25.11.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 25.11.2017
Updated: 28.11.2017

Update

*26/11/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द, श्रमणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*होसुर* (तमिलनाडु)
☎ 9443435633
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*वृन्दावन गार्डन*
*कष्णराजसागरा*
☎9844079923,9448385582
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* प्रवास
*Jain terapanth bhawan*
Chitappa avenue
Rayapuram extn
*Tirupur -1*
(तमिलनाडु)
☎ 8107033307,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*गुडुवान चेरी*
(तमिलनाडु)
☎9941790593
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*"KAV Auditorium,Mundur" से प्रातः 6:40 बजे विहार करके "Nillgiri Residency, Edakkurussi,Karima,Pallakkad" पधारेंगे*
(केरला)
☎ 7200690967
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*इंद्रचन्द जी घर्मीचन्द जी घोका*
*होसकोटे* (कर्नाटक)
☎8890788494,9341248726
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Mukeshji Chandreshji Mandoth*
#337,15th Cross
Mahalakshmi Layout
Bangalore (कर्नाटक)
☎.9945613370,9964310421
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*कमारेडी*
*हैदराबाद- नागपुर रोड*
(तेलंगाना)
☎9959037737
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*S V S Jain Bhavan*
NO 23 Cross road new washermenpet (तमिलनाडु)
☎9444455062,9841368566
9841050431,9884200325
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*नौरतनमल डागा*
का निवास स्थान
४५, वैलायुदम रोड(VSV नगर)
मेहता स्कूल के पास,
*सिवाकासी* (तमिलनाडु)
☎91 9443327831
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर* (कर्नाटक)
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*(कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*कारेकेरे*
कृषि कॉलेज गेस्ट हाऊस
हासन - बैगलोर हाइवे (कर्नाटक)
☎7798028703
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*आचार्य श्री महाश्रमणजी* की सुशिष्या *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास
*Sri jain swethamber Terapanth trust* (S H G Terapanth bhavan)
38/ New No 50 Singarachari street near Krishna sweets Triplicane chennai -5 (तमिलनाडु)
☎ 9840143333
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 207* 📝

*बोधिवृक्ष आचार्य वृद्धवादी*

आचार्य वृद्धवादी ने वृद्धावस्था में दीक्षित होकर भी विद्वानों में अपना सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त किया। वे वाद कुशल एवं संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान् थे। उनका श्रम प्रधान जीवन आदर्श रूप था।

*गुरु-परंपरा*

वृद्धवादी के गुरु अनुयोगधर आचार्य स्कंदिल थे। प्रभावक चरित्र में प्राप्त उल्लेखानुसार अनुयोगधर आचार्य स्कंदिल विद्याधर गच्छ के थे। विद्याधर आम्नाय के आचार्य पादलिप्त की परंपरा में वे चिंतामणि की तरह सकल चिंतापहारी आचार्य थे। महान् तार्किक आचार्य सिद्धसेन, आचार्य वृद्धवादी के शिष्य थे।

*जन्म एवं परिवार*

वृद्धवादी ब्राह्मण पुत्र थे। उनका जन्म गौड़ देश के कौशल ग्राम में हुआ। माता-पिता तथा अन्य प्रसंग का उल्लेख नहीं है। गृहस्थ जीवन में वृद्धवादी का नाम मुकुन्द था।

*जीवन-वृत्त*

ब्राह्मण मुकुन्द की वृद्ध अवस्था थी। वैराग्य भाव जगा। संसार से विरक्ति हुई। सर्प कञ्चुकी सम भोगों का परित्याग कर विप्र मुकुन्द ने सुप्रसिद्ध अनुयोगधर आचार्य स्कंदिल के पास जैन मुनि दीक्षा ग्रहण की।

विकास का अनुबंध अवस्था से अधिक हार्दिक उत्साह से जुड़ा रहता है। व्यक्ति का अदम्य उत्साह हर अवस्था में सभी प्रकार के विकास के द्वार उद्घाटित कर सकता है। मुनि मुकुन्द का जीवन इस बात का सबल प्रमाण है।

घटना भृगुपुर की है। नव दीक्षित वृद्धि मुनि मुकुन्द में ज्ञानार्जन की तीव्र उत्कंठा थी। वे प्रहर रात्रि बीत जाने के बाद भी उच्चघोष से अप्रमत्त भावेन स्वाध्याय करते थे। उनकी गुणनिष्पन्नकारक यह स्वाध्याय प्रवृत्ति दूसरों की नींद में विघ्न-विधायक थी। गुरुवर्य ने मुनि मुकुन्द को प्रशिक्षण देते हुए कहा "तुम्हारा यह उच्चध्वनिक स्वाध्याय अन्य लोगों की नींद में अंतरायभूत होने के कारण कर्म बंध का कारण है। हिंस्र पशुओं के जागरण से अनर्थ की संभावना है। अतः नमस्कार मंत्र का जाप अथवा ध्यानमय आभ्यंतर तप ही श्रेष्ठ मार्ग है।"

सुविनीत मुनि मुकुन्द ने आचार्य देव से प्रशिक्षण पाकर दिन में स्वाध्याय करना प्रारंभ कर दिया। ज्ञान की तीव्र पिपासा उन्हें विश्राम नहीं करने देती थी। प्रतिपल अप्रमत्त भाव में लीन दृढ़संकल्पी, अध्यवसायी, अनवरत जागरूक, स्वाध्याय प्रवृत्त मुनि मुकुन्द का कर्णभेदक उच्चघोष श्रावक-श्राविका समाज को भी अखरा। किसी व्यक्ति ने व्यंग किया "मुने! आप इतना स्वाध्याय करके क्या मूसल (शुष्क लकड़ी) को पुष्पित करोगे?" श्रावक द्वारा कही गई यह बात मुनि मुकुन्द के हृदय में तीर की भांति गहरा घाव कर गई। उन्होंने ब्राह्मी विद्या की आराधना में इक्कीस दिन का तप किया। देवी प्रकट होकर बोली सर्वविद्यासिद्धो भवः।" दैविक वरदान से मुकुन्द मुनि विद्या संपन्न बने। शक्ति सामर्थ्य को प्राप्त कर मुनि मुकुन्द ने श्रावक के वचनों को सत्य सिद्ध करने की बात सोची।

*मुनि मुकुन्द ने श्रावक के वचनों को किस प्रकार सत्य सिद्ध किया...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 31* 📝

*हरचंदलालजी सिंधड़*

*नियम परिवर्तन*

जयपुर में सर्राफों की लगभग तीन सौ दुकानें थीं। लालाजी ने पंचायत बुलाई और सब के सम्मुख ढड्ढाजी की नियत का दिग्दर्शन कराया। उस समय तक वहां के बाजार का यह नियम था कि जिस दिन हुंडी पहुंचे उसी दिन उसको 'देखी' कर दे तथा बारह बजे से पहले-पहले भुगतान भेज दे। लाला ने उक्त नियम के विषय में पंचायत को बतलाया कि इस कार्य में कितनी कठिनाइयां हैं। सभी ने तब सोच-विचार के पश्चात् निश्चय किया कि जयपुर की हुंडी को देखी करने के पश्चात तीसरे दिन भुगतान कर दिया जाए तथा बाहर से आई हुंडियों का भुगतान समाचार भुगतने के पश्चात् इक्कीस दिनों में कर दिया जाए। उस समय न नोटों का प्रचलन था न बैंक ही थे। नगद रुपयों का ही भुगतान करना पड़ता था। इसलिए उसमे बड़ी कठिनाइयां थीं। लालाजी द्वारा करवाए गए इस निर्णय ने तत्रस्थ सभी व्यापारियों को काफी सुविधा प्रदान की।

*महान् शय्यातर*

लाला हरचंदलालजी जितने धनिक थे उतने ही धार्मिक भी। उन्होंने जयपुर में तेरापंथ की नींव को सुदृढ़ करने का कार्य किया। अनेक परिवार उनके संपर्क से समझे और तेरापंथी बने। उन्होंने शासन की जो सेवाएं की थीं उस परंपरा को उनकी अगली अनेक पीढ़ियों ने भी यथावत् निभाया। आचार्यश्री भारमलजी के समय संवत् 1869 से उनकी हवेली में चातुर्मास होने प्रारंभ हुए। वे कुछ अपवादों को छोड़कर संवत् 2006 तक प्रायः प्रतिवर्ष वहीं होते रहे। इतने लंबे समय तक शय्यातर का लाभ विरल परिवारों को ही मिल पाता है।

*श्रावक गेरूलालजी व्यास से तत्त्व समझकर तेरापंथ स्वीकार करने वाले श्रावक टीकमजी डोसी का जीवन-वृत्त* पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:

👉 *विषय - स्थूल और सूक्ष्म व्यक्तित्व भाग - 1*

👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*

*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

संप्रेषक: 🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

https://goo.gl/maps/KsRv7NWxR152

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "रामकनाली" पधारेंगे..

👉 आज का प्रवास - *"रामकनाली"*

दिनांक: 25/11/2017

प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

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