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आज गिरनारी भगवन नेमिनाथ जी का मोक्ष कल्याणक हैं तथा साक्षात गिरनार में विराजमान आचार्य श्री निर्मलसागर जी का 50th दीक्षा दिवस हैं:) #Girnar #BhagwanNeminath #SHARE #AcharaNirmalsagar
राज और राजुल को तज जाए है, नेमी प्रभु मोक्ष-वधु वरजाए है!
धर्मं की धुरा ये, धर्मं चक्र चलाये है, गिरनार से केवलज्ञान को पाए है!
इनकी महिमा कोई ना गा पाये है, कुंद-कुंद देव स्वयं बतलाये है!
-composition by -Nipun Jain..
गिरनारी भगवान् नेमिनाथ से सम्बंधित कुछ तथ्य!
>> ऋगवेद में अनेक मंत्रो का देवता अरिष्टनेमी है और स्तुति बार बार की गयी है |
>> बोद्ध साहित्य में लंकावतार के त्रितय परवर्तन में अरिष्टनेमी आदि नाम आते है |
>> इतिहासकारों में कर्नल टाड ने नेमिनाथ को महापुरुष माना है और नेमिनाथ को SkaindoNebia निवासियों का प्रथम 'ओडिन' और चीनियों का प्रथम 'फ़ो' देवता माना है |
>> प्रसिद्द इतिहास डॉक्टर राय चोधरी ने 'वैष्णव धर्मं का इतिहास' ग्रन्थ में नेमिनाथ को श्री कृष्ण का चचेरा भाई लिखा है |
>> सोराष्ट्र के प्रभासपत्तन से वेविलोनिया के बादशाह नेबूचडनजज्जर का एक ताम्रपात्र लेख प्राप्त हुआ था जिसको डॉक्टर प्राणनाथ विध्यालाकार ने पढ़ा था, इस शिलालेख में रजा ने अपने द्वारका आने का विवरण और मंदिर बनवाकर रैवत पर्वत के देव नेमी को अर्पण के लिए रखा था - [Indian History Quarterly part 8, times of India 19 march, 1935 ] नेबूचडनजज्जर का समय 1140 ईo पूर्व माना जाता है जो मतलब आज से 3149 वर्ष पूर्व भी गिरनार जैनों का तीर्थ था |
>> भगवान् नेमिनाथ का मोक्ष गिरनार पर्वत पर हुआ था, गिरनार पर्वत के अनेक नाम मिलते है जैसे रैवत, रेवत, रैवतक, उर्जयंत, गिरिनार, गिरनार, गिरनेर इत्यादि
SOURCE --- Facts collection from a book 'Jain Dharma ki Prachinta'
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News in Hindi
धर्मं की धुरा... [ The axle of Dharma] आज #भगवान्_नेमिनाथ जी का मोक्ष कल्याणक हैं #share #Girnar #आचार्य_विद्यासागर जी सासंघ -गिरनार यात्रा के दौरान चोथी टोंक पर दर्शन करते हुए दुर्लभ द्रश्य:)
#Important_Info नेमिनाथ स्वामी ने जिस टोंक से मोक्ष प्राप्त किया वो पाचवी टोंक है, नेमिनाथ भगवान के प्रथम गणधर का नाम 'दत्त' था, तथा वे काफी समय नेमिनाथ भगवान् के साथ यहाँ गिरनार पर रहे, संभवता जैनेतर बंधू उन्ही 'दत्त' को मानकर अब 'गुरु दत्त' कह कर पूजते, कारण कुछ भी हो तो भी जैन धर्मं द्रष्टि से गिरनार अधिक पूज्य है क्योकि यहाँ से नेमिनाथ भगवान् के मोक्ष प्राप्त किया तथा इसी गिरनार को अपने तीन-तीन कल्यानको से पवित्र किया, वैसे भी चरण पूजने की परंपरा जैन धर्मं के अन्यथा कही नहीं मिलती, जब समन्तभद्र स्वामी इस गिरनार पर आये तो इसकी महिमा गाये बिना रह ना सके, जब आचार्य कुन्द कुन्द स्वामी इस पर्वत आये तो खूब ध्यान लगाए और देवी अम्बिका को बुला आदि दिगंबर कहलवाए, इसी पर्वत पर आचार्य धरसेन स्वामी ने पुष्पदंत महाराज और भूतबली महाराज को बचा हुआ दुर्लभ जिनवाणी का ज्ञान दिया जिसके बाद षतखंडागम ग्रन्थ की रचना की जो की 2,000 वर्ष से भी प्राचीन तथा वर्तमान मूल ग्रन्थ है!! जय हो गिरनारी नेमिनाथ भगवान् की जय हो...!! जय हो धर्मं की धुरा... [ The axle of Dharma] नेमिनाथ भगवान् की जय! - Admin
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