26.09.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 26.09.2017
Updated: 28.09.2017

Update

27 सितम्बर का संकल्प

*तिथि:- आसोज शुक्ला सप्तमी*

अरहंत-सिद्ध-आचार्य-उपाध्याय-साधु को नित ध्याएं।
द्रव्य नहीं भाव पूजा कर गुण सुमिरन से उन्नति पाएं।।

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🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

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👉 चेन्नई: अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का प्रथम दिवस - "जीवन विज्ञान दिवस"
👉 कांटाबांजी - सामूहिक तप अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित
👉 राजाजीनगर, बेंगलुरु: अभातेयुप के नवमनोनीत अध्यक्ष श्री विमल कटारिया का "स्वागत समारोह" कार्यक्रम आयोजित
👉 अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह
सूरत -अनुशासन दिवस का आयोजन
👉 रायपुर - अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का शुभारम्भ

प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

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👉 *राजरहाट, कोलकत्ता - पुज्यवर के सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का भव्य शुभारम्भ*

👉 *महातपस्वी के सान्निध्य में बंग धरा पर बही सर्वधर्म सद्भाव की बयार*

👉 *-अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के प्रथम दिन सामप्रदायिक सौहार्द दिवस के रूप में आयोजित*

👉 *-सत्य, अहिंसा संयम औषध तो धर्मगुरु चिकित्सक के समान: आचार्यश्री महाश्रमण*

👉 *-आचार्यश्री ने अणुव्रत के माध्यम से जीवन में परिवर्तन लाने की दी प्रेरणा*

👉 *-उपस्थित धर्मगुरुओं ने भी दी विचाराभिव्यक्ति, सभी ने माना सत्य, अहिंसा व मानवता की असली धर्म*

दिनांक - 26-09-2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

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Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 161* 📝

*अक्षयकोष आचार्य आर्यरक्षित*

*जीवन-वृत्त*

गतांक से आगे...

पूर्वों का अध्ययन करते हुए मुनि रक्षित ने आचार्य वज्रस्वामी से पूछा "भगवन्! अध्ययन कितना अवशिष्ट है?" आचार्य वज्रस्वामी गंभीर होकर बोले "यह प्रश्न पूछने से तुम्हें क्या लाभ है? तुम दत्तचित्त होकर पढ़ते रहो।" कई दिन के बाद पुनः यही प्रश्न मुनि रक्षित ने आचार्य वज्रस्वामी से पूछा। मुनि रक्षित के मन को समाहित करते हुए आचार्य वज्र बोले "वत्स! तुम सर्षप मात्र पढ़े हो; मेरु जितना शेष है। तुम मोहवश पूर्वों के अध्ययन को छोड़ने की सोच रहे हो। यह कांजी के बदले क्षीर का, लवण के बदले कर्पूर का, कुसुम के बदले कुमकुम का, गुंजाफल के बदले स्वर्ण का परित्याग करने जैसा है।" गुरु से प्रतिबोध पाकर मुनि रक्षित पुनः अध्ययन में स्थित हुए और नवपूर्वों का पूर्व भाग एवं दसवें पूर्व का अर्धभाग उन्होंने संपन्न कर लिया। अध्ययन के अंतराल काल में फल्गुरक्षित पुनः-पुनः ज्येष्ठ भ्राता को माता-पिता की स्मृति कराते रहते थे। दृष्टिवाद के अथाह ज्ञान को ग्रहण करते हुए एक दिन मुनि रक्षित का धैर्य डोल उठा। उन्होंने वज्रस्वामी से निवेदन किया "आप मुझे दशपुर जाने का आदेश दें, मै शेष अध्ययन के लिए शीघ्र ही लौट कर आने का प्रयास करुंगा।" आचार्य वज्र ने ज्ञानोपयोग से जाना मेरा आयुष्य कम है। मुनि रक्षित का मेरे से पुनर्मिलन असंभव है। दूसरा कोई व्यक्ति दृष्टिवाद को ग्रहण करने में समर्थ नहीं है। दसवां पूर्व मेरे तक ही सुरक्षित रह पाएगा। ऐसा प्रतीत हो रहा है।

आचार्य वज्र ने मुनि रक्षित से कहा "वत्स! परस्पर उच्चावच्च व्यवहार के लिए 'मिच्छामी दुक्कडं' है। तुम्हे जैसा सुख हो वैसा करो। तुम्हारा मार्ग शिवानुगामी हो।" इतना कहकर वज्रस्वामी मौन हो गए। गुरु का आदेश प्राप्त कर तथा उन्हें वंदन कर मुनि रक्षित फल्गुरक्षित के साथ वहां से चले।

संयमपूर्वक यात्रा करते हुए बंधु सहित मुनि रक्षित पाटलिपुत्र पहुंचे। दीक्षा प्रदाता आचार्य तोषलिपुत्र से प्रसन्नतापूर्वक मिले एवं उनसे सार्ध नौ पूर्वों के अध्ययन की बात कही। आचार्य तोषलिपुत्र ने सार्ध नौ पूर्वधर मुनि रक्षित को सर्वथा योग्य समझकर आचार्य पद पर उनकी नियुक्ति की।

आचार्य आर्यरक्षित ने दशपुर की ओर विहार किया। मुनि फल्गुरक्षित ने आगे जाकर मां को आचार्य आर्यरक्षित के आगमन की सूचना दी। ज्येष्ठ पुत्र के दर्शनार्थ उत्कंठित जननी रुद्रसोमा पुत्रागमन की प्रतीक्षा कर रही थी। आचार्य आर्यरक्षित आ गए।

बिना सूचना दिए अपने पुत्रों का यह आगमन पिता सोमदेव को अच्छा नहीं लगा। वह चाहते थे दोनों पुत्रों का नगर प्रवेश भारी उत्साह के साथ होता। सोमदेव ने विशेष स्वागतार्थ दोनों पुत्रों को नगर के बाह्य उद्यान में लौटने को कहा पर आचार्य आर्यरक्षित ने इस बात को स्वीकार नहीं किया।

पिता सोमदेव का दूसरा प्रस्ताव था "पुत्र! श्रमणवेश को छोड़कर गृहस्थाश्रम में रहो और रूप यौवन संपन्ना योग्य कन्या के साथ महोत्सवपूर्वक श्रौत विधि से विवाह कर परिवार का कुशलतापूर्वक संचालन करो। तुम्हारी माता को इससे आनंद प्राप्त होगा। गृहस्थ जीवन की गाड़ी को वहन करने के लिए तुम्हें धनोपार्जन की चिंता नहीं करनी होगी। दशपुर नरेश की कृपा से सात पीढ़ी सुख से रह सकें इतना द्रव्य मेरे पास है।"

*क्या आचार्य आर्यरक्षित और मुनि फल्गुरक्षित ने पिता सोमदेव का यह प्रस्ताव स्वीकार किया...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi

👉 कालांवाली - *साध्वी श्री चेतना श्री जी का संथारा पूर्वक देवलोक गमन*

दिनांक - 26-09-2017

प्रस्तुति -🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

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