12.08.2017 ►Jeevan Vigyan Academy ►Organized Auditor Training Coaching Workshop

Published: 12.08.2017
Updated: 23.10.2017

Jeevan Vigyan Academy


ShortNews in English:

Subject: Yoga Training Workshop for Teachers.

Matter: Anuvrata Committee, Hansi organised Yoga training workshop for teachers under the auspicious presence of Muni Kishanlal. Around 85 teachers from nearby schools attended the workshop. President of Anuvrata Committee and many other dignitaries were present during the workshop.

Muni Kishanlal said that teacher is one who does self study and also teaches the students. In today's world knowledge can be acquired through various mediums, teachers should acquire it and convey it to the students. Muni taught various Yogic positions, meditation techniques to the teachers and emphasised on the fact that along with education students should be taught to become more tolerant in life and this can be achieved by the regular practice of meditation and preksha dhyaan. Muni Nikunj Kumar also expressed his views.

The program began with Terapanth Mahila Mandal singing the Anuvrata song.

News in Hindi

प्रेस नोट
प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न
मुनिश्री किशनलालजी के सान्निध्य में हांसी व आस-पास की स्कूलों के 85 शिक्षकों ने एक साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया
हांसी। 12 अगस्त 2017।
आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती संत प्रेक्षाप्राध्यापक ‘शासनश्री’ मुनि किशनलालजी के सान्निध्य में अणुव्रत समिति हांसी द्वारा शनिवार को एक दिवसीय अध्यापक प्रशिक्षण योग कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें हांसी व आस-पास की स्कूलों के 85 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने एक साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस दौरान कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र जैन एडवोकेट, अध्यक्षता करते हुए हांसी के खण्ड शिक्षा अधिकरी श्री राजेश जैन,  विशिष्ट अतिथि के रूप में अणुव्रत महासमिति के सहमंत्री श्री रमेश बंसल, सम्मानित अतिथि के रूप में अणुव्रत महासमिति के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री मक्खनलाल गोयल आदि गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से उपस्थित थे।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुनिश्री किशनलालजी ने कहा कि अध्यापक वह होता है जो स्वयं अध्ययन करता है और विद्यार्थियों को शिक्षा देता है, आज के युग में मीडिया, संचार माध्यमों से ज्ञान खूब बरस रहा है। अध्यापकों के लिए यह आवश्यक है कि वह नए ज्ञान का अध्ययन कर बच्चों के सर्वांगीण विकास में योगभूत बनें।
तेरापंथ युवक परिषद हांसी के प्रधान श्री राहुल जैन ने बताया कि इस दौरान मुनिश्री ने योग मुद्रा, यौगिक क्रियाएं, दीर्घ श्वास प्रेक्षा, महाप्राण ध्वनि आदि का प्रायोगिक प्रशिक्षण देते हुए कहा कि बच्चों में शिक्षा के साथ सहन शक्ति के विकास पर ध्यान देना आवश्यक है इसके लिए आवश्यक है दीर्घ श्वास का अभ्यास अर्थात हमारा श्वास लंबा गहरा होना चाहिए, ध्यान के माध्यम से महाप्राण ध्वनि व कायोत्सर्ग के द्वारा सहन शक्ति का विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन विज्ञान एक जीने का व्यवस्थित ज्ञान है इसके लिए आवश्यक है मधुर, शालीन व स्पष्ट बोलें, संकल्प शक्ति का विकास हो, संकल्पों के द्वारा व्यक्ति में परिवर्तन घटित हो सकते हैं, सकारात्मक सोच के द्वारा विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास संभव है। मुनिश्री ने कायोत्सर्ग का प्रयोग भी करवाया गया। प्रेक्षा प्रशिक्षक श्री लाजपतराय जैन ने शरीर रचना व योग की समुचित जानकारी प्रदान की।
मुनिश्री निकुंजकुमार ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि जीवन विज्ञान के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किया जा सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए खण्ड शिक्षा अधिकारी श्री राजेश जैन ने कहा कि शिक्षकगण यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर भविष्य, राष्ट्र का निर्माण कर सकते है अनेक प्रसंग ऐसे आते हैं कि बच्चे अपने माता-पिता से ज्यादा शिक्षकों की बात को मानते हैं इससे शिक्षकों का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है, शिक्षक हमें संस्कारी बनाते हैं।
महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र जैन एडवोकेट ने मुनिश्री किशनलालजी के प्रति अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि मुनि किशनलालजी का नाम देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है उन्होंने हजारों विद्यार्थियों व शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया और इस 81 वर्ष की अवस्था में भी प्रशिक्षण दे रहे हैं यह हम सभी के लिए गौरव की बात है। महासमिति द्वारा किये जा रहे कार्यों की चर्चा करते हुए नशामुक्ति के क्षेत्र में राजस्थान के राजसमंद जिले में किये गये कार्य की सराहना की।
अणुव्रत महासमिति के कोषाध्यक्ष श्री मक्खनलाल गोयल ने कहा कि उन्होंने यह भी कहा कि जब देश आजाद हुआ उसके बाद सन् 1949 में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी ने अणुव्रत की आचार संहिता बनाई कि भ्रूण हत्या, हरे वृक्षों को नहीं काटना, आत्म हत्या नहीं करना जैसे उस समय आवश्यक नहीं थे तो भी उन्होंने पहले ही स्थिति को भांप लिया और आज यह अणुव्रत आचार संहिता सभी के लिए आवश्यक है। अतः राष्ट्र संत आचार्य तुलसी युगद्रष्टा थे। इससे पूर्व अणुव्रत की आचार संहिता का वाचन श्री रमेश बंसल सहमंत्री द्वारा किया गया।
शिक्षकों की तरफ से नारनोंद विद्यालय के शिक्षक श्री सुखवीर सिंह, हांसी विद्यालय के श्री संजकुमार, भगतसिंह विद्यालय की किरण, मानपुरा विद्यालय के श्री अशोक, प्रिंसीपल सुनीता गुप्ता आदि शिक्षकों ने अपने विचार व्यक्त किये।
अणुव्रत समिति हांसी के अध्यक्ष श्री अशोक जैन, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री दर्शन कुमार जैन एवं कार्य समिति सदस्य श्री लाजपतराय जैन ने महासमिति के अध्यक्ष, सहमंत्री व कोषाध्यक्ष व शिक्षा जगत के खण्ड शिक्षा अधिकारी का अभिनन्दन किया।
इस दौरान अणुव्रत समिति हांसी के अध्यक्ष श्री अशोक कुमार जैन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महिपाल सिंह जैन, उपाध्यक्ष श्री सुभाषचन्द जैन, मंत्री पवन कुमार गर्ग, कोषाध्यक्ष श्री रमेश कुमार जैन, संगठनमंत्री श्री विनोद कुमार जैन, अणुव्रत समिति हांसी के सदस्य श्री अजय गोयल, श्री प्रवीण अग्रवाल, श्री अजयकुमार जैन, श्री विजय जैन, प्रेक्षा प्रशिक्षक श्री लाजपतराय जैन, श्री अमित गामड़िया, श्री सुनील जैन आदि ने आए अतिथियों का मोमेन्टो व साहित्य भेंट कर सम्मान किया।
कार्यक्रम का प्रारंभ तेरापंथ महिला मण्डल के द्वारा अणुव्रत गीत के संगान से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रेक्षा प्रशिक्षक श्री लाजपतराय जैन ने किया।
- राहुल जैन

Sources
jeevan vigyan
Muni Kishanlal
ShortNews in English: Chandni Sethia
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