31.07.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 31.07.2017
Updated: 01.08.2017

Update

आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज की महान् तपस्विनी ज्येष्ठ आयिका 105 गुरुमति माता जी ने 10 उपवास किए -संघ की सबसे बड़ी आयिका की अद्भुत तपस्या कि (10 उपवास लगातार)आएं जाने पूज्या गुरूमति माता जी का जीवन परिचय #AryikaGurumati #AcharyaShriVidyasagar #AcharyaVidyasagar

★ *जन्म -*30 जुलाई 1956
★ *जन्म नाम -*श्री समुन जी जैन
★ *जन्म स्थान -* बण्डा, जिला.सागर, म.प्र.
★ *माता का नाम -* श्रीमती विमला देवी जी जैन
★ *पिता का नाम -* श्री प्रभाचंद जी जैन
★ *शिक्षा -* M.A.
★ *ब्रह्मचर्यव्रत -* 2 जुलाई 1975, सिद्ध क्षेत्र नैनागिर जी
★ *आयिका दीक्षा -* 10 फरबरी 1987
★ *आयिका दीक्षा स्थान -* सिद्ध क्षेत्र श्री नैनागिर जी, म.प्र.
★ *आयिका दीक्षा गुरू-*आचार्य गुरूवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज
★ *संघस्थ -*संघ प्रमखु
★ *वर्त्तमान में विराजमान-*अतिशय क्षेत्र कुंडलपुर में विराजित..!

*🔸दस उपवास की साधना आज पारणा के साथ पूर्ण हुई..!*

*🔸वंदनीय माँ कई वर्षों से लगातार 7, 8 उपवास की साधना करती रहती हैं..!*

_🙏🏻 *पूज्य गुरु माँ एवम् वन्दनीय🙏🏻*_

_आर्यिका संघ के चरणों में बारम्बार वंदामि वंदामि वंदामि.._
🔹मम गुरु माँ गुरूमति🔸
☀🚩
_पूज्य आचार्य गुरुवर एवं उनके शिष्यों के *आगामी कार्यक्रम,आहार एवं विहार* कि जानकारी के लिए दिए गये नंबर पर नाम और सिटी whatapps से जय जिनेन्द्र लिखकर sms करें ओर *श्री न्यूज़* के समूह में जुड़ें!_
🎐 *सोनू सिंघई,नागपुर* 9423401297
🎐 *संयम जैन,बोराव* 7665185056
🎐 *नयन जैन,मंडी बामौर* 9475765228

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Update

सम्यक चरित्र ज्ञान की जलती हुई मशाल, ओह सदलगा के संत तुने कर दिया कमाल,
वाणी तुम्हारी काटती रागादी मोह हजार, पाया समीप जिसने वही होगया निहाल!
लहरा रहा अध्यात्म का सागर महा-विशाल, हे ज्ञान मूर्ति क्या कहू तेरे गुणों का हाल,
सारा कुटुंब एक रंग और एक चाल....हे सदलगा के संत तुने कर दिया कमाल!!

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News in Hindi

मानव-देह ही सर्वश्रेष्ठ देह है, एवं मनुष्य ही सर्वोच्च प्राणी है, क्योंकि इस मानव-देह तथा इस जन्म में ही हम इस सापेक्षिक जगत् से संपूर्णतया बाहर हो सकते हैं–निश्चय ही मुक्ति की अवस्था प्राप्त कर सकते हैं, और यह मुक्ति ही हमारा चरम लक्ष्य है।

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प्रति,
प्राचार्य महोदय / महोदया
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विषय:- जैन धर्म के दशलक्षण (पर्युषण) पर्व भाद्रपद शुक्ल पंचमी - दि. २६/०८/२०१७ से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी - दि. ०५/०९/२०१७ के दौरान परीक्षा न रखे जाने के लिए निवेदन |
आदरणीय,
भारत एक धर्म प्रधान राष्ट्र है और अध्यात्म के क्षेत्र में प्राचीन काल से ही विश्व गुरु रहा है | नैतिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार और अभ्यास के क्षेत्र में धर्म ने हमेशा सर्वोच्च योगदान दिया है | अध्यात्म के द्वारा छात्रों में आत्मविश्वास जगता है और वे मानसिक रूप से मजबूत और सहनशील बनते हैं | परन्तु वर्तमान में नई पीढ़ी के छात्र स्कूल की पढाई, होमवर्क और ट्यूशन के बोझ तले इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे धर्म और अध्यात्म के लिए समय नहीं दे पा रहे हैं | इसकी वजह से जहाँ उनका नैतिक पतन हो रहा है, वहीँ उनमें आत्मविश्वास की कमी महसूस की जा रही है |
वर्तमान के छात्रों को धार्मिक क्रियाएँ एवं आध्यात्मिक ज्ञान के अवसर प्रदान करने की अति आवश्यकता है | जैन और हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद माह अर्थात् अगस्त - सितम्बर, जिसमें की जैनों के दशलक्षण (पर्युषण) पर्व और हिन्दुओं का गणेश उत्सव भी होता है, इनके लिए सबसे अनुकूल समय माना जाता है | इस वर्ष दशलक्षण (पर्युषण) पर्व दि. २६/०८/२०१७ से दि. ०५/०९/२०१७ तक रहेंगे |
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जबकि हमारे बच्चे नैतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों से वंचित हैं, ऐसे में उन्हें आवश्यकता है कि वे इस अवसर का अधिक से अधिक लाभ लें और इन स्थापित मूल्यों को आत्मसात करें | परन्तु इस दौरान विद्यालय द्वारा अगर किसी भी प्रकार की परीक्षायें रखी जाती हैं तो सभी बच्चे इस महत्त्वपूर्ण अवसर से वंचित रह जायेंगे |
अत: समस्त जैन समाज आपसे विन्रम निवेदन करता है कि यदि इस दौरान परीक्षायें रखी गयी हों, तो उन्हें इस पर्व के दिनों से पूर्व में या पश्चात् में रखी जावें | इसी के यह भी निवेदन है अगले वर्षों में परीक्षा की तिथियाँ भाद्रपद शुक्ल पंचमी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी रूप इन पर्व के दिनों को ध्यान में रखते हुये इनसे पहले या इनके पश्चातवर्ती दिनों की तय की जायें |
आपके इस सहयोग के लिए सारा जैन समाज आपका सदा आभारी रहेगा |
धन्यवाद |
दिनांक भवदीय

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