04.08.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 04.08.2017
Updated: 06.08.2017

Update

👉 #किशनगढ - #तप #अभिनन्दन #समारोह

Source: © Facebook

Video

Source: © Facebook

*#आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी* द्वारा #प्रदत #प्रवचन का विडियो:

👉 *#विषय - #चैतन्य #केंद्र व प्राप्तियां भाग 1*

👉 *खुद #सुने व अन्यों को #सुनायें*

*- #Preksha #Foundation*
#Helpline No. 8233344482

#संप्रेषक: 🌻 *#तेरापंथ #संघ #संवाद* 🌻

👉 #सिलीगुड़ी: #अणुव्रत #समिति द्वारा "#संस्कार #कोचिंग सेंटर" में अणुव्रत का कार्यक्रम
👉 #चेन्नई - #मासखमण तप अभिनन्दन समारोह
👉 #उदयपुर - राष्ट्र के निर्माण में अणुव्रत की भूमिका विषयोक्त सेमिनार
👉 #उत्तरहावड़ा - महिला मंडल द्वारा विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन
👉 #सुजानगढ़: 'शासन श्री' मुनि श्री राकेश कुमार जी की "स्मृति सभा" का आयोजन
👉 #सूरत - पर्यावरण शुद्धि जनजागृति सेमिनार
👉 #चेन्नई: "#तप #अभिनंदन" #समारोह का आयोजन

#प्रस्तुति: 🌻 *#तेरापंथ #संघ #संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Update

Video

Source: © Facebook

#दिनांक 04-08-2017 #राजरहाट, #कोलकत्ता में पूज्य प्रवर के आज के #प्रवचन का संक्षिप्त #विडियो..

प्रस्तुति - #अमृतवाणी

सम्प्रेषण -👇
📝 #धर्म #संघ की तटस्थ एवं सटीक #जानकारी आप तक #पहुंचाए
🌻 * #तेरापंथ #संघ #संवाद* 🌻

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

#जैनधर्म की #श्वेतांबर और #दिगंबर #परंपरा के #आचार्यों का #जीवन वृत्त #शासन #श्री #साध्वी श्री #संघमित्रा जी की #कृति।

📙 *#जैन #धर्म के #प्रभावक #आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 117* 📝

*आगम युग के आचार्य*

*क्रांतिकारी आचार्य कालक (द्वितीय)*

गतांक से आगे...

आचार्य कालक द्वारा दी गई अष्टपुष्पी स्वरूप व्याख्या प्राचीन ग्रंथों में नहीं है। अवंती से स्वर्णभूमि में आचार्य कालक के जाने का उल्लेख निशीथ चूर्णि में है वह इस प्रकार है

*"उज्जेणी कालखमणा, सागरखमणा सुवण्णभूमिसु"*

यह उल्लेख कालकाचार्य का अवंती में और प्रशिष्य सागर का स्वर्णभूमि में होने का स्पष्ट संकेत है।

*त्वया कत्थममीषां च प्रियकर्कशवाग्भरैः।* *शिक्षायित्वा विशालायां प्रशिष्यान्ते ययौ गुरुः*
*।।131।। (प्रभावक चरित्र पृष्ठ 26)*

प्रभावक चरित्र के उप पद्य के अनुसार आगम अध्ययन में शिष्यों की उदासीन वृत्ति के कारण आचार्य कालक उनका परित्याग कर अवंती में आए पर वे कहां से आए इसका उल्लेख नहीं है।

स्वर्ण भूमि में आचार्य कालक के जाने का उल्लेख भी प्रभावक चरित्र ग्रंथ में नहीं है। 'मेरुतुंग विचार श्रेणी' में प्राप्त काल गणना के अनुसार आचार्य द्वारा अविनीत शिष्यों के परित्याग की घटना वी. नि. 470 के बाद की संभव है। उज्जयिनी पर वी. नि. 453 से 466 तक गर्दभिल्ल का शासन माना है। इससे स्पष्ट है गर्दभिल्लोच्छेदक घटना के समय आचार्य कालक युवा थे। अपनी बहन साध्वी सरस्वती को उज्जयिनी नरेश गर्दभिल्ल के सीखचों से मुक्त कराने के लिए आचार्य कालक सिंधु नदी को पारकर सिंधु प्रदेश गए। मंत्र विद्या से शक सामंतों को प्रभावित कर वहां से उन्हें भारत लेकर आए थे। आचार्य कालक ने अविनीत शिष्यों का परित्याग किया उस समय वे वृद्धावस्था में थे।

आचार्य कालक का भूभ्रमण विस्तृत था। उन्हें पश्चिम में ईरान एवं दक्षिण पूर्व में जावा, सुमात्रा तक की पदयात्रा करने का श्रेय है।

*क्रांतिकारी आचार्य कालक के जीवन-वृत्त* में आगे और जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻#तेरापंथ #संघ #संवाद🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी

📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 117📝

*व्यवहार-बोध*

*जीने की कला*

लय– देव! तुम्हारे...

*52.*
अभ्यागत! स्वागत सुस्वागत,
तुम आदर्श मुझे मानो।
निर्मल हूं गतिशील सदा हूं,
उपयोगी हूं पहचानो।।

*27. अभ्यागत! स्वागत...*

मनुष्य में ग्रहणशीलता न हो तो उसे कोई कुछ भी नहीं सिखा सकता। उस में कुछ पाने की तड़प और ग्रहणशीलता हो तो उसे कहीं से भी प्रेरणा पाथेय मिल सकता है।

एक राहगीर कहीं जा रहा था। एक गांव को पार कर वह दूसरे गांव की ओर आगे बढ़ रहा था। सड़क पर वाहनों और लोगों की आवाजाही हो रही थी। इसी बीच उसका ध्यान सड़क के एक ओर पहाड़ से गिरने वाले झरने की तरफ गया। कुछ देर विश्राम करने की इच्छा से वह सड़क छोड़, पहाड़ी झरने के निकट चला गया। पहाड़ी पर नजर डालते ही वहां लिखे हुए दो वाक्यों पर उसका ध्यान केंद्रित हो गया। वहां लिखा था— 'अभ्यागत! आओ, तुम्हारा स्वागत है। तुम मुझे आदर्श मानो।'

राहगीर ने पहाड़ी पर लिखे वाक्य पढ़े तो उसका मन कुतूहल से भर गया। वह सोचने लगा— 'इस रास्ते से हजारों लोग आते-जाते हैं। यहां यह स्वागत करने वाला कौन है? वह कहता है कि मुझे आदर्श मानो। क्यों? उसमें ऐसी क्या विशेषता है, जो वह सबके लिए आदर्श बन सके।' इस प्रकार सोचता-सोचता वह पहाड़ी के एकदम निकट पहुंच गया। झरना वहीं गिर रहा था। उसने देखा— 'मुझे आदर्श मानो' इस वाक्य के नीचे छोटे अक्षरों में लिखा हुआ था—

🔹क्योंकि मैं निर्मल हूं।
🔹क्योंकि मैं गतिशील हूं।
🔹क्योंकि मैं उपयोगी हूं।

राहगीर का कुतूहल शांत हो गया। उसकी जिज्ञासा समाहित हो गई। उसे बोधपाठ मिला—

🔹अपनी चरित्र-विशुद्धि से मैं सदा निर्मल-पवित्र रहूंगा।
🔹अपने पुरुषार्थ से मैं सदा गतिशील रहूंगा।
🔹परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करता हुआ मैं सदा उपयोगी बना रहूंगा।

*मनुष्य को जिस दिन अपना अज्ञान दिखाई देने लगता है, वह सबसे बड़ा ज्ञानी बन जाता है। कैसे...?* इस संदर्भ में एक उदाहरण द्वारा समझेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢

👉 पूज्य प्रवर का प्रवास स्थल -"#राजरहाट", #कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में..

👉 #गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..

👉 आज के "#मुख्य #प्रवचन" के कुछ विशेष दृश्य..

दिनांक - 04/08/2017

📝 #धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति - 🌻 #तेरापंथ #संघ #संवाद 🌻

Source: © Facebook

Update

👉 #अहमदाबाद - श्रीमती सुकीदेवी चोरडिया द्वारा #संथारा प्रत्याख्यान

प्रस्तुति -🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

News in Hindi

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Preksha
  2. अमृतवाणी
  3. आचार्य
  4. सागर
  5. स्मृति
Page statistics
This page has been viewed 513 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: