11.08.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 11.08.2017
Updated: 13.08.2017

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#संस्मरण #AcharyaShantisagar 🙂✌️

......आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की ऊँचाई 6 फुट 2 इंच थी, दिल्ली में एक घटना हुई थी, महाराज जी सुबह जंगल में जाते थे, तो फिर दस लोग उनके साथ चलते थे, एक दिन पंडित जगनमोहन लाल शास्त्री वह पहुच गए, और उन्होंने कुछ ऐसी बात देख ली, तो जाकर महाराज जी से शिकायत करदी, महाराज जी ये लोग आपके साथ भक्ति से नहीं चलते, इसके पीछे बहुत बड़ा रहस्य है, तो महाराज जी ने पूछा "क्या बात है क्यों चलते है" तो पंडित जी बोलते है की ये लोग आपको छुपा कर चलते है, तो महाराज जी बोले "मेरे को छुपा कर चलते है क्यों" तो पंडित जी बोले यहाँ पर अंग्रेजी ब्रिटिश शासन है तो यहाँ पर कोई भी नग्न अवस्था में निकल नहीं सकता, इसलिए ये लोग आपको छुपा कर चलते है, तो महाराज जी बोले "जब तीर्थंकरो के काल में दिगम्बर साधुओ का विचरण होता था तो ये अंग्रेजो के काल में क्यों नहीं हो सकता, कानून बदला जासकता है, धर्म में वो प्रभाव है" एक बात मुनि सुधासागर जी महाराज ने चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शान्तिसागर जी के स्मृति दिवस पर कहा था "ये गुप्त स्वतंत्रता सेनानी था हमारा शान्तिसागर गुरु"

तो फिर जब महाराज जी को मालूम पड़ा की ये मेरी नग्नता को छुपाने के लिए मुझे घेर कर चलते है, तो फिर इन्होने अगले दिन कड़क आदेश दिया की अगले दिन मेरे साथ सिर्फ एक व्यक्ति चलेगा कमण्डलु लेकर, अब गुरु का आदेश था तो लोग कुछ भी नहीं कर सके और चुप रह गए, तो जब महाराज जी अगले दिन निकले एक व्यक्ति से साथ तो जब महाराज जी चोराहे पर पहुचे तो पुलिस अधिकारी के रोका, तो उन्होंने बताया की मैं दिगम्बर जैन साधू हूँ, लेकिन उस अधिकारी ने बोला नहीं जा सकते, तो महाराज जी ने पूछा क्या मैं वापस जा सकता हूँ तो उसने बोला नहीं जा सकते तो फिर महाराज जी ने बोला फिर मैं ध्यान में बैठता हूँ, तो महाराज जी वही चोराहे पर ध्यान में बैठ गए तो वह ट्राफिक जाम होगया, तो ये बात एकदम से बड़े बड़े पुलिस अधिकारी और सरकार तक पहुच गई तो फिर सरकार ने एक नया कानून पास किया, "दिगम्बर साधू को कोई रोकेगा नहीं, इस तरह भारत के एक एक प्रान्त में ये कानून पास होगया की दिगम्बर साधू को कोई रोक नहीं सकता!....

परम पूज्य आचार्य श्री 108 शांति सागर महाराज की जय जय जय......

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News in Hindi

आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज का चतुर्मास सिद्ध क्षेत्र रामटेक में चल रहा था एक दिन प्रातः काल की बेला में सभी साधु दैनिक क्रियाओ की निर्वर्ती के लिए जंगल की ओर जा रहे थे मुनि श्री समय सागर जी महाराज मुनि श्री अभय सागर जी महाराज मुनि श्री प्रभात सागर जी महाराज और भी कुछ साधु एक साथ चल रहे थे आगे पीछे भी संघ के और साधु चल रहे थे तभी सामने की ओर नजर गई तो देखा हाथ ऊपर फड़फड़ाते हुए एक महिला दौड़ रही है उसे देखा सभी की नजर एक साथ उस महिला पर तो गई पर गांव की एक अर्ध विक्षिप्त महिला समझकर बात को साधारण समझा और आगे चलने लगे ठीक उसी समय बाजू से निकलने वाला दूध वाला भी जब आगे जाकर साईकल फेक हाथ फड़फड़ाते हुए दौड़ने भागने लगा तब कुछ शंका तो हुई, तुरंत ही देखा कि एक मधुमक्खियों का बहुत बड़ा झुंड उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है

_अभी साधु कुछ समझ पाते तभी अचानक से सभी मधुमक्खियों ने एक साथ किनारे की ओर चल रहे मुनि श्री समय सागर जी महाराज के ऊपर हमला कर दिया औऱ मात्र दो ही मिनिट में वह आगे भी बढ़ गयी पीछे जो हुआ रोंगटे खड़े हो गए आनन-फानन में श्री समय सागर जी के शरीर से 150 डंक निकाले गए और वापस मंदिर पहुंचकर लगभग 100के आसपास और डंकों निकाला गया जो मधुमक्खियों के द्वारा उन्हें डसे गए थे यह तो पूज्य समय सागर जी महाराज की साधना की शक्ति थी इतना सब होने के बाद भी वह बैठे थे ओर ऐसे बैठे थे जैसे कुछ हुआ ही ना हो

*आचार्य गुरुवर को समाचार मिला तो उन्होंने आशीर्वाद दिया और कहा बाहरी उपचार के तौर पर चंदन का तेल लगाएं और आहार में हल्दी मिला दूध दे ताकि शरीर में पहुंचने वाला डंक शरीर में कोई नुकसान न कर सके, चंदन के तेल से शरीर को कुछ शीतलता तो मिली लेकिन आहार में दिए जाने वाले दूध को लेते ही तुरंत पलटी हो गई और अंतराय हो गया* ।

_पूज्य वर समय सागर जी महाराज फिर भी शांति से विराजे हुए प्रभु भक्ति में लगे रहे और मधुमक्खियों के लगने वाले 250 डंकों के दर्द को सहन करते रहे यह मात्र आचार्य भगवान विद्यासागर जी महाराज का आशीर्वाद ही था वरना मधुमक्खी के काटे जाने वाला एक डंक ही दर्द देने के लिये काफी होता है_

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चंदा प्रभु जगनामी, तुम हो दुखियों के स्वामी..
निशदिन उतारे हम तेरी आरती.. ओह बाबा हम सब उतारे तेरी आरती..

नगर तिजारा देहरा में तुम प्रकट भाए जिनदेवा, सुर नर मुनि गण सब जन तेरी, करते हैं नित सेवा, तुमने जीव असंख्य तारे, हमको भी पारे उतारे

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BREAKING NEWS -आगे आगे अपनी अर्थी के मैं गाता चलु.. सिद्ध नाम सत्य हैं.. अरिहंत नाम सत्य हैं

ॐ शांति 🙏 #समाधिमरण -आचार्यश्री #विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनिश्री #स्वभावसागर जी महाराज का आज 11 अगस्त को प्रातःकालीन बेला में, मुनिश्री #पुराणसागर जी की उपस्थिति में धर्म ध्यान पूर्वक समाधिमरण हो गया है। #AcharyaVidyasagar #AcharyaShriVidyasagar

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