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अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
दुर्गति से हो बचना तो आचार के प्रति रहें जागरूक: आचार्यश्री महाश्रमण
-आचार्यश्री ने ‘ठाणं’ आगम में वर्णित चार दुर्गतियांे का को किया व्याख्यायित
-महिलाओं के कार्यों को आचार्यश्री ने सराहा, प्रदान किया मंगल आशीर्वाद
-असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने भी महिलाओं को किया वर्धापित
-अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के अधिवेशन के समापन पर महिलाएं पहुंची पूज्य सन्निधि में
-रिपोर्ट को किया प्रस्तुत, नई अध्यक्षा सहित पूरी कार्यसमिति में ने आचार्यश्री के समक्ष लिया शपथ
-निवर्तमान पदाधिकारियों व नवीन पदाधिकारियों ने दी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति
-विभिन्न पुरस्कारों को आचार्यश्री के समक्ष किया प्रदान, पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने भी पूज्य सन्निधि में दी प्रणति
13.09.2017 राजरहाट, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)ः जन-जन के लिए मानवता के मसीहा, महातपस्वी, महासंत, अहिंसा यात्रा प्रणेता, कीर्तिधर महापुरुष आचार्यश्री महाश्रमणजी की ने बुधवार को अपनी सन्निधि में उपस्थित श्रद्धालुओं को चार दुर्गतियों के बारे में बताया और लोगों को अपने आचार के प्रति जागरूक की पावन प्रेरणा प्रदान की। वहीं अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के 42वें वार्षिक अधिवेशन ‘योगक्षेम’ में प्रतिभाग करने देश भर से पहुंची महिलाएं आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुईं। इस दौरान उन्होंने अपना मंचीय कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इसमें महिला मंडल की गतिविधियों की जानकारी, महिला मंडल की नई अध्यक्षा सहित समस्त कार्यकारिणी की घोषणा, निवर्तमान व वर्तमान पदाधिकारियों द्वारा भावाभिव्यक्ति व महिला मंडल द्वारा पुरस्कार वितरण किया गया। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी और आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री ने सभी को अपनी मंगल आशीष प्रदान कर अभिसिंचन के साथ पावन पाथेय भी प्रदान किया। साथ ही साध्वीप्रमुखाजी ने भी समस्त महिला समाज को अपनी ममतामयी वाणी से अभिसिंचन प्रदान किया।
अध्यात्म समवसरण में उपस्थित समस्त श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने ‘ठाणं’ आगमाधारित अपने मंगल प्रवचन में कहा कि जहां जीवन जाता है वह गति होती है और जहां धर्म का अभाव हो, अपार कष्टों और दुःखों का बसेरा हो वह दुर्गति होती है। आचार्यश्री ने ‘ठाणं’ आगम में वर्णित चार प्रकार की दुर्गतियों का सविस्तार वर्णन करते हुए आदमी को अपने आचार के प्रति जागरूक रहने की पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी अपने आचार को शुद्ध रखने का प्रयास कर तो वह दुर्गति को प्राप्त होने से बच सकता है। माया, मोह, छलना आदि से आदमी को ही नहीं साधु-संतों को भी बचने का प्रयास करना चाहिए और अपनी आत्मा को निर्मल बनाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने ‘तेरापंथ प्रबोध’ द्वारा भी लोगों को पावन प्रेरणा प्रदान की।
आचार्यश्री ने अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि महिला मंडल अच्छा कार्य करने वाली संस्था है। इसकी सदस्याएं उपासिका, तत्त्वज्ञान, जैन विद्या, जैन दर्शन आदि क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही हैं। मैं इनके कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूं। इसके उपरान्त असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने महिलाओं को अपनी ममतामयी वाणी से अभिसिंचन प्रदान किया और अपने श्रद्धाबल को परिपुष्ट बनाए रखने की प्रेरणा प्रदान की।
अंत में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की निवर्तमान अध्यक्षा श्रीमती कल्पना बैद, नवनिर्वाचित अध्यक्षा श्रीमती कुमुद कच्छारा ने भी भावाभिव्यक्ति दी। निवर्तमान महामंत्री श्रीमती सुमन नाहटा ने विशेष कार्यों व गतिविधियों की जानकारी दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में श्राविका गौरव अलंकरण पुरस्कार श्रीमती प्रतिभा दूगड़ को, प्रतिभा पुरस्कार वर्ष 2016 सुश्री याशिका खटेड़, श्रीमती हंसा दसानी, तथा वर्ष 2017 के लिए डा. अंजुला विनायकिया व श्रीमती सूरजबाई बरड़िया को महिला मंडल की पदाधिकारियों व पुरस्कार प्रदाता संस्थाओं के पदाधिकारियों द्वारा प्रदान किया गया। सभी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रीमती सूरजबाई बरड़िया ने पुरस्कार प्राप्त राशि को संगठन को ही प्रदान करने की घोषणा की। आचार्यश्री ने उपस्थित महिलाओं सहित अनेक श्रद्धालुओं को अपने श्रीमुख से सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा) प्रदान की।