24.11.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 24.11.2017
Updated: 25.11.2017

Update

👉 दिल्ली विधानसभा में अणुव्रत संगोष्ठी 8 दिसंबर को
👉 फरीदाबाद - निर्माण एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर कार्यक्रम

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 *ज्योतिचरण का स्पर्श पाकर ज्योतित हो उठा खनिज संपदाओं से भरा झारखंड*

👉 *-बंग धरा ने अहिंसा यात्रा से ली विदाई तो झारखंड राज्य ने अहिंसा यात्रा का किया वेलकम*

👈 *-बराकर नदी पर बने पुल को पार करते ही आचार्यश्री ने झारखंड राज्य की सीमा में किया मंगल प्रवेश*

👉 *-अपने राजकीय अतिथि के स्वागत को पहुंचे झारखंड सरकार के मंत्री, एमपी व विधायक सहित अन्य गणमान्य*

👉 *-आचार्यश्री ने लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर पहुंचे डीवीसी उच्च विद्यालय*

👉 *-जीवन में दया-अनुकंपा रखने की दी आचार्यश्री ने दी पावन प्रेरणा*

👉 *-जन प्रतिनिधियों सहित हर्षित झारखंडवासियों ने अपने आराध्य के समक्ष अर्पित किए अपने भावनाओं के सुमन*

दिनांक - 24-11-2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

Update

*25/11/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द, श्रमणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*होसुर* (तमिलनाडु)
☎ 9443435633
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Pandavpura से विहार करके*
*Aralakuppe ग्राम Kps Main Road* पधारेगे (कर्नाटक)
☎9844079923
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* प्रवास
*Pradeep ji bothra*
Prime apartment
Emerald 3, prime Enclave vistas
Avinashi Road. Tripur (तमिलनाडु)
☎ 8107033307,7502780888
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*वण्डलूर* (तमिलनाडु)
☎9840092162
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*"Anil Ji Jain*
*Madhuram,Jaledha Nagar,Palakkad" से प्रातः 6:40 बजे विहार करके "KAV Auditorium,Mundur* पधारेंगे* (केरला)
☎ 7200690967
T++++++++S+++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*आऊलहल्ली* (कर्नाटक)
होसकोटे से 6km पहले
☎8890788494,
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Mukeshji Chandreshji Mandoth*
#337,15th Cross
Mahalakshmi Layout
Bangalore (कर्नाटक)
☎.9945613370,9964310421
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*जगद्‌मपल्ली मन्दिर* *हैदराबाद- नागपुर रोड*
(तेलंगाना)
☎9959037737
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*S V S Jain Bhavan*
NO 23 Cross road new washermenpet (तमिलनाडु)
☎9444455062,9841368566
9841050431,9884200325
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*नौरतनमल डागा*
का निवास स्थान
४५, वैलायुदम रोड(VSV नगर)
मेहता स्कूल के पास,
*सिवाकासी* (तमिलनाडु)
☎91 9443327831
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर* (कर्नाटक)
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*(कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*शांति ग्राम स्कूल*
हासन - बैगलोर हाइवे (कर्नाटक)
☎7798028703
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*आचार्य श्री महाश्रमणजी* की सुशिष्या *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास
*Sri jain swethamber Terapanth trust* (S H G Terapanth bhavan)
38/ New No 50 Singarachari street near Krishna sweets Triplicane chennai -5 (तमिलनाडु)
☎ 9840143333
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 206* 📝

*जैन आगम निधि-संरक्षक*
*आचार्य देवर्द्धिगणी क्षमाश्रमण*

*नंदी निर्यूहणकार्य*

आगम वाचना के इस अवसर पर नंदीसूत्र का निर्यूहण भी आचार्य देवर्द्धिगणी ने किया। इस निर्यूढ़ कृति में ज्ञान के व्यवस्थित रूपरेखा के साथ-साथ आगम सूत्रों की सूची तथा अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रंथों का उल्लेख है। आचार्य सुधर्मा से दूष्यगणी तक के वाचनाचार्यों की समीचीन परंपरा के नामों का क्रम इस प्रकार है—
*1.* आर्य सुधर्मा *2.* आर्य जम्बू
*3.* आर्य प्रभव *4.* आर्य शय्यम्भव
*5.* आर्य यशोभद्र *6.* आर्य संभूतविजय
*7.* आर्य भद्रबाहु *8.* आर्य स्थूलभद्र
*9.* आर्य महागिरि *10.* आर्य सुहस्ती
*11.* आर्यन बलिस्सह *12.* आर्य स्वाति
*13.* आर्य श्याम *14.* आर्य षांडिल्य
*15.* आर्य समुद्र *16.* आर्य मंगू
*17.* आर्य नन्दिल *18.* आर्य नागहस्ती
*19.* आर्य रेवतीनक्षत्र *20.* आर्य ब्रह्मद्विपकसिंह
*21.* आर्य स्कंदिल *22.* आर्य हिमवन्त
*23.* आर्य नागार्जुन *24.* आर्य भूतदिन्न
*25.* आर्य लोहित्य *26.* आर्य दूष्यगणी
*27.* आर्य देवर्द्धिगणी

चूर्णिकार जिनदास महत्तर, टीकाकार आचार्य हरिभद्र एवं मलयगिरि ने धर्म, भद्रगुप्त, वज्रस्वामी, रक्षित, गोविंद इन पांचों आचार्यों के नामगत पद्यों को प्रक्षिप्त मानकर इनकी गणना वाचक वंश परंपरा में नहीं की है।

चूर्णिकार एवं टीकाकार ने नंदीसूत्र की रचना का श्रेय आचार्य देववाचक को प्रदान किया है। देववाचक और देवर्द्धिगणी क्षमाश्रमण दोनों अभिन्न पुरुष थे।

भद्रेश्वरसूरि कृत 'कहावली' में वादी, क्षमाश्रमण, दिवाकर, वाचक इन शब्दों को एकार्थक माना है।

विद्वान् मुनि पुण्यविजयजी द्वारा नंदीसूत्र की प्रस्तावना में इस संदर्भ की समीचीन मीमांसा प्रस्तुत है।

देवर्द्धिगणी ने दर्शन एवं न्याय के युग को आगम युग के साथ अपनी साहित्य धारा के माध्यम से जोड़ा। नंदीसूत्र इसी दिशा का एक प्रयत्न है।

*आगम निधि का संरक्षण*

जैन शासन आचार्य देवर्द्धिगणी क्षमाश्रमण का युग-युग तक आभारी रहेगा। आगम लेखन कार्य से उन्होंने वीतराग वाणी को दीर्घकालवत्ता प्रदान की है एवं जैन आगम निधि को समुचित संरक्षण दिया है। उनके इस प्रयत्न के अभाव में श्रुतनिधि का जो आज रूप प्राप्त है वह नहीं होता।

*समय-संकेत*

देवर्द्धिगणी के समय में आगम वाचना का कार्य वीर निर्वाण 980 (विक्रम संवत् 510) में संपन्न हुआ यह उल्लेख प्राप्त है, पर उनके स्वर्गवास संवत् का उल्लेख प्राप्त नहीं है।

देवर्द्धिगणी अंतिम पूर्वधर थे। पूर्वज्ञान का विच्छेद वीर निर्वाण 1000 वर्ष में होने का उल्लेख आगमों में है। इस आधार पर पूर्वधर देवर्द्धिगणी का स्वर्गवास सम्वत् भी यही संभव है। देवर्द्धिगणी के स्वर्गस्थ होने के साथ पूर्वज्ञान धारा का लोप हो गया।

देवर्द्धिगणी वीर निर्वाण की प्रथम सहस्राब्दी के आगम निधि के महान संरक्षक आचार्य थे।

*उत्कर्ष युग के प्रभावक आचार्यों* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 30* 📝

*हरचंदलालजी सिंधड़*

*छह लाख की हुंडियां*

लाला हरचंदलालजी जयपुर के धनी-मानी और सुप्रसिद्ध व्यक्ति थे। उनके पूरे परिवार के तेरापंथी बन जाने की प्रसिद्धि पर अनेक व्यक्तियों को जहां प्रसन्नता हुई वहां अनेकों को रंज भी हुआ। अजमेर निवासी सदासुखजी ढड्ढा को तो यह बात बहुत ही चुभी। वे उनके व्यापार क्षेत्र में प्रतिद्वंदी थे। लालाजी के बढ़ते व्यापार से उन्हें बड़ी ईर्ष्या थी। जब उन्होंने सुना कि लालाजी पहले गुप्त तेरापंथी थे और अब प्रकट रूप से तेरापंथ की वृद्धि में भाग ले रहे हैं तो उनकी वह व्यापारिक ईर्ष्या धार्मिक द्वेष में परिणत हो गई। वे उन्हें किसी न किसी प्रकार से नीचा दिखाने का मार्ग खोजने लगे।

लालाजी की दुकानों में कार्य अधिक था, अतः रुपयों की भी अधिक आवश्यकता रहती थी। उन्होंने बाजार से हुंडियों पर काफी रुपए ले रखे थे। सदासुखजी को जब यह पता लगा तो उन्होंने उनकी हुंडियां एकत्रित करनी प्रारंभ कर दीं। लगभग छह लाख रुपयों की हुंडियां एकत्रित कर लेने पर अचानक उन्हें भुगतान के लिए लालाजी के पास भेजने की उनकी योजना थी। दुर्भाग्य या सौभाग्य हुंडियां जयपुर भेजने से एक दिन पूर्व ही उन्होंने भावावेश में यह बात हुंडी के दलाल के सम्मुख व्यक्त कर दी। बात ही बात में उन्होंने शेखी बघारते हुए उक्त दलाल से कह दिया कि जयपुर वाले लाला हरचंदलालजी की सारी इज्जत कल मिट्टी में मिल जाएगी। मेरे पास उनकी छह लाख की हुंड़ियां हैं। जब एक साथ इतना भुगतान करने की स्थिति आएगी तब दिवाला निकलते देर नहीं लगेगी।

दलाल ने बड़े आश्चर्य के साथ सारी बातें सुनीं। अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। वह लालाजी के यहां भी दलाली किया करता था। उसने तत्काल अपना कर्तव्य निश्चित किया और उसी दिन जयपुर जाकर सारे समाचार लालाजी से कहे। उस समय लगभग एक प्रहर रात्रि व्यतीत हो चुकी थी। लालाजी को रात-रात में बहुत बड़ी रकम की व्यवस्था करनी थी। उस दिन उनकी अपनी दुकान में पोते बाकी केवल पचास हजार रुपये ही नगद थे। साढ़े पांच लाख रुपयों की व्यवस्था उन्होंने अपने व्यवसायी मित्रों के पास से की। जब छह लाख रुपयों से भरे कट्टे हवेली में आ गए तब अर्द्धरात्रि के पश्चात वे निश्चिंत होकर सो गए।

दूसरे दिन प्रातः व्यापार कार्य प्रारंभ होने के साथ ही ढड्ढाजी का आदमी लालाजी के यहां हुंडियां देखी (स्वीकार) करवाने के लिए आ पहुंचा। लालाजी ने बिना किसी हिचक के सारी हुंडियां 'देखी' कर दी। मध्याह्न होने से पहले तो उन्होंने भुगतान भी भेज दिया। ढड्ढाजी के सारे मंसूबे एक साथ ही मिट्टी में मिल गए। वे लाला जी का बाल भी बांका नहीं कर पाए।

*लाला हरचंदलालजी द्वारा व्यापार क्षेत्र में कौन सा नियम परिवर्तित कराया गया...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi

👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम..
👉 हुआ *झारखंड* राज्य की सिमा में प्रवेश..

https://goo.gl/maps/9wJ9krko8UL2

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "मैथन" पधारेंगे..

👉 आज का प्रवास - *"मैथन"*

दिनांक: 24/11/2017

प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

Source: © Facebook

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