* सरकारी स्कुल से विहार करके *गुडीहतनुर शंकर मन्दिर* पधारेगे पधारेगे
*हैदराबाद- नागपुर रोड* (तेलंगाना)
☎9959037737
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*मिंजुर* (तमिलनाडु)
☎9444726501,9884200325
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*चित्राकल्याण मडपम्‌*
कोविलपट्टी- तिरुनेलवेली हाइवे
*कायतार* (तमिलनाडु)
☎ 9443031462,9443120339
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*राजकुमार ग्रेनाईट्स* से विहार कर *जैन इंटरप्राइजेज* पधारेंगे
*हिरियुर* (कर्नाटक)
☎9601420513
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*(कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*सामुदायिक भवन बेलूर क्रॉस*
*सीरवी*
श्रवणबेलगोला - बैगलोर रोड (कर्नाटक)
☎7798028703
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*आचार्य श्री महाश्रमणजी* *की सुशिष्या* *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* *एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास*
*JASWANT CHAND BHANDARI*
No.49 DLF COMMANDERS COURT.
APARTMENT NO: CO62, ‘C’ BLOCK, 6th FLOOR.
ETHIRAJ SALAI,EGMORE.
CHENNAI - 8 (तमिलनाडु)
☎ 9884170063,9500595000
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 *संज्ञाओं का संयम और विसर्जन हितकारी: महातपस्वी महाश्रमण*

👉 *-कांटाडीह एसएस हाईस्कूल से 16 किमी का विहार कर अहिंसा यात्रा पहुंची बलरामपुर*

👉 *-बलरामपुर स्थित सराफ धर्मशाला महातपस्वी के चरणरज से हुआ पावन*

👉 *-संज्ञाओं को आचार्यश्री ने किया विश्लेषित, अणुव्रत और प्रेक्षाध्यान की भी दी पावन प्रेरणा*

👉 *-धर्मशाला के आॅनर की हर्षाभिव्यक्ति, महातपस्वी से ग्रामीणों ने स्वीकारे अहिंसा यात्रा के संकल्प*

दिनांक - 13-12-2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

News in Hindi

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 218* 📝

*सरस्वती-कंठाभरण आचार्य सिद्धसेन*

*जीवन-वृत्त*

गतांक से आगे...

सिद्धसेन प्रगतिशील विचारों के धनी थे। उनके नवीन विचारों का विरोध होना स्वाभाविक था। द्वादश वर्षीय संघ बहिष्कार के रूप में दंड की यह पद्धति अवश्य अनुसंधान का विषय है।

आचार्य समंतभद्र द्वारा भी चंद्रप्रभु तीर्थंकर की स्तुति करते समय चंद्रप्रभुजी का बिम्ब शिवालय में प्रकट हुआ था। अतः सिद्धसेन और समंतभद्र के जीवन की ये दोनों घटनाएं एक जैसी लगती हैं।

इन दोनों आचार्यों के घटना प्रसंग का कालांतर में सम्मिश्रण हुआ प्रतीत होता है।

संघ में सम्मिलित किए जाने के बाद एक बार आचार्य सिद्धसेन ने गीतार्थ मुनियों के साथ अवंति से दक्षिण की ओर प्रस्थान किया। ग्रामानुग्राम विहरण करते हुए वे भृगुकच्छ के सीमावर्ती स्थान पर पहुंचे। वहां ग्रामीण गोपालकों ने आचार्य सिद्धसेन से कहा "गुरु महाराज! हमें कुछ सुनाओ।" तब आचार्य सिद्धसेन ने वृक्ष की छाया के नीचे गोरस के समान मधुर उपदेश दिया एवं सहज-सरल प्राकृत पद्यों में ताल रास सुनाया।

प्राकृत भाषा का यह रास सुनकर ग्वाले प्रतिबद्ध हुए। उन्होंने वहां ताल रास नामक ग्राम बसाया।

सिद्धसेन वहां से भृगुकच्छ (भृगुपुर) गए। भृगुपुर में उस समय बलमित्र के पुत्र धनंजय का राज्य था। राजा ने आचार्य सिद्धसेन का भक्तिपूर्वक सत्कार किया। धनंजय शत्रुओं से आक्रांत हुआ तब शिवसेना ने सैन्य रचना कर धनंजय को विजयी बनाया था।

सैन्य रचना में सिद्धहस्त होने के कारण उनका नाम सिद्धसेन प्रसिद्ध हुआ प्रतीत होता है।

अवंति नरेश विक्रमादित्य और बंग नरेश देवपाल की तरह भूपति धनंजय भी आचार्य सिद्धसेन का परम भक्त था।

*आचार्य सिद्धसेन के जीवन की संध्या काल के बारे में* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 42* 📝

*भूधरजी बोहरा*

*उपहास-रुची*

स्वागत भूधरजी बोहरा कंटालिया के निवासी थे। वे पहले स्थानकवासी आम्राय के श्रावक थे, परंतु बाद में स्वामी भीखणजी के मंतव्यों को उन्होंने समझा और पूर्ण रूप से उनके अनुयायी हो गए। वे एक उपहास रुचि वाले व्यक्ति थे। अन्य व्यक्ति जिस बात को कहने में संकोच करता वे उसे मजाक ही मजाक में ऐसे कह डालते जैसे कि वह कोई विशेष बात ही न हो। इस विषय में कभी-कभी वे साधुओं से भी नहीं चूकते थे।

*प्रथम स्थान*

एक बार स्थानकवासी मुनि टोडरमलजी कंटालिया में आए। भूधरजी उनसे बहुत परिचित थे। स्थंडिल भूमि जाते समय एक दिन वे सामने मिल गए तो मुनिजी ने उनसे पूछ लिया— "क्यों भूधरजी! सुना है आजकल तुम भीखणजी के अनुयायी बन गए हो। जरा हमें भी बतलाओ तो सही कि वहां तुम्हें क्या मिल गया और यहां क्या नहीं मिला था?"

भूधरजी— "हां महाराज! कुछ न कुछ मिलने या मिलने की आशा से ही तो मनुष्य कहीं अन्यत्र जाता है। मुझे वहां बहुत कुछ मिला है। सबसे प्रमुख बात तो यह है कि मुझे उनसे सम्यग् दृष्टि मिली है। अब मैं अंधेरे से प्रकाश में आया हूं और फिर साधूजनोचित आचार कौशल भी उन जैसा अन्यत्र कहीं नहीं मिला। इन्हीं सब कारणों से मैं उनका अनुयायी बन गया हूं।"

मुनि टोडरमलजी— "पहले तुम हमें गुरु माना करते थे और अब भीखणजी को मानने लगे हो, परंतु यह तो बताओ कि अब हमें क्या मानते हो?"

भूधरजी— "वाह महाराज! मैं आपको कोई साधारण मनुष्य थोड़े ही मानता हूं, मेरी दृष्टि में तो आप सबसे प्रथम गुणस्थान में आने वाले व्यक्ति हैं। आप मेरे पूर्व परिचित हैं अतः मैं आपको सबसे प्रथम स्थान देता हूं, स्वामी भीखणजी तो उस क्रम में कहीं छठे स्थान पर आते हैं।"

मुनि टोडरमलजी उनकी इस हास्य गर्भित चोट से बड़े क्रुद्ध हो गए। वहां आसपास में राजपूतों के घर थे। अनेक व्यक्ति वहीं पास में खड़े थे। उनकी ओर उन्मुख हो कर उन्होंने भूधरजी की ओर अंगुली निर्देशन करते हुए कहा— "देखो यह कैसा मुर्ख व्यक्ति है जो हम साधुओं को प्रथम गुणस्थान में गिनता है।"

भूधरजी ने भी तब अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा— "तुम ही बतलाओ भाई! मैंने इसमें बुरा क्या कहा? मैंने तो इनको सबसे प्रथम स्थान में गिना है। इतने पर भी अप्रसन्न होते हैं तो इसका मेरे पास कोई इलाज नहीं है।"

उनकी उक्त बात से सहमत होते हुए राजपूतों ने कहा— "महाराज! इसमें क्रुद्ध होने जैसी तो कोई बात नहीं है। सेठ ने तो आपको सबसे प्रथम ही माना है।"

मुनि टोडरमलजी ने जब देखा कि यहां उनका समर्थन करने तथा बात का रहस्य समझने वाला कोई नहीं है, तब चुपचाप वहां से चल पड़े। भूधरजी ने इतने पर भी अपने मजाक को और अधिक धार देते हुए कहा— "क्यों महाराज! इतने लोगों के समर्थन के बाद अब तो मेरी बात की सत्यता प्रमाणित और मान्य हो गई है न?"

मुनि टोडरमलजी उनके उस व्यंग प्रहार से कट कर रह गए। उस दिन से उन्होंने अच्छी तरह से समझ लिया कि भूधरजी पक्के तेरापंथी बन गए हैं। अब उन्हें किसी तरह से इधर-उधर नहीं किया जा सकता।

*धनी और दानी श्रावक मानोजी सुराना के प्रेरणादायी व्यक्तित्व* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*ऐतिहासिक कार्यक्रम*

दिल्ली - *विधानसभा परिसर में अणुव्रत संगोष्ठी के गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन*

🍥 कार्यक्रम के विशेष आकर्षण ~
🔅इस गौरवशाली संगोष्ठी के आयोजक स्वयं विधानसभाध्यक्ष थे।
🔅संगोष्ठी के बैकड्रॉप बैनर पर *राजकीय अशोक स्तंभ एवं अणुव्रत का लोगो* साथ-साथ थे, जो कार्यक्रम को ऐतिहासिकता प्रदान कर रहे थे।
🔅संगोष्ठी कक्ष में आचार्य श्री तुलसी का चित्र शोभायमान था।
🔅विधानसभाध्यक्ष द्वारा मुख्य वक्ता समणी निदेशिका कुसुमप्रज्ञा जी को प्रतीकचिन्ह एवं मुख्य अतिथि श्री जैन एवं स्वागताध्यक्ष श्री संचेती को पुष्पगुच्छ भेंट किये ।
🔅कार्यक्रम में विधानसभा उपाध्यक्ष कु. राखी बिड़ला एवं विधायकों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
🔅अणुव्रत पत्रिका के नई साज-सज्जायुक्त नवीन अंक का लोकार्पण
🔅विधानसभा की समृद्ध लाइब्रेरी को महासमिति द्वारा तुलसी स्मृति ग्रंथ एवं साहित्य भेंट।
🔅आभार ज्ञापन महासमिति के महामंत्री श्री प्रमोद जैन ने किया।

दिनांक - 11-12-2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

👉 *"अहिंसा यात्रा"*के बढ़ते कदम

https://goo.gl/maps/etv9SvKxbDD2 👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "बलरामपुर" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - *बलरामपुर*

दिनांक: 13/12/2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

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