03.07.2017 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 03.07.2017
Updated: 04.07.2017

News in Hindi

#श्रवणबेलगोला

कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में स्थित बाहुबली की विशाल प्रतिमा भारत के अदभुत स्मारकों में शुमार है. श्रवणबेलगोला में मुख्य आकर्षण का केंद्र बाहुबली की विशाल प्रतिमा है.

एक ही पत्थर से बनी प्रतिमा

दसवीं सदी में बनी प्रतिमा- श्रवणबेलगोला में बाहुबली की प्रतिमा का निर्माण 983 ईश्वी में गंग सम्राज्य के राजा राजमल के एक सेनापति चामुण्डाराय द्वारा करवाया गया. उन्होंने अपनी मां कल्लाला देवी की इच्छा से मूर्ति का निर्माण कराया. इस मूर्ति को सफेद ग्रेनाइट के एक ही पत्थर से काटकर बनाया गया है. मूर्ति एक कमल पर खड़ी हुई है. यह जांघों तक बिना किसी समर्थन के खड़ी है. मूर्ति की लंबाई 60 फीट (18 मीटर) है. इसके चेहरे का माप 6.5 फीट (2.0 मी.) है. जैन परंपरा के अनुरूप यह मूर्ति पूर्णतया दिगंबर अवस्था में है. विंध्यगिरी पर्वत पर स्थित यह मूर्ति 30 किलोमीटर दूर से भी दिखाई देती है.

चामुंडराय ने महाशिल्पी को बुलाकर इस मूर्ति का निर्माण कराया. इसके अभिषेक के दौरान 1008 कलश दूध, गन्ने का रस,दूध चंदन आदि से अभिषेक किया गया. फिर भी अभिषेक पूर्ण नहीं हुआ. जब गुल्लिका अज्जी (दादी) ने अपनी छोटी से लुटिया से दुग्धाभिषेक किया तो अभिषेक पूर्ण हुआ.

गोमतेश्वर भी एक नाम- बाहुबली की मूर्ति के चेहरे के निर्मल भाव दिखाई देता है. उनकी घुंघराली आकर्षक जटाएं, आनुपातिक शारीरिक रचना, विशालकाय आकार और कलात्मकता शिल्पकला के बेहतरीन उदाहरण पेश करती है. बाहुबली का एक नाम गोमतेश्वर भी है. दरअसल चामुंडराय को उनकी मां बचमन में गोम्मद कहकर बुलाती थीं. तो गोम्मद के ईश्वर गोमतेश्वर हुए.

बाहुबली जैन धर्म ऋषभदेव के पुत्र

हर 12 साल पर महामस्तकाभिषेक- श्रवणबेलगोला में हर 12 साल पर श्रद्धालु यहां महामस्तकाभिषेक के लिए जुटते हैं. इस मूर्ति को केसर, घी, दूध, दही, सोने के सिक्कों तथा कई अन्य वस्तुओं से नहलाया जाता है. उस समय शहर में बहुत बड़ा मेला लगता है. इस मौके पर देश दुनिया से लाखों जैन श्रद्धालु यहां जुटते हैं. श्रवणबेलगोला प्राचीनकाल में यह स्थान जैन धर्म का महान केन्द्र था. जैन अनुश्रुतियों के मुताबिक मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त ने अपने राज्य का परित्याग कर अंतिम दिन मैसूर के श्रवणबेलगोला में व्यतीत किया था.

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⛳ _*जैन #चातुर्मास पर्व / Jain #Chaturmas Festival*_

☔ *"जैन चातुर्मास पर्व"* विश्व में सर्वाधिक समय तक चलने वाला पर्व है, जो सम्पूर्ण वर्ष के एक तिहाई भाग यानि बारह महीनों में से चार महीनों तक मनाया जाने वाला यह *अकेला ऐसा पर्व / समारोह है। यह गिनीज बुक में दर्ज होना चाहियें l

☔ *"जैन चातुर्मास पर्व"* विश्व में अकेला ऐसा पर्व है, जिसमे राग का समावेश नहीं, वीतरागता का समावेश है l

☔ *"जैन चातुर्मास पर्व"* शारीरिक आनंद का नही, आत्मा के आनंद का पर्व है l

☔ *"जैन चातुर्मास पर्व"* घूमने फिरने का नही, एकांतवास का पर्व है l

☔ *"जैन चातुर्मास पर्व"* पर्व की खुशियाँ मनाने के लिए बार बार विविध आइटम्स खाने का नही, बल्कि एकासना, आयम्बिल या उपवास रखने का पर्व है l

☔ *"#जैन_चातुर्मास_पर्व"* होटल, मॉल में जाकर सांसारिक खुशियाँ मनाने का नही, आराधना भवन जाकर आत्मिक खुशियाँ मनाने का है l

☔ *"जैन चातुर्मास पर्व"* थियेटर में जाकर सिनेमा देखने का पर्व नही, जिनालय में जाकर वीतराग प्रभु को निहारने का पर्व है l

☔ *"जैन चातुर्मास पर्व"* यहाँ-वहाँ घूमकर समय की बर्बादी का पर्व नही, समय का सद् उपयोग कर गुरुवाणी सुनकर जीवन में धारण करने का पर्व है l

☔ *"जैन चातुर्मास पर्व"* संसार के भँवर में फ़साने वाला नही, संसार सागर से तिराने वाला पर्व है l

✍🏼 *शुभेच्छा:* पुष्करवाणी ग्रुप ☸️☸️ चातुर्मास पर्व 2017" आप सभी की आत्मोउन्नति का मार्ग बने, गुरुदेव द्वारा प्रदत्त महावीर वाणी का अनुकरण और आराधना आपके जैनत्व के विकास में सहायक बनें, वीतराग धर्म के मर्म को समझते हुए सच्चे श्रावक-श्राविका बनें, सम्यग् दर्शन-ज्ञान-चारित्र और तप को जीवन में धारण करते हुए क्रमश स्वर्ग और मोक्ष मार्ग अनुगामी बनें । शुभम् अस्तु।।

⛳ _*जैनिज़्म:* सद्-गति से परम्-गति की ओर... चौरासी लाख जीव योनि की कई गतियों में भ्रमण करते हुए, पुण्योदय से यह जन्म मिला है - मानव गति और वह भी जिनशासन में, जो आत्म उपकारी वीतराग प्रभु श्री महावीर के सिद्धान्तों पर आधारित है - अर्थात् हमें "सद्-गति" में जन्म मिला है... ऐसे परम् उपकारी भगवंत की जिनवाणी अनुसार चलने का प्रयत्न करते हुए चलकर - "परम्-गति" में परिवर्तित करें..यही शुभकामना, शुभम् अस्तु ।।_
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