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जैन संतों के विहार में श्रृद्धा भक्ति से एक जबरदस्त एक्सिडेंट में अपना एक पाँव खो देने के बाद भी अपनी सेवा देकर समस्त जैन समाज को संतों के विहार में अपनी सेवा देने हेतु प्रेरित करते मध्य प्रदेश के शाजापुर निवासी श्री विजय जी जैन को नमन... विश्व जैन संगठन
श्री विजय जैन जी का एक पांव कई वर्ष पूर्व जैन संतों के आहार ले जाने के दौरान एक जबरदस्त एक्सिडेंट में वे खो चुके थे, फिर भी आज भी धर्म के प्रति उनकी श्रृद्धा को देखकर सिर झुक जाता है! आप भी फोटो में देख सकते है कि श्री विजय जैन जी एक जैन साध्वी जी के विहार के दौरान वे कितने उत्साह से उनके साथ चल रहे हैं! धन्य हैं ऐसे मुनि भक्त को..
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#Breaking_Good_News #आचार्य_श्री #AcharyaVidyasagar दे सकते हैं, 50 ब्रह्मचारी को मुनि दीक्षा #share_maximun
#आचार्य_विद्यासागर जी महायतिराज ससंघ डोंगरगढ़ शुभ क्षेत्र में विराजित है विश्व भर के भक्तों के अनन्त पुण्य के उदय से शुभ संकेत मिले है कि 28 जून बुधवार को गुरुवर्यश्री के सानिध्य में 50 #दीक्षाएँ_होने_की_संभावना है हम सब रोज णमोकार महामंत्र की एक माला फेरे और भावना भाए कि त्रैलोक्य के कल्याणार्थ 50 बाल ब्रह्मचारी पिच्छिधारी श्रमणों का नवागमन हो
*ओम ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़े बाबा अर्हम् नमः छोटे बाबा नमो नमः*
Note* इसको अभी पक्का नहीं माने, ये सम्भावना हैं!!!
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#Jainism #Jain #Digambara #Nirgrantha #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #RishabhaDev #Ahinsa #Nonviolence
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भक्ति बेक़रार हैं, आनंद अपार हैं, आजा प्रभु पारस तेरी जय जयकार हैं! तेरे पद चिन्हों पर चलने को प्रभु जी मेरा अंतर्मन बेक़रार हैं 😍😍🔥 #भगवान_पार्श्वनाथ @ Birmingham Museum, England
श्री पार्श्वनाथ भगवान, (मूल स्थान: दक्षिण भारत, बारहवीं शताब्दी की मूर्ति) वर्तमान स्थान: बर्मिंघम संग्रहालय और आर्ट गैलरी
पता: चेम्बरलेन स्क्वायर, बर्मिंघम, B3 3DH, इंग्लैंड.
Shree Parshwanath Bhagwan, the 23rd Jain tirthankara, South India, 12th Century. Birmingham Museum and Art Gallery, Address: Chamberlain Square, Birmingham B3 3DH, UK
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News in Hindi
जहा सत्य अहिंसा और धर्म का पग पग पर लगता डेरा वो भारत देश हे मेरा.. @ #आचार्य_सुनिलसागर जी @ #AcharyaSunilsagar 🙂🔥
हिंदुस्तान की पावन पुण्य धरा जहा ऐसे सन्त जिनके पास ना मोह,ना माया,न आडम्बर,ना राग,ना द्वेष,ना धन की इच्छा, ना झूठ,ना कोई लोभ सिर्फ और सिर्फ सत्य,करुणा,ज्ञान,तप,त्याग के पवित्र सिद्धान्त संस्कारो के साथ प्राणी मात्र के कल्याण हेतु पुरे देश में पद विहार करते है। ऐसे अंकलिकर परम्परा के चतुर्थ पट्टाचार्य संयमभूषण परमपूज्य आचार्य श्री सुनिलसागर जी गुरुराज अपने विशाल संघ सहित राजस्थान में उदयपुर की ओर वर्षायोग हेतु विहाररत है।
इस स्वर्णिम शुभ अवसर पर महाराणा प्रताप की इस मेवाड़ की धरा पर सर्व समाज, सर्व धर्म और प्रत्येक प्राणी सामाजिक सदभाव और आपसी भाईचारे के साथ ऐसे सन्तो को नतमस्तक होने को आतुर है। मेवाड़ के ऐसे ही एक छोटे नगर में पुलिस चौकी के पास आचार्य श्री सुनील सागर जी गुरुदेव का प्रवेश हुआ तो जहा कोई जैन परिवार नही वहा पर भी उस नगर के बन्धु और थाने के पुलिसकर्मी श्रद्धापूर्वक पूज्य आचार्य श्री संघ का स्वागत और पादपक्षालन करते हुए
शाह मधोक जैन चितरी
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