04.12.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 04.12.2017
Updated: 06.12.2017

Update

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*05/12/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द व समणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*Mangal Chand ji Nitesh ji Bafna*
Mangal villa #101 2nd cross
Kamraj colony
*Hosur*
☎9095512345,8088888858 9443435633,9003789485
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*महेन्द्र जी नाहर* के निवास स्थान
*इत्तगेगुड*
*मेसुर* (कर्नाटक)
☎9901135937,9448385582
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* प्रवास
*Govt Higher secondry school*
*Timachipuram*
करूर त्रिचि हाईवे
TAMILNADU
☎ 8107033307,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*जैन भवन*
*तिरूकलीकुन्ड्रम* (पक्षीतीर्थ)
☎9786805285,9443247152
(तमिलनाडु)
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Rajesh Kumar baid*
27/585A Heera-Sadan
Near kuttiravattam Mental hospital
*Calicut*(केरला)
☎ 7200690967,9672039442 9447606040
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*इंद्रचन्द जी घर्मीचन्द जी घोका*
*होसकोटे* (कर्नाटक)
☎8890788494,9341248726
080-27931296
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*चुनिलालजी सतीशजी पोरवार*
(श्रीरामपुराम जैन स्थानक रोड)
NO.65, 5TH CROSS,
SRIRAMPURAM
BANGALORE-560021
☎.9886503777,7019813278
(कर्नाटक)
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*तिरुपती तिरूमला देव स्थान*
*बालकोंडा*
*हैदराबाद- नागपुर रोड*
(तेलंगाना)
☎9959037737
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*निर्मल जी बाठिया* के निवास स्थान पर
*ऐनुर*
☎9884200325,9840138735 9444011430
(तमिलनाडु)
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*लाल बहादुर शास्त्री स्कुल*
*सातुर कोविलपट्टी हाईवे*
(तमिलनाडु)
☎91 9443327831
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर* (कर्नाटक)
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*(कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*महावीर भवन*
*श्रवणबेलगोला*
हासन - बैगलोर हाइवे (कर्नाटक)
☎7798028703
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*आचार्य श्री महाश्रमणजी* *की सुशिष्या* *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* *एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास*
*Shri Deepak Tatia*
*39, Ethiraj Lane*
*Egmore, Chennai -8*
*Street next to DLF*
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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Update

👉 रामनाटकैरा - मंगल विहार
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

Source: © Facebook

*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 *प्रखंड सह अंचल कार्यालय से महातपस्वी ने बहाई ज्ञानगंगा*

👉 *-तोपचांची से लगभग 15 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे बाघमारा*

👉 *-ज्ञान, दर्शन और चारित्र का निरंतर विकास करने की आचार्यश्री ने दी पावन प्रेरणा*

👉 *-स्थानीय विधायक सहित बीडीओ आदि ने भी दी अपनी हर्षित भावाभिव्यक्ति*

☺ *-विधायक, बीडीओ सहित अन्य उपस्थित लोगों ने स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प*

👉 *-विधायक, बीडीओ व अन्य पदाधिकारियों के आग्रह पर आचार्यश्री ने भवन शिलान्यास के लिए सुनाया मंगलपाठ*

दिनांक 4-12-2017

प्रस्तुति -🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

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Video

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https://youtu.be/Dz9PlKKm4QY

दिनांक 04-12-2017 का पूज्य प्रवर के आज के विहार और प्रवचन का संक्षिप्त विडियो..

प्रस्तुति - अमृतवाणी

सम्प्रेषण -👇
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

News in Hindi

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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 36* 📝

*टीकमजी डोसी*

*अन्य प्रतिलिपियां*

डोसीजी द्वारा लिखित पोथे से अनंतर और परंपर रूप से अनेक प्रतिलिपियां की गई थीं, यह बात जोधपुर के भंडारी परिवार के पास स्वामीजी के ग्रंथों का जो पोथा लिखा हुआ है, उससे सिद्ध होती है। उसकी पुष्पिका में लिखा गया है— "शाह टीकम डोसी अंजार नो वासी मुख पाठ सीख नै पोथी में उतारी, तेहनी देखादेख शाह चतुरोजी वाफणा खास खेरवा ना वासी आपरी पोथी में उतारी, तेहनी देखादेख जोधपुर में भंडारयां के लिखी, विक्रम सम्वत् 1878 चैत्र प्रथम सुदि 3 शुक्रवार।"

डोसीजी दूसरी बार मारवाड़ में आए तब उनके पास स्वाध्याय तथा जिज्ञासा के लिए अपने अनेक ग्रंथ थे। उसमें *'बग्ग चूलिया'* नामक ग्रंथ भी था। मुनि खेतसीजी ने टीकमजी से उसे लिया और उसकी प्रतिलिपि कर ली। उसकी पूर्ति पर मुनिश्री ने लिखा है— "सहर पाली मध्ये दोसी टीकमजी देस कच्छ ना सहर मांडवी सूं पूजजी रा दर्शन करवा आया, त्यांरी परत सूं लख्यो छै।" उक्त प्रति पर पूर्ति सम्वत् लिखा है— सम्वत् 1859 भादवा बदी 11 सोमवार।

*सीमंधर स्वामी समाधान करेंगे*

डोसीजी स्वामीजी के ग्रंथों का संबल लेकर पुनः कच्छ चले गए और धर्म प्रचार करते रहे। अध्ययन, मनन करते समय उनके मन में योगों से संबंधित अनेक प्रश्न उठे। वे स्वयं उनका समाधान नहीं खोज पाए अतः प्रश्नों ने संदेह का रूप धारण कर लिया। शीघ्र ही संदेहशील हो जाना शायद उनके स्वभाव का एक अंग बना हुआ था। उनके साथ एक यह भी कठिनता थी कि संदेह निवृत्ति के बिना उनके मन में अशांति रहने लगती। इस बार मारवाड़ जाकर शंकाओं की निवृत्ति कर पाना भी उनके लिए संभव नहीं रह गया था, क्योंकि उस समय तक स्वामीजी दिवंगत हो चुके थे। स्वामीजी के अभाव में उनके लिए मारवाड़ का मार्ग एक प्रकार से अवरूद्ध ही हो गया। स्वामीजी के अतिरिक्त अन्य किसी के उत्तर उनके मन को आश्वस्त नहीं कर पाते थे। आखिर अपने मन की घुटन को मन में ही रखने के लिए वे बाध्य हो गए। यदि कोई उन्हें किसी का नाम लेकर कहता कि अमुक व्यक्ति बड़े विद्वान् हैं, अतः आप अपनी शंकाओं की निवृत्ति उनके पास जाकर कर लीजिए, तो बहुधा यह कहकर उस बात को टाल देते कि अब मेरी शंकाओं का समाधान तो सीमंधर स्वामी ही करेंगे।

*देहावसान*

एक बार भोजन के पश्चात उन्हें बड़े जोर से वमन हुआ। उससे वे इतने अशक्त हो गए कि अधिक दिनों तक जीवित रह सकने की आशा नहीं रही। उन्होंने तब यावज्जीवन के लिए चतुर्विध आहार का परित्याग कर संथारा ग्रहण कर लिया। पन्द्रह दिनों के चौविहार संथारे के पश्चात् उनका देहावसान हो गया।

कहा जाता है कि उन्होंने अपने चौविहार संथारे की दुर्धर्षता का अनुभव करते हुए भावी अनशनकारों के लिए कहा कि मैं तो अपने ग्रहण किए हुए व्रत को पूर्ण सावधानी के साथ पार पहुंचा दूंगा, परंतु आगे के लिए कोई चौविहार संथारा करे तो उसे पहले बहुत सोच समझकर वैसा करना चाहिए। दूसरी बात उन्होंने यह कही कि योगों की चर्चा में अधिक नहीं उलझना चाहिए क्योंकि सूक्ष्म तत्त्व सबके लिए सहज ग्राह्य नहीं हो पाता।

*श्रावक भैंरूंदासजी चण्डालिया का जीवन-वृत्त* पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 212* 📝

*सरस्वती-कंठाभरण आचार्य सिद्धसेन*

गतांक से आगे...

गोपालकों की सभा में आचार्य वृद्धवादी विजयी हुए। जय-पराजय का निर्णय आचार्य वृद्धवादी भृगुपुर में पहुंचकर विद्वद्सभा में करवाना चाहते थे, पर आचार्य सिद्धसेन अपने संकल्प पर दृढ़ थे। आचार्य वृद्धवादी ने पांडित्य का प्रदर्शन न कर समयज्ञता का कार्य किया। इस अभिमत पर आचार्य वृद्धवादी को सर्वज्ञ और उनकी सूझबूझ के सामने अपने को अल्पज्ञ मानते हुए विद्वान् सिद्धसेन ने अपनी पूर्व प्रतिज्ञा के अनुसार उनका शिष्यत्व स्वीकार किया। वे मुनि बन गए। उनका दीक्षा नाम कुमुदचंद्र रखा गया। वृद्धवादी के शिष्य परिवार में कुमुदचंद्र अत्यंत योग्य एवं प्रतिभावान् शिष्य थे।

कुल को उजागर करने वाले सुयोग्य पुत्र को पाकर जितनी प्रसन्नता एक पिता को होती है, आचार्य वृद्धवादी को भी कुमुदचंद्र जैसे कुशाग्र बुद्धि के धनी, काव्यचेता शिष्य को पाकर उतनी ही प्रसन्नता हुई। जैन शासन की सार्वभौम एवं व्यापक प्रभावना शिष्य कुमुदचंद्र के व्यक्तित्व से संभव है यह सोचकर एक दिन वृद्धवादी ने विद्वान् शिष्य कुमुदचंद्र की नियुक्ति आचार्य पद पर की। उनका नाम कुमुदचंद्र से पुनः सिद्धसेन कर दिया गया जो पहले था। आचार्य वृद्धवादी ने सिद्धसेन को स्वतंत्र विहरण का आदेश देकर अन्यत्र विहार कर दिया। नीति के अनुसार गुरु अपने शिष्यों की योग्यता को दूर रहकर भी परखा और देखा करते हैं।

प्रखर वैदुष्य के कारण आचार्य सिद्धसेन की प्रसिद्धि सर्वज्ञ पुत्र के नाम से हुई।

एक दिन सिद्धसेन अवंति के राजपथ से कहीं जा रहे थे। जन समूह उनके पीछे-पीछे चल रहा था। सर्वज्ञ पुत्र की जय हो कहकर आचार्य सिद्धसेन की विरुदावली उच्चघोषों से मार्गवर्ती चतुष्पथों पर बोली जा रही थी। अवंति शासक विक्रमादित्य का सहज आगमन सामने से हुआ। वे हाथी पर आरूढ़ थे। सर्वज्ञता की परीक्षा के लिए उन्होंने वहीं से आचार्य सिद्धसेन को मानसिक नमस्कार किया। निकट आने पर विक्रमादित्य को आचार्य सिद्धसेन ने उच्चघोषपूर्वक हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया। विक्रमादित्य बोले "बिना वंदन किए ही आप किसको आशीर्वाद दे रहे हैं?"

आचार्य सिद्धसेन ने कहा "आपने मानसिक नमस्कार किया था, उसी के उत्तर में मैंने आशीर्वाद दिया है।"

आचार्य सिद्धसेन कि इस सूक्ष्म ज्ञानशक्ति से विक्रमादित्य प्रभावित हुआ और उसने विशाल अर्थराशि का अनुदान किया। सिद्धसेन ने उस अनुदान को अस्वीकार कर दिया। उनकी इस त्यागवृत्ति ने नरेश विक्रम को और भी अधिक प्रभावित किया तथा धर्म प्रचार कार्य में उस अर्थराशि का उपयोग हुआ।

*आचार्य सिद्धसेन चित्रकूट पधारे। वहां पर क्या विशेष घटित हुआ...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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👉 अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आचार्य तुलसी दीक्षा जयंती दिवस पर शाखा मंडलों के लिए आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम सम्बन्धित निर्देश

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

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👉 *"अहिंसा यात्रा"*के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "बाघमारा" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - *बाघमारा*

दिनांक: 04-12-2017

प्रस्तुति - 🌻तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

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Sources

Source: © FacebookTerapanth Sangh Samvad
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