12.12.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 12.12.2017
Updated: 13.12.2017

Update

https://chat.whatsapp.com/HKVhoc7aZdS6J1WZvK3WTu

*13/12/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द व समणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
T+++++++++Sb++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*AVE राजनमहल*
*कंघीकुप्पम*
कृष्णगीरी- चेन्नैइ रोड
(तमीलनाडु)
☎9003789485,9366111160
9443235611
T++++++++++S+++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*महावीर चन्द जी दरला* के निवास स्थान पर
हासन रोड दुसरा क्रोस
*इन्दकल* (कर्नाटक)
☎9901135937,9448385582
T++++++++++S+++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* प्रवास
*अजीत कुमार जी बोथरा*
लक्ष्मीपुरम्
*तिरची तमिलनाडु*620017
☎ 8107033307,9873226520
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*जैन भवन*
*तिरूकलीकुन्ड्रम* (पक्षीतीर्थ),(तमिलनाडु)
☎9786805285,9443247152
T++++++++S+++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Rajesh Kumar baid*
27/585A Heera-Sadan
Near kuttiravattam Mental hospital
*Calicut*(केरला)
☎ 7200690967,9672039442 9447606040
T++++++++S+++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*तावरेकेरे* से विहार करके *सिपानी फेक्ट्री नरसापुरा* पधारेगे
होसकोटा- कोलार हाईवे (कर्नाटक)
☎8890788494,
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर बैगलौर* (कर्नाटक)
☎080-22912735
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*विलेज NO 7* से विहार कर *इंचोडा* सरकारी स्कुल पधारेगे पधारेगे
*हैदराबाद- नागपुर रोड* (तेलंगाना)
☎9959037737
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*मिंजुर* (तमिलनाडु)
☎9444726501,9884200325
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*जतनलालजी डागा* के निवास स्थान पर
*कोविलपट्टी* (तमिलनाडु)
☎ 9443031462,9443120339
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
महावीर प्रार्थना भवन मे सुबह का प्रवचन कर *राजकुमार ग्रेनाईट्स* पधारेंगे
*हिरियुर* (कर्नाटक)
T++++++++++S+++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*(कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
T++++++++S+++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*बाल गंगाधर स्वामी कॉलेज*
बेलूर क्रॉस
श्रवणबेलगोला - बैगलोर रोड (कर्नाटक)
☎7798028703
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमणजी* *की सुशिष्या* *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* *एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास*
*JASWANT CHAND BHANDARI*
No.49 DLF COMMANDERS COURT.
APARTMENT NO: CO62, ‘C’ BLOCK, 6th FLOOR.
ETHIRAJ SALAI,EGMORE.
CHENNAI - 8 (तमिलनाडु)
☎ 9884170063,9500595000
T++++++++S+++++++++++S

*TSS वाट्स अप गुप से जुडने के लिए दिए link पर click करे*

प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

WhatsApp Group Invite
Follow this link to join

*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 *मानव जीवन रूपी वृक्ष के छह फल, जीवन को बना सकते हैं सार्थक*

👉 *-पुरुलिया को पावन कर बढ़े ज्योतिचरण, लगभग 13 किलोमीटर का हुआ विहार*

👉 *-अहिंसा यात्रा संग महातपस्वी पहुंचे कांटाडीह एस.एस. हाईस्कूल के प्रांगण*

👉 *-उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने मानव जीवन को सफल बनाने के बताए सूत्र*

👉 *-विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने आचार्यश्री से स्वीकार की संकल्पत्रयी*

दिनांक - 12-12-2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

Update

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 217* 📝

*सरस्वती-कंठाभरण आचार्य सिद्धसेन*

*जीवन-वृत्त*

गतांक से आगे...

आचार्य सिद्धसेन द्वारा अपनी स्तुति में बोले गए श्लोकों को सुनकर राजा विक्रमादित्य अत्यंत प्रसन्न हुए और बोले "धन्य है वह सभा जहां आप जैसे विद्वान् विराजमान होते हैं। अब आप हमारी सभा को अलंकृत करें।"

राजा के आग्रह पर विद्वान् सिद्धसेन वहां रहने लगे। एक दिन सिद्धसेन राजा विक्रमादित्य के साथ शिव मंदिर में गए पर शिव प्रतिमा को प्रणाम किए बिना ही वापस मुड़े। राजा विक्रमादित्य ने सिद्धसेन से नमन न करने का कारण जानना चाहा और कहा "आप ऐसा करके देवकी अवज्ञा कर रहे हैं।" तब सिद्धसेन बोले "राजन्! साधारण मनुष्य के सामने कुछ बोल कर कंठ शोष करने से कुछ लाभ नहीं होता पर तुम पुण्यशाली पुरुष हो, अतः मैं नमन नहीं करने का रहस्य तुम्हें बता रहा हूं। मेरा नमस्कार ये देव सहन नहीं कर सकेंगे।"

प्रबंध कोश के अनुसार सात वर्ष अन्यत्र परिभ्रमण करने के बाद सिद्धसेन अवंति में आए तथा शिव मंदिर में पहुंचकर प्रतिमा को नमन किए बिना ही बैठ गए। पुजारी ने उनसे प्रतिमा को प्रणाम करने के लिए पुनः-पुनः कहा, पर आचार्य सिद्धसेन पर इसका कुछ प्रभाव नहीं हुआ। उन्होंने पुजारी की बात को सुनकर अनसुना कर दिया। इस घटना की सूचना राजा के कानों तक पहुंची। विक्रमादित्य स्वयं शिव मंदिर में आया और सिद्धसेन से बोला *"क्षीरलिलिक्षो भिक्षो! किमिति त्वया देवो न वंद्यते* हे दूधपान करने वाले श्रमण! देव प्रतिमा को वंदन क्यों नहीं करते?"

आचार्य सिद्धसेन बोले "मेरा वंदन प्रतिमा सहन नहीं कर सकेगी।"

राजा बोला *"भवतु क्रियतां नमस्कारः* जो कुछ घटित होता है, होने दो। पहले वंदन करो।"

नरेश की आज्ञा से शिव प्रतिमा के सामने बैठकर आचार्य सिद्धसेन ने काव्यमयी भाषा में उच्चस्वर से पार्श्वनाथ की स्तवना प्रारंभ की। फलस्वरूप आचार्य सिद्धसेन द्वारा स्तुति काव्य के रूप में "*महान् प्रभावक कल्याण मंदिर स्तोत्र*" का निर्माण हुआ। कल्याण मंदिर स्तोत्र के 11वें श्लोक के साथ पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्रकट हुई।

आचार्य सिद्धसेन के इस कार्य से जैन शासन की प्रभावना शत गुणित हुई। राजा विक्रमादित्य ने आचार्य सिद्धसेन का सम्मान किया और उनका भक्त बन गया। राजा विक्रमादित्य की विद्वन्मंडली में भी आचार्य सिद्धसेन को गौरवमय स्थान प्राप्त हुआ।

आचार्य सिद्धसेन के इस प्रयत्न को संघ की अतिशय प्रभावना का महत्त्वपूर्ण अंग मानकर श्रमण संघ ने उन्हें दंड मर्यादा से पांच वर्ष पूर्व ही गण में सम्मिलित कर लिया।

*आचार्य सिद्धसेन के प्रभावशाली जीवन-वृत्त* के बारे में आगे और जानेंगे व प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺

त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 41* 📝

*सवाईरामजी ओस्तवाल*

*बोलती बंद*

सवाईरामजी जैसे तत्त्वज्ञ और प्रमुख श्रावक स्वामीजी के भक्त बन गए तब यह बात विपक्ष को बहुत अखरी। वे उन्हें फिर से समझा लेने के लिए बार-बार प्रयास करने लगे। सवाईरामजी इतने पक्के और तत्त्व मर्मज्ञ हो गए थे कि उन्हें अपने मार्ग से हटा पाना उन सब सबके लिए बिल्कुल ही संभव नहीं रह गया था। फिर भी उन लोगों का प्रयास चलता ही रहा।

एक दिन विरोधी संप्रदाय के साधु ने सवाईरामजी से कहा— "तुम भीखणजी की क्या प्रशंसा किया करते हो? मैंने अनेक बार उन की बोलती बंद की है।"

सवाईरामजी ने उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा— "जिस व्यक्ति के पास कोई संपत्ति और सम्मान नहीं हो वह कहीं भी अनर्गल कहते संकोच नहीं करता, परंतु जिसके पास वे दोनों हों वह प्रतिचरण उनकी रक्षा का ध्यान रखता है। अपनी सीमा से बाहर जाना उसे कभी इष्ट नहीं होता। यही बात आप साधु-जनों पर भी ठीक-ठीक लागू होती है। जिन्हें अपनी साधुता की सुरक्षा करने की कोई चिंता नहीं रहती वे तो जब जैसा चाहते हैं वैसी बातें बोल लेते हैं, परंतु जिनके सम्मुख अपनी साधुता का पहला स्थान है और शेष सब गौण, वह प्रत्येक बात नहीं कह सकते। उनके लिए सावद्य और निरवद्य का विवेक रखना आवश्यक होता है। आपने स्वामी भीखणजी से अवश्य ही कोई ऐसी बात पूछी होगी जो उन्हें बदलानी नहीं कल्पती हो। ऐसी स्थिति में अवश्य ही आप उनकी बोलती बंद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की धर्म चर्चा में तो आप ही क्या बड़े-बड़े भी उन की बोलती बंद नहीं कर पाए हैं।"

स्वामीजी के प्रति सवाईरामजी की ऐसी सुदृढ़ निष्ठा और विश्वास देखकर उक्त साधु चुपचाप अपने मार्ग पर चलते बने। स्वामीजी के श्रावक की एक ही बात ने उनकी बोलती बंद कर दी।

*किंवाड़ और किंवाड़ी*

एक बार किसी अन्य साधु ने बातचीत के सिलसिले में सवाईरामजी से कहा— "तुम हम लोगों को तो दोषी कहते हो, परंतु दोष तो भीखणजी को भी लगता ही है। वे बड़े किंवाड़ नहीं खोलते तो क्या हुआ, छोटी किंवाड़ी तो खोलते ही हैं। किंवाड़ी में 'चूलिया' छोटा भले ही हो परंतु उसकी भी पूरी प्रतिलेखना तो असंभव ही है।"

सवाईरामजी ने उत्तर में एक कहानी सुनाते हुए कहा— "एक राजा के यहां प्रधानमंत्री बड़ा कुशल और नीति परायण था। दूसरे मंत्री उससे जला करते थे। एक बार किसी मंत्री ने राजा के पास शिकायत की कि प्रधानमंत्री का आप इतना विश्वास तो करते हैं, परंतु वह आपके धन को यों ही उड़ा रहे हैं। राजा ने दोनों को आमने-सामने किया तो शिकायत करने वाले ने कहा— यह अपने लड़के को सरकारी कागज, स्याही और कलम देते रहते हैं। प्रधानमंत्री ने सफाई देते हुए कहा— प्रतिमास इन वस्तुओं को लेने का राज्य ने जितना हमें अधिकार दिया है, उसी में से मैंने अपने लड़के को यह वस्तुएं दी हैं, अतिरिक्त कुछ भी नहीं दिया है। राज्य सम्मत सीमा में रहकर कोई सरकारी व्यक्ति अपने लड़के को यह वस्तुएं दे सकता है। अतः यह कार्य नियम विरुद्ध नहीं है। राजा ने प्रधानमंत्री की नियम सम्मत बात को स्वीकार किया, तब शिकायत करने वाला स्वयं ही लज्जित होकर चुप हो गया।" सवाईरामजी ने कहा— "तुम उस शिकायत करने वाले व्यक्ति के सम्मान हो जो कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य की सीमा की ओर ध्यान दिए बिना केवल आक्षेप करना ही अपना ध्येय बना लेता है। स्वामीजी शास्त्रीय सीमा के अंदर रहकर कार्य करने वाले व्यक्ति हैं। जहां दोष की जरा सी भी संभावना होती है उस मार्ग पर वे जाते ही नहीं हैं।"

*श्रावक भूधरजी बोहरा के प्रेरणादायी व्यक्तित्व* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺

News in Hindi

👉 *"अहिंसा यात्रा"*के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "काँटाडीह" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - *काँटाडीह*

दिनांक: 12/12/2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Chennai
  2. आचार्य
  3. दर्शन
  4. भाव
  5. महावीर
  6. श्रमण
Page statistics
This page has been viewed 370 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: