Update
16 सितम्बर का संकल्प
*तिथि:- आसोज कृष्णा एकादशी*
शनिवार है आज सपरिवार हों सामयिक में लीन।
शाम 7 से 8 हो जाएं गुरु इंगित की आराधना में तल्लीन।।
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉 न्यूजर्सी,अमेरिका - भक्ति संध्या का आयोजन
👉 ह्यूस्टन,अमेरिका- मैत्री दिवस का आयोजन
👉 चेन्नई - ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
👉 भिलवाड़ा - अभातेमम अधिवेशन में नगर श्रेणी में महिला मण्डल प्रथम स्थान पर
👉 सूरत - भक्तामर एवं नवकार मंत्र द्वारा आध्यात्मिक चिकित्सा शिविर
👉 सूरत - आतंकवाद के खिलाफ बाइक द्वारा भारत की यात्रा पर निकले ओएनजीसी कमांडो का स्वागत
👉 इंदौर - ATDC प्रतिष्ठापना समारोह
👉 बिड (महा) - बारह व्रत कार्यशाला
👉 बेंगलोर - महिलामंडल सम्मानित
👉 हिसार - जीव अजीव पर प्रतियोगिता का आयोजन
👉 नोहर - महासभा अध्यक्ष की संगठन यात्रा
👉 राउरकेला - बारहव्रत कार्यशाला का आयोजन
👉 बीकानेर - सामूहिक क्षमायाचना व तप अभिनंदन समारोह
प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 153* 📝
*विलक्षण वाग्मी आचार्य वज्रस्वामी*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
प्रभावक चरित्र ग्रंथ के उल्लेख की भांति परिशिष्ट पर्व का भी उल्लेख है। दुष्काल की घड़ियों में संघ ने आकर वज्रस्वामी को गण की सुरक्षा के लिए निवेदन किया था। यह उल्लेख इस प्रकार है–
*ततश्च सकलः सङ्घो दुष्कालने कदर्थितः।*
*दीनो विज्ञापयामास सुनन्दानन्दनं मुनिम्*
*।।319।।*
*(परिशिष्ट पर्व, सर्ग 12)*
मन समाधान मांगता है वज्रस्वामी को निवेदन करते समय संघ के साथ साध्वियां भी अवश्य रही होंगी, उन्होंने भी अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी होगी। पाटलिपुत्र नगर में वज्रस्वामी ने बहन रुक्मिणी को महाव्रत शिक्षा प्रदान की थी। वह साध्वी बनी एवं साध्वी समुदाय में सम्मिलित हुई। दुष्काल की घड़ियों में साध्वी समुदाय ने किस प्रकार की कठिनाइयां थीं? क्या व्यवस्थाएं थीं? उस समय किस साध्वी के हाथ में साध्वी संघ के संचालन का दायित्व था? कौन सार-संभाल कर रही थी?
संघ को आश्वस्त रखना, उसको सुव्यवस्था प्रदान करना, साधना में आने वाली बाधाओं को निरस्त करना आचार्य का अनिवार्य दायित्व होता है। वज्रस्वामी ने संघ सुरक्षा के लिए विशाल पट फैलाया, संघ को बैठाया, आकाश की ओर ऊपर उठाकर साध्वियों की व्यवस्था क्या रही? एक पट पर मुनियों के साथ साध्वियों का बैठना मुनिचर्यानुसार कैसे संभव था?
वज्रस्वामी ने साध्वियों के लिए दूसरे पट की विकुर्वणा की हो ऐसा उल्लेख तो ग्रंथों में उपलब्ध नहीं है अथवा साध्वियों के लिए अन्य किसी प्रकार की व्यवस्था की सूचना ही नहीं है। ऐसा क्यों हुआ? इतिहास लेखक प्रभाचंद्राचार्य एवं हेमचंद्राचार्य ने इस संबंध का संकेत ग्रंथों में क्यों नहीं किया? जबकि प्रभावक चरित्र, परिशिष्ट पर्व में एक शय्यातर श्रावक का उल्लेख विशेष रुप से हुआ है। यह सारा प्रकरण गहन अनुसंधान की अपेक्षा रखता है।
वज्रस्वामी ने संघ सुरक्षा का प्रबंधन किया, उस समय परम भक्त शय्यातर किसी कारणवश बाहर गया हुआ था। कार्य से निवृत होकर वह लौटा। उसने पट पर आसीन धर्म संघ को वज्रस्वामी के साथ आकाश मार्ग में उड़ते हुए देखा। वह खिन्न हुआ।
*शय्यातर ने खिन्न होकर ऐसा क्या किया कि उसका उल्लेख ग्रन्थों में हुआ...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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