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परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के परम आशीर्वाद और मुनिश्री क्षमासागरजी की प्रेरणा से आयोजित
🥇 जैन प्रतिभा सम्मान -२०१७ 🥇
Young Jaina Award - 2017
आवेदन पत्र आमंत्रित है...
मैत्री समूह प्रति वर्ष समूचे भारतवर्ष में शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता प्राप्त करने वाले जैन छात्र -छात्राओं को Young Jaina Award से सम्मानित करता है।
सन 2017 में 10वीं में 85%, 12वीं विज्ञान (Science) में 80%, वाणिज्य (Commerce) एवं कला (Arts) में 75% या उससे अधिक अंक अर्जित करने वाले और राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा अथवा प्रशासनिक सेवा में चयनित जैन छात्र - छात्राओं से आवेदन आमंत्रित है।
अपना आवेदन फ़ॉर्म 15 जुलाई 2017 के पूर्व www.MaitreeSamooh.com पर ओनलाइन (online) भर सकते है।
खेल में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले, विकलांग या अपने राज्य में मेरिट सूची में स्थान पाने वाले छात्र / छात्राओं के लिए निर्धारित अंक सीमा की बाध्यता नहीं रहेगी।
आवेदन फ़ॉर्म की लिंक: http://yja.maitreesamooh.com/apply-for-yja.html
आवेदन की अंतिम तारीख: 15 जुलाई 2017
मैत्री समूह
+91 76940 05092
+91 94254 24984
Source: © Facebook
Exclusive Photograph 😍 भगवान पर भरोसा रखें, लेकिन भगवान भरोसे न रहे। -आचार्य श्री विद्यासागर जी
प्रवचन के समय मोबाइल से बेवजह फोटो खींचे जाने पर आचार्यश्री ने मोबाइल के दुरुपयोग और इसके अनावश्यक अप्पव्य पर सतर्क किया।
रविवारीय प्रवचन श्रंखला में आचार्य श्री ने आज चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में मांगलिक उपदेश देते हुये एक दृष्टान्त के माध्यम से बताया कि एक बार तीन व्यक्ति वाहन से यात्रा कर रहे थे असंतुलन बिगड़ने के कारण वे दुर्घटना ग्रस्त हो जाते है। जिसके कारण तीनो के पैर टूट जाते है। और उन्हे चिकित्सक के पास ले जाया जाता है चिकित्सक मरीज़ों से कहते है उन्हें भरोसा है कि वे ठीक हो जाएंगे। लेकिन उन्हें भरोसा रखते हुए पुरुषार्थ भी करना होगा चिकित्सक उनके पैरों में लेप लगाकर उस पट्टा चढ़ा देते है। लेकिन निर्धारित समय पर पट्टा खोलने पर पता चलता है उसकी हड्डी तो जुडी ही नही
फिर दूसरे मरीज का पट्टा खोलने पर चिकित्सक को विश्वास होता है की इस मरीज का पैर अब ठीक हो गया है वह उसे उठकर चलने को कहा जाता है पर मरीज का जो पैर टुटा नहीं था वह उसे उठाता पर जो पैर टुटा था उसे नहीं उठा पाता है इसकी वजह उसे चिकित्सक पर भरोसा तो था लेकिन वह पुरुषार्थ करना नही चाहता था। आचार्य श्री ने कहा की मरीज को चिकित्सक एवं औषधि में विश्वास होना आवश्यक है तभी ईलाज संभव है | किसी भी काम को समय पर करना ही उसकी सार्थकता है | धर्म काँटा में पलड़े को नहीं कांटे पर नज़र रखना पड़ता है और कांटे की जगह फूल नहीं ले सकता इसलिए धर्मकांटे में कांटे की ही सार्थकता होती है | तीसरे मरीज को जल्दी ठीक होना है क्योंकि वो एक क्रिकेट खिलाडी है और उसे दो दिन बाद ही खेलना है | वह Fast Relief चाहता है |
गलती मनुष्य से होती है परन्तु वही गलती दोबारा ना हो इसके लिए पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है | समय रहते घांव भर जाता है आचार्यश्री ने कहा Time is the best healer* एक बार हड्डी टूट जाये तो जुड़ सकती है परन्तु वही हड्डी दोबारा टूटे तो उसका जुड़ना कठिन हो जाता है |
By प्रस्तुति -राजेश जैन भिलाई
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