10.11.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 10.11.2017
Updated: 12.11.2017

Update

आचार्य श्री वर्द्धमानसागर जी सासंघ 84 संतो का कल श्रवणबेलगोला में पिंछी परिवर्तन हुआ

कौन होते हैं दिगम्बर मुनि? ये संत नग्न क्यों रहते हैं? कुछ लोगों को लगता हैं हम 21st Century में हैं ओर ये संत अभी भी नग्न क्यों रहते हैं ओर इन संतो को एक अलग ही पिछड़ी हुई नज़र से देखते हैं.. वे लोग ने कभी इन संतो की Daily Lifestyle and Ideology नहीं देखी ओर जानी 🙂

‘दिक् एवं अम्बरं यस्य सः दिगम्बरः।’जिनका दिक् अर्थात दिशा ही वस्त्र हो वह दिगम्बर। दिगम्बर का अर्थ यह भी उपलक्षित है जो अंतरंग-बहिरंग परिग्रह से रहित है वो निर्ग्रन्थ है। निर्ग्रन्थता का अर्थ जो क्रोध, मान, माया, लोभ, अविद्या, कुसंस्कार काम आदि अंतरंग ग्रंथि तथा धन धान्य, स्त्री, पुत्र सम्पत्ति, विभूति आदि बहिरंग ग्रंथि से जो विमुक्त है उसको निर्ग्रन्थ कहते हैं।

• वे आजीवन ब्रह्मचर्य की साधना करते हैं अर्थात मन में किसी भी प्रकार का विकार नहीं लाते इसलिए नग्न रहते हैं।

• हमेशा नंगे पैर पैदल चलते हैं।

• दिन भर (24 घंटे) में एक ही बार एक ही स्थान पर खड़े होकर अपने हाथों (अंजली) में ही पानी व शुद्ध बना हुआ भोजन लेते हैं। अगर भोजन में कोई भी जीव अथवा बाल आदि निकल आवे तो तत्काल भोजन का त्याग कर देते हैं और अगले 24 घण्टे बाद ही आहार पानी लेते हैं।

• हाथ में मयूर पंख की पिच्छी धारण करते हैं जिससे सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों को भी हटाने में उन्हें कष्ट न हो उनकी रक्षा हो। उठने-बैठने में वे इसी पिच्छी से जीवों को हटाते हैं। इसी पिच्छी को लेकर वे आजीवन धर्मध्यान साधना करते हैं

• अपनी आत्म शक्ति को बढ़ाने के लिए केशलोंच करते हैं अर्थात सिर, दाढ़ी व मूंछ के बालों को दो महीने में हाथ से निकालते हैं। कमण्डल में छना गर्म किया हुआ पानी रखते हैं। वह पानी सिर्फ शारीरिक शुद्धि के लिए काम में लेते हैं। कमण्डल नारियल का बना होता है।

Source: © Facebook

आचार्य श्री वर्द्धमानसागर जी सासंघ 84 संतो का कल श्रवणबेलगोला में पिंछी परिवर्तन हुआ #AcharyaVardhmansagar #Shravanbelgola

कौन होते हैं दिगम्बर मुनि? ये संत नग्न क्यों रहते हैं? कुछ लोगों को लगता हैं हम 21st Century में हैं ओर ये संत अभी भी नग्न क्यों रहते हैं ओर इन संतो को एक अलग ही पिछड़ी हुई नज़र से देखते हैं.. वे लोग ने कभी इन संतो की Daily Lifestyle and Ideology नहीं देखी ओर जानी 🙂

‘दिक् एवं अम्बरं यस्य सः दिगम्बरः।’जिनका दिक् अर्थात दिशा ही वस्त्र हो वह दिगम्बर। दिगम्बर का अर्थ यह भी उपलक्षित है जो अंतरंग-बहिरंग परिग्रह से रहित है वो निर्ग्रन्थ है। निर्ग्रन्थता का अर्थ जो क्रोध, मान, माया, लोभ, अविद्या, कुसंस्कार काम आदि अंतरंग ग्रंथि तथा धन धान्य, स्त्री, पुत्र सम्पत्ति, विभूति आदि बहिरंग ग्रंथि से जो विमुक्त है उसको निर्ग्रन्थ कहते हैं।

• वे आजीवन ब्रह्मचर्य की साधना करते हैं अर्थात मन में किसी भी प्रकार का विकार नहीं लाते इसलिए नग्न रहते हैं।

• हमेशा नंगे पैर पैदल चलते हैं।

• दिन भर (24 घंटे) में एक ही बार एक ही स्थान पर खड़े होकर अपने हाथों (अंजली) में ही पानी व शुद्ध बना हुआ भोजन लेते हैं।
अगर भोजन में कोई भी जीव अथवा बाल आदि निकल आवे तो तत्काल भोजन का त्याग कर देते हैं और अगले 24 घण्टे बाद ही आहार पानी लेते हैं।

• हाथ में मयूर पंख की पिच्छी धारण करते हैं जिससे सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों को भी हटाने में उन्हें कष्ट न हो उनकी रक्षा हो। उठने-बैठने में वे इसी पिच्छी से जीवों को हटाते हैं। इसी पिच्छी को लेकर वे आजीवन धर्मध्यान साधना करते हैं

• अपनी आत्म शक्ति को बढ़ाने के लिए केशलोंच करते हैं अर्थात सिर, दाढ़ी व मूंछ के बालों को दो महीने में हाथ से निकालते हैं।
कमण्डल में छना गर्म किया हुआ पानी रखते हैं। वह पानी सिर्फ शारीरिक शुद्धि के लिए काम में लेते हैं। कमण्डल नारियल का बना होता है।

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आचार्य श्री वर्द्धमानसागर जी सासंघ 84 संतो का कल श्रवणबेलगोला में पिंछी परिवर्तन हुआ #AcharyaVardhmansagar #Shravanbelgola

कौन होते हैं दिगम्बर मुनि? ये संत नग्न क्यों रहते हैं? कुछ लोगों को लगता हैं हम 21st Century में हैं ओर ये संत अभी भी नग्न क्यों रहते हैं ओर इन संतो को एक अलग ही पिछड़ी हुई नज़र से देखते हैं.. वे लोग ने कभी इन संतो की Daily Lifestyle and Ideology नहीं देखी ओर जानी 🙂

‘दिक् एवं अम्बरं यस्य सः दिगम्बरः।’जिनका दिक् अर्थात दिशा ही वस्त्र हो वह दिगम्बर। दिगम्बर का अर्थ यह भी उपलक्षित है जो अंतरंग-बहिरंग परिग्रह से रहित है वो निर्ग्रन्थ है। निर्ग्रन्थता का अर्थ जो क्रोध, मान, माया, लोभ, अविद्या, कुसंस्कार काम आदि अंतरंग ग्रंथि तथा धन धान्य, स्त्री, पुत्र सम्पत्ति, विभूति आदि बहिरंग ग्रंथि से जो विमुक्त है उसको निर्ग्रन्थ कहते हैं।

• वे आजीवन ब्रह्मचर्य की साधना करते हैं अर्थात मन में किसी भी प्रकार का विकार नहीं लाते इसलिए नग्न रहते हैं।

• हमेशा नंगे पैर पैदल चलते हैं।

• दिन भर (24 घंटे) में एक ही बार एक ही स्थान पर खड़े होकर अपने हाथों (अंजली) में ही पानी व शुद्ध बना हुआ भोजन लेते हैं।
अगर भोजन में कोई भी जीव अथवा बाल आदि निकल आवे तो तत्काल भोजन का त्याग कर देते हैं और अगले 24 घण्टे बाद ही आहार पानी लेते हैं।

• हाथ में मयूर पंख की पिच्छी धारण करते हैं जिससे सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों को भी हटाने में उन्हें कष्ट न हो उनकी रक्षा हो। उठने-बैठने में वे इसी पिच्छी से जीवों को हटाते हैं। इसी पिच्छी को लेकर वे आजीवन धर्मध्यान साधना करते हैं

• अपनी आत्म शक्ति को बढ़ाने के लिए केशलोंच करते हैं अर्थात सिर, दाढ़ी व मूंछ के बालों को दो महीने में हाथ से निकालते हैं।
कमण्डल में छना गर्म किया हुआ पानी रखते हैं। वह पानी सिर्फ शारीरिक शुद्धि के लिए काम में लेते हैं। कमण्डल नारियल का बना होता है।

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आचार्य श्री वर्द्धमानसागर जी सासंघ 84 संतो का कल श्रवणबेलगोला में पिंछी परिवर्तन हुआ #AcharyaVardhmansagar #Shravanbelgola

कौन होते हैं दिगम्बर मुनि? ये संत नग्न क्यों रहते हैं? कुछ लोगों को लगता हैं हम 21st Century में हैं ओर ये संत अभी भी नग्न क्यों रहते हैं ओर इन संतो को एक अलग ही पिछड़ी हुई नज़र से देखते हैं.. वे लोग ने कभी इन संतो की Daily Lifestyle and Ideology नहीं देखी ओर जानी 🙂

‘दिक् एवं अम्बरं यस्य सः दिगम्बरः।’जिनका दिक् अर्थात दिशा ही वस्त्र हो वह दिगम्बर। दिगम्बर का अर्थ यह भी उपलक्षित है जो अंतरंग-बहिरंग परिग्रह से रहित है वो निर्ग्रन्थ है। निर्ग्रन्थता का अर्थ जो क्रोध, मान, माया, लोभ, अविद्या, कुसंस्कार काम आदि अंतरंग ग्रंथि तथा धन धान्य, स्त्री, पुत्र सम्पत्ति, विभूति आदि बहिरंग ग्रंथि से जो विमुक्त है उसको निर्ग्रन्थ कहते हैं।

• वे आजीवन ब्रह्मचर्य की साधना करते हैं अर्थात मन में किसी भी प्रकार का विकार नहीं लाते इसलिए नग्न रहते हैं।

• हमेशा नंगे पैर पैदल चलते हैं।

• दिन भर (24 घंटे) में एक ही बार एक ही स्थान पर खड़े होकर अपने हाथों (अंजली) में ही पानी व शुद्ध बना हुआ भोजन लेते हैं।
अगर भोजन में कोई भी जीव अथवा बाल आदि निकल आवे तो तत्काल भोजन का त्याग कर देते हैं और अगले 24 घण्टे बाद ही आहार पानी लेते हैं।

• हाथ में मयूर पंख की पिच्छी धारण करते हैं जिससे सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों को भी हटाने में उन्हें कष्ट न हो उनकी रक्षा हो। उठने-बैठने में वे इसी पिच्छी से जीवों को हटाते हैं। इसी पिच्छी को लेकर वे आजीवन धर्मध्यान साधना करते हैं

• अपनी आत्म शक्ति को बढ़ाने के लिए केशलोंच करते हैं अर्थात सिर, दाढ़ी व मूंछ के बालों को दो महीने में हाथ से निकालते हैं।
कमण्डल में छना गर्म किया हुआ पानी रखते हैं। वह पानी सिर्फ शारीरिक शुद्धि के लिए काम में लेते हैं। कमण्डल नारियल का बना होता है।

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Breaking News -आचार्य श्री के 5 शिष्यों का विहार डोंगरगाँव से जगदलपुर की ओर पंचकल्ल्यंक हेतु कल हुआ था.. #AcharyaVidySagar #MuniYogsagar

आचार्य श्री के सनिध्य में चल रहे पंचकल्ल्यंक @ डोंगरगाओं.. Live telecast @ PARAS CHANNEL रोज़ आरहा हैं सुबह ओर शाम!!

महामुनि श्री योगसागर जी महाराज ससंघ आज राणा खुज्जी में प्रातःकाल पंच ऋषिराज का मंगल प्रवचन हुए कई ग्रामीणों व बालको ने #मांस_शराब त्याग का नियम लिया।

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माता पिता अपने बच्चो को संस्कार दे,उनके सामने पैसो और राग द्वेष की बाते न करे: आचार्य श्री #AcharyaVidyasagar

Parents need to impart good teachings to their kids,they do not need to talk about money and other things that are apart from liberation: acharya vidyasagar ji.

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