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अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
24वें विकास महोत्सव का विकासपुरुष की सिन्नधि में भव्य आयोजन
-महातपस्वी आचार्यश्री ने सही दिशा में विकास करने का किया आह्वान
-आचार्यश्री ने अर्पित किए कृतज्ञ भाव, स्वरचित गीत का किया संगान
-इस अवसर पर आचार्यश्री ने की विभिन्न घोषणाएं
-चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने नवमाधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी का किया स्मरण
-साध्वीवृन्द ने गीत का किया संगान, साध्वीप्रमुखाजी और साध्वीवर्याजी ने भी दिए वक्तव्य
-विकास परिषद के संयोजक व सदस्यों ने दी भावाभिव्यक्ति, तेरापंथ महिला मंडल गीत का किया संगान
30.08.2017 राजरहाट, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)ः कोलकाता के राजरहाटा में बना ‘महाश्रवण विहार’ परिसर का ‘अध्यात्म समवसरण।’ बुधवार का दिन प्रातःकाल का मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में एक अलौकिक छटा और उत्साह का समावेश। उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ के मध्य मंचासीन महातपस्वी, महासूर्य, वर्तमान विकासपुरुष आचार्यश्री महाश्रमण की मंगल सन्निधि मंे तेरापंथ धर्मसंघ के 24वें विकास महोत्सव का समायोजन अपनी भव्यता को स्वयं ही प्रकट कर रहा था।
इस महोत्सव के इतिहास में जाएं तो इसका आरम्भ लगभग 24 वर्ष पूर्व दिल्ली से हुआ जब तेरापंथ के धर्मसंघ के गणाधिपति, नवमाधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी ने अपने आचार्य पद का विसर्जन करते हुए अपने सुशिष्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी को आचार्य पद पर आसीन कर दिया और अपना पट्टोत्सव न मनाने की घोषणा कर दी। आचार्य तुलसी की इस घोषणा व प्रज्ञापुरुष आचार्यश्री महाप्रज्ञ की जागृत प्रज्ञा से उत्पन्न हो गया विकास महोत्सव और तब से यह धर्मसंघ अपने नवमें आचार्यश्री तुलसी के पट्टोत्सव को विकास महोत्सव के रूप में मनाने लगा। कोलकाता में इसका 24वां आयोजन था। इसका शुभारम्भ महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ हुआ।
सर्वप्रथम साध्वीवृन्द द्वारा गीत का संगान किया। इसके उपरान्त साध्वीवर्याजी और तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने गुरुदेव तुलसी द्वारा धर्मसंघ को दिए गए विशेष अवदानों से लेकर उनके संपूर्ण कर्तृत्व पर प्रकाश डाला।
इसके उपरान्त आचार्यश्री ने अपने मंगल प्रवचन में मनुष्यों के चार प्रकार का वर्णन करते हुए कहा कि आदमी को विकास के प्रयास और आवश्यक पुरुषार्थ के संकल्प से उन्नत होना चाहिए। आदमी को विकास करना है तो पुरुषार्थ के साथ संकल्प बल भी मजबूत होना चाहिए, तभी विकास के बारे में सोचा जा सकता है। आदमी को अपने जीवन में ज्ञान का विकास करना चाहिए। ज्ञान का सम्यक् विकास हो तो आदमी का विकास मंे स्वतः वृद्धि हो सकती है। आचार्यश्री ने बाल साधु, साध्वियों और समणश्रेणी को ज्ञान के क्षेत्र में खूब विकास करने की पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि उन्हें ज्ञान के विकास का इतना प्रयास करना चाहिए कि वे बहुश्रुत के रूप में स्थापित हो सकें। आचार्यश्री ने आचार्य तुलसी के संकल्पबल को वर्णित करते हुए उनके द्वारा राजस्थान से कोलकाता और राजस्थान से चेन्नई तक धर्मसंघ के विकास के लिए की गई यात्रा का वर्णन किया। आचार्यश्री ने सभी को विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि सभी को यह ध्यान देना चाहिए कि विकास कहीं उल्टी दिशा में तो नहीं हो रहा। विकास हमेशा सही दिशा में हो तो समाज के लिए कल्याणकारी और सार्थक हो सकता है। इस दौरान आचार्यश्री ने विकास परिषद के उपस्थित सदस्यों सहित अन्य सदस्यों के विषय में अपना वक्तव्य दिया।
आचार्यश्री ने विकास महोत्सव पर विकास की प्रेरणा लेने की प्रेरणा दी। आचार्यश्री तुलसी के प्रति कृतज्ञ भाव अर्पित करते हुए इस अवसर पर स्वरचित गीत ‘संघ में प्रोन्नति का जलता रहे प्रदीप’ का संगान भी किया। इसके उपरान्त आचार्यश्री ने विकास महोत्सव के आधारभूत पत्र का भी वाचन किया।
इस अवसर पर आचार्यश्री ने कुल 65 श्रावक-श्राविकाओं को तपोनिष्ठा श्राविका, श्रद्धानिष्ठ श्रावक, श्रद्धा की प्रतिमूर्ति और अणुव्रत सेवी जैसे अलंकरणों से संबोधित किया। आचार्यश्री ने वर्ष 2018 में कटक में होने वाले मर्यादा महोत्सव में 24 जनवरी 2018 को 2020 के मर्यादा महोत्सव के स्थान बताने की घोषणा की। आचार्यश्री ने वर्ष 2018 में चेन्नई में होने वाले चतुर्मास के 21 जुलाई 2018 को चेन्नई के माधावरम में मंगल चातुर्मासिक प्रवेश करने की घोषणा की। वर्ष 2019 में आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी बैंगलुरु में स्थित भिक्षुधाम से आरम्भ करने के भाव व्यक्त किए। साथ ही आचार्यश्री ने कोलकाता से चेन्नई के संभावित यात्रा पथ की भी घोषणा की। आचार्यश्री ने चतुर्मास की संपन्नता के उपरान्त साधु-साध्वियों व समणश्रेणी के विहार-प्रवास का निर्देश भी दिया।
इसके उपरान्त विभिन्न तपस्वियों ने अपनी तपस्या का प्रत्याख्यान किया। स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल ने गीत का संगान किया। विकास परिषद के सदस्य श्री मांगीलाल सेठिया, श्री बनेचंद मालू व विकास परिषद के संयोजक श्री कन्हैयालाल छाजेड़ ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी। इस दौरान विकास परिषद के सदस्य श्री बुधमल दुगड़ भी उपस्थित रहे। अंत में आचार्यश्री सहित चतुर्विध धर्मसंघ ने खड़े होकर संघगान किया।