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बड़ा गाँव, बागपत - उत्तर प्रदेश में बनाया गया यह त्रिलोक तीर्थ जैन मंदीर। तीन लोक की रचना है। नीचे 7 नरक और उपर 16 स्वर्ग लोक। उपर जो अर्धचंद्राकार है वह सिद्धशीला जहॉं सिद्ध आत्माओंका वास है। 14 राजलोक आकार में जैन विज्ञानके अनुसार बनाया गया है। Proud moment for Jainism.. #Trilok
Trilok Teerth Dham is built in shape of Jain Emblem. This temple is 317 feet in height out of which 100 feet is below the ground and 217 feet above the ground. On top of the temple there is a 31 feet tall statue of Rishabhdev made up of Ashtadhatu (8 metals) in padmasan posture. This temple is dedicated to Parshvantha. This temple also has a 108 feet Manasthamb (tower of pride). The main idol was found in 1922 when Jain saint Anant Kirti Maharaj predicted that the idol was in the hill. As the name suggests trilok teerth depicts the three lokas i.e. Adholok Madhyalok and Urdhvalok.
This temple includes a meditation center, Samavasarana, Nandishwar Dweep, Trikaal Chaubisi, Meru Temple, Lotus Temple, Parshvanath temple, Jambudweep.
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According to Jainism, which are the 5 udumbara fruits and how can you recognize them? Except these 5 Udambara fruits.. one more thing should be considered. Never try the fruit or food you don't know about. It is known as Ajaanfal in Jainism. And it's directed to not eat such until you know about actually. Below various name for those 5 Udambar fruits..
5 उदम्बर फल 🤔 कौन-कौन से होते हैं 😳जिनका त्याग श्रावक करते हैं निचे फलो के नाम दिए हैं एक फल अलग अलग नाम से हो सकते हैं इसलिए सब नाम दिए हैं इनका त्याग करें। please इसको हर कोई share करे ताकि हर किसी तक ये जानकारी पहुचे और इन फलो को कोई नहीं खाय क्योकि इन फलो में अनंत जीव हिंसा होती हैं!! #Udambar
1 • Peepal [ पीपल ] or Bodhi or Sacred Fig
2 • Udambar [ उदंबर ] or Gular or Custer Fig tree that grows Cauliflory
3 • Kathumar [ कठूमर ] or Kathgular or Hairy Fig or Devil fig or Pea Eggplant
4 • Badh [ बढ़ ] or Bargad or Banyan tree taht grows Strangler Fig
5 • Pakar [ पाकर ] or Anjeer or Common Fig or Fig
इन सबमे सबसे ज्यादा famous लास्ट वाला Fig/Anjeer हैं जो मार्किट में मिल जाता हैं और ये dry फॉर्म में भी मिलता हैं ध्यान रखे..
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News in Hindi
कही भी कोई लाइन धर्म ग्रंथो में लिखी मिल जाये तो उसे अपने जीवन मे आत्मसात करने की कोशिश करना चाहिये, जब तक प्रयास करना चाहिये जब तक वह पंक्ति हमारे जीवन में उतर कर हमें सिद्ध ना हो जाये -सुधासागर जी 😍 #MuniSudhasagar
मेने जब भी किसी पुस्तक को पढ़ना प्रारम्भ किया और शुरू की ही 2 लाइनों में अटक गया तो मेरा मन आगे जब तक नही बढ़ता जब तक मेरे चिंतन में उन 2 लाइनों का अर्थ और आशय पूरा समझ ना आ जाये चाहे इस क्रिया में मुझे पूरे सात दिन का ही समय क्यों ना लगे, पूज्यवर की यही जिज्ञाशु ओर ज्ञानार्जन की ब्रत्ति उन्हें अन्य से पृथक ओर सहज बनाती है क्योंकि वह कभी अधूरे ज्ञान से किसी भी शंका के समाधान को करने की कोशिश नही करते वह किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के पूर्व उस प्रश्न को स्वयं जीते है तब कही जाकर उसका समाधान प्रस्तुत करते है
ठीक इसी प्रकार वह किसी भी कार्य को करने के पूर्व कई बार उसके बारे में विचार करते है उसके फल का पूर्वानुमान लगाते है और अपने विचारों के माध्यम से कार्य के अच्छे और बुरे फल में अंतर निकालते हुए उसका पूर्वालोकन कर प्रथम दृष्ट्या उचित लगने पर ही कार्य का शुभारंभ करते है_ मुनिपुंगव सुधासागर जी महाराज के आशीर्वाद से किसी भी तरह के कार्य का सिद्ध होने भी यही साबित करता है कि महारज के मन मे सदैव दुसरो के प्रति करुणा ओर वात्सल्य भाव बना रहता है वह स्वप्न में भी किसी जीव को किसी भी प्रकार से दुख देने का भाव नही करते और प्राणी मात्र के कल्याण की भावना भाते रहने से ही उनके चरणों के स्पर्श मात्र से हमारे सारे दुख क्षण मात्र में नष्ट हो जाते है* पूज्यवर का मनोबल इतना दृढ़ है कि वह अपनी इक्षाशक्ति के माध्यम से दूर रहते हुए भी परोक्ष रूप से अपने प्रत्येक कार्य का आशीर्वाद अपने गुरु आचार्य विद्यासागर जी से ले लेते है और उनका आशीष पाते ही प्रत्येक कार्य को करने में उन्हें सफलता प्राप्त हो जाती है
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