14.05.2017 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 14.05.2017
Updated: 14.05.2017

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कैषलोच करने वाले जैन मुनियों को लुच्चा कहा लेखक ने
अहा जिन्दगी पत्रिका में प्रकाशित आलेख
उदयपुर 14 मई 2017। श्रमण संघीय जैन मुनि पुष्पेन्द्र ने दैनिक भास्कर की मासिक पत्रिका ‘अहा! जिंदगी’ के अप्रैल 2017 के अंक में पृष्ठांक 78 पर शब्द सामर्थ्य के अंतर्गत शरदकुमार दास ने कैषलौच करने वाले जैन मुिनयों को ‘लुच्चा’ कह कर समस्त जैन समाज एंव जैन मुनियेां का आनमान किया है।
उन्होनें कहा कि शब्द के अर्थ में जैन साधु के लिए आपŸिाजनक शब्द का प्रयोग किया गया है। इस शब्दार्थ के उपयोग से प्रतीत होता है कि लेखक कभी जैन संत मुनियों के सानिध्य में कभी नहीं रहा, उसने सिर्फ अपनी कल्पनाषक्ति का उपयोग किया है। इसमें लेखक की सोच साथ संपादक की मानसिकता की भी वहीं मनोस्थिति को दर्षाता है क्योंकि लेखक के शब्दार्थ को अपनी मूक सहमति देते हुए संपादक ने जैन मुनि का फोटो भी प्रकाषित किया है। ऐसे में मेरा यह मानना है कि इस शब्दार्थ के साथ-साथ जैन मुनि का फोटो प्रकाषित करना भी घोर आपŸिाजनक है।
मुनि पुष्पेन्द्र ने कहा कि लेखक ने लिखा कि कैषलोच से जैन मुनियों का चेहरा सिर लहूलुहान हो जाता है। लगता है लेखक ने कभी जैन मुनियों को कैषलोच करते हुए नहीं देखा है। यदि देखा होता तो अपनी इस मानसिकता को शब्दार्थ में प्रयोग नहीं करता। जैन मुनियों की लोच-विधि इस प्रकार की होती है कि उससे चेहरा सिर लहू लुहान नहीं होता है वरन जैन मुनि हजारों भक्तों के सामनें हंसते हुए कैषलोच कर अपनी त्याग तपस्या का उदाहरण प्रस्तुत करते है। ऐसा लिखकर लेखक ने जैन मुनि आचार की अवमानना की है।
पिछले 17 वर्षो से जैन मुनि एवं जैन विद्या पर पीएचडी करने वाले डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने कहा कि लेखक ने आगे लिखा कि ‘‘लुंचन कराने वाले साधु को लुच्चा कहा जाता है।’’ यह कह कर लेखक ने सर्वस्व जैन समाज एवं जैन मुनियों का अपमान किया है। मुनि मार्ग अपना कर उस पर चलना कितना कठिन है यह लेखक की सोच से बहुत दूर है। किस शास्त्र या शब्दकोष से लेखक ने ऐसा आपŸिाजनक अर्थ लिया गया है। इस मनमाने अर्थ और ऐसे अर्थ के साथ जैन मुनि के फोटो प्रकाशन से जैन मुनि परम्परा और संस्कृति का न केवल लेखक वरन् दैनिक भास्कर जैसे समाचार पत्र की पत्रिका ने भी अपमान किया है।
लेखक को इस आधारहीन व आपŸिाजन अर्थ के लिए तथा ‘अहा! जिंदगी’ को बिना सोचे-विचार ऐसे आक्षेपजनक प्रकाषन के लिए अगले अंक में क्षमायाचना के साथ भूलसुधार कर समसत जैन मुनि एवं जैन समाज से माफी मांगनी चाहिये।

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#जैन_दीक्षा_महोत्सव
#उदयपुर
18/5/2017

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