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नैनागिरी शीतकाल में एक बार संघस्थ नव दीक्षित शिष्य ने आचार्य भगवंत से निवेदन करते हैं कि- रात्रि प्रतिक्रमण हम लोग रात में पढ़ नहीं सकते हैं इसलिए आपकी आज्ञा चाहते हैं कि बाहर प्रकाश उत्पन्न करने वाली लालटेन हैं,क्या उसके प्रकाश में बैठकर प्रतिक्रमण कर सकते हैं। #AcharyaVidyasagar
आचार्य भगवंत ने कहा- *प्रातः कालीन लेना चाहिए।*शिष्यों ने कहा प्रातः आप अन्य विषयों को कक्षा में पढ़ाते हैं,बाद में चर्या का समय हो जाता है इसलिए समय नहीं मिलता।
आचार्य भगवान ने कहा- *प्रतिक्रमण आधा आहार से पहले कर लिया करो आधा आहार के बाद कर लेना। शिष्यों ने मन में जान लिया कि दीपक के प्रकाश में पढ़ने की आज्ञा नहीं है।सब अपने स्थान पर चले गए।दो माह बाद वे सभी आकर कहते हैं कि अब हमें प्रतिक्रमण याद हो गया। *2 माह संबंधी दोषों के प्रायश्चित चाहते हैं.... आचार्य भगवन ने कहा- *अभी तो आप 2 महीने की दोषों के ही भागी बने हैं।यदि रात में पढ़ने की आज्ञा देते,तो जीवन पर्यंत दोष लगता रहता।
📖 *अनासक्त महायोगी पुस्तक से साभार* 📖
✍ *मुनि श्री प्रणम्यसागर जी महामुनिराज*
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पांच वक़्त के नमाज़ी 'साहिब खान' करते हैं जैन प्रतिक्रमण.. ✌️🤔 #share 📚
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आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज द्वारा प्रवचनांश -मोक्ष मार्ग में व्यवधान आता ही है, ऐसा संभव ही नहीं की व्यवधान आये बिना मोक्ष मार्ग में आगे बड़ा जा सके! #AcharyaVidyasagar
२. जैसे अपनी चिकित्सा खुद नहीं की जा सकती, वैसे ही अपने जीवन की को सुधारने के लिए एक निर्देशक की आवश्यकता होती ही है! अगर खुद ही पड़ोगे, खुद ही प्रश्न पत्र बनाओगे, खुद ही नंबर दोगे तो नंबर तो हमेशा १०० से ज्यादा ही आएंगे, ये ठीक बात नहीं है!
३. ऋद्धियाँ समीचीनता से आ जाती हैं! देवों में सबसे शक्तिशाली सर्वार्थ सिद्धि के देवों से भी अनन्त गुना ज्यादा बल गणधर परमेष्ठी में होता है! ये शक्ति सब जीवों के प्रति महान क्षमा भाव से उत्पन्न होती है!
४. अपमान के निमित्त में अगर अपने कर्मों की निर्जरा देखने लग जाओ जो मोक्ष मार्ग सरलतम हो जाए
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