29.04.2017 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 29.04.2017
Updated: 01.05.2017

Update

9 तपस्विय्ाों के पारणे हुए संपन्न
तपस्या जैन जीवनचर्या का महत्वपूर्ण: दिनेष मुनि
समाज के लिए भौतिक सुखों का त्याग जैन धर्म की परम्परा: पुष्पेन्द्र मुनि
#औरंगाबाद - 29 अप्रैल 2017।
औरंगाबाद शहर के उपक्षेत्र सिडको एन 3 के श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा केसरबाग में शनिवार को आयोजित ‘अक्षय तृतीया पारणा महोत्सव व श्रमण संघ स्थापना दिवस’ श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि आदि ठाणा तीन के पावन सानिध्य में विविध गांव - शहरों से आए तपस्वी एवं बहनों ने भगवान ऋषभदेव कि परंपरा का अनुसरण करते हुए ईक्षुरस का पान कर पारणा संपन्न किया। नवकार महामंत्र की स्तृति से प्रारम्भ समारोह में स्वागत गीत श्रीमती प्रीती सुराणा द्वारा प्रस्तुत किया गया
श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि ने कहा कि तप आत्म शुद्धि का उत्कृष्ट सोपान है। तपस्य्ाा से न केवल तन के विकार दूर होते हैं बल्कि मन के संताप और क्लेश भी नष्ट होते हैं। वे लोग धन्य्ा हैं जो वर्षभर ही तपोधनी बने रहकर अपनी काय्ाा को कंचन किए रहते हैं। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन की तुलना इस समय्ा कोई अन्य्ा दर्शन नहीं कर सकता है। आज का दिन दान, तप, शीलता और भावना का समय्ा है। धर्मावलम्बिय्ाों को चाहिए कि वे अपने जीवन में अहिंसा और संय्ाम का समावेश करने का प्रय्ाास करें। उन्होंने भगवान ऋषभदेव का स्मरण करते हुए कहा कि वे महान थे और उनकी तप साधना भी उच्चकोटि की थी। हमें उनके बताएं सिद्धांतों पर चलने की आवश्य्ाकता है। जैन धर्म में इन पर्वों और व्रतों की संख्या प्रतिवर्ष 250 से अधिक है। ये व्रत-उपवास मात्र देवताओं को प्रसन्न करके भौतिक कामनाओं की पूर्ति के लिए नहीं, बल्कि मोक्ष रूपी अनंत सुख को प्रदान करने वाले होते हैं, बशर्तें उनकी व्याख्या ठीक प्रकार से की गई हो तथा पालन उचित ढंग से हुआ हो। व्रत-उपवासों की महत्ता पयुर्षण पर्व और चातुर्मास के दौरान ही नहीं, वे तपस्यामय जैन जीवनचर्या का अंग है। उपवास आत्मा के उच्चभावों में रमण और आत्मा के सात्विक भावों के चिंतन में सहायक है। जैन धर्म में उपवास तपस्या का ही एक महत्वपूर्ण अंग हैं। जैन धर्म के उपवासों में किसी भी तरह का फल या फलारस भी निषेध होता है। सिर्फ उबाल कर थारा हुआ या धोवन पानी सूर्योदय के बाद से सूर्यास्त पूर्व तक लिया जा सकता है। उपवास वाले दिन से पहले वाली रात्रि से ही भोजन का त्याग शुरू हो जाता है जो अगले दिन भर और रात भर जारी रहता है।
दूर दराज के क्षेत्रों से आए तपस्वीया को संबोधित करते हुए आगे कहा कि तप के तेज से तपस्वियों का चेहरा चमक दमक रहा है। उन्हें पारणा कराने के लिए श्रावक-श्राविकाएं उत्साहित नजर आए। तप के पारणे का महोत्सव अद्भूत होता है। लगाताार एक दिवस उपवास और दूसरे दिन आहार ग्रहण कर वर्षभर निकालना कठिन है। जिस तपस्वी का मन बलवान हो वहीं इतनी कठिन तपस्या पूर्ण कर पाते हैं। सारी इश्छाओं पर नियंत्रण रखना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है। तप करने वाला भाग्यशाली होता है, लेकिन तपस्वी की सेवा करने वाला भी कम पुण्यशाली नहीं है। उसे भी बहुत पुण्य प्राप्त होता है। डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि ने तप अनुमोदना भाव व्यक्त किये।
समारोह में ‘प्रभु ऋषभ: एक यषोगाथा’ पर प्रकाष डालते हुए डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने कहा कि भौतिकवादी व सांसारिक सुखों का समाज के लिए त्याग करना ही जैन धर्म की सबसे बड़ी मुख्य विषेषता हैं। आज के आपाधापी के य्ाुग में जब चारों ओर का पयर््ाावरण प्रदूषित हुआ जा रहा है और मनुष्य्ा कई तरह से अस्वस्थ बना हुआ है तब तप ही एकमात्र्ा विकल्प है जो मानव समाज को तन और मन दोनों दृष्टिय्ाों से निरोग, स्वस्थ और सुखी रख सकता है। जैन दर्शन में प्रारंभ से ही तप का महत्व सर्वोपरि रूप में स्वीकार किय्ाा गय्ाा है और इसीलिए वर्षीतप का सिलसिला आत्म कल्य्ााण के लिए प्रारंभ हुआ जो अन्य्ात्र्ा शाय्ाद ही देखने को मिलेगा। तीर्थंकर भ. ऋषभ के कठोर तपश्चरण 13 महीने और 10 दिन के सुदीर्घ तप के पश्चात् वैशाख शुक्ला तृतीया के दिन हस्तिनापुर में श्रेयांसकुमार के करकमलों द्वारा उनका पारणा इक्षुरस से संपन्न हुआ। उसी परम्परा को अक्षुण्ण रखते हुए जैन धर्मावलम्बि आज के दिवस इक्षुरस का सेवन करते हैं।
समारोह में मुख्य रुप से संगीतकार संजय संचेती ने वर्षीतपरा झल डाल्या - डाल्या चारों ओर, हमारा नमन है गुरु तुम्हारे चरणों में, इक्षुरस से किया पारणा इत्यादि भक्तिमय गीतों द्वारा सभा को भावविभोर किया। सीमा झांबड़ द्वारा ‘आदिनाथ प्रभु के चरणों में शीश झ्ाुकाते चले’ भजन का संगान कर वातावरण को भक्तिमय्ा बना दिय्ाा। इसी क्रम में गायिका सुश्री स्नेहा कांकरिया ने ‘तपस्या भावे संतांे ने अनोमुदना करों, गीत प्रस्तुत किया और श्राविका सुनीता देसर्डा ने गुरु महत्त्व प्रतिपादित करते हुए अपने विचार व्यक्त किये। नांदेड़ के पूर्व विधायक ओमप्रकाष पोखरना ने जैन जीवन शैली पर प्रकाष डाला और विधान परिषद् सदस्य आमदार सुभाष झांबड़ ने कहा कि जैन संतों ने अपने उपदेशों द्वारा ग्रामीणजनों को सर्वाधिक प्रभावित किय्ाा और अनेकों को व्य्ासन मुक्त रहने का संकल्प दिलाय्ाा है। इस अवसर पर आमदार झांबड़ ने सलाहकार दिनेष मुनि की प्रेरणा से घोषण कि वे शीघ्र ही एक वृदाश्रम का निर्माण करेंगे जिसका नाम ‘अपना -घर’ होगा, जहां पर घर जैसे वातावरण में बुजुर्ग - असहाय महानुभावों को आश्रय दिया जाएगा।
9 तपस्विय्ाों का पारणा
इस अवसर पर वर्षीतप के 13 महीने की विशिष्ट तपस्य्ाा करने वाले 11 श्रावक-श्राविकाओं नेे सलाहकार दिनेश मुनि को इक्षु रस बहराकर तत्पश्चात् पारणा सम्पन्न किय्ाा। डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि (द्वितीय वर्षीतप - उपवास), डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि (द्वितीय वर्षीतप - एकासन), श्रावक नितीन शांतिलाल ओस्तवाल (दसवां वर्षीतप - एकासन), श्रीमती विमलाबाई शंकरलाल बडोरा, (28वां वर्षीतप - आयंबिलमय उपवास), श्रीमती कमलाबाई चौपड़ा (23वां वर्षीतप - उपवास), श्रीमती विमलाबाई रुणवाल (दसवां वर्षीतप - उपवास), श्रीमती सुषीलाबाई बंब (आठवां वर्षीतप - उपवास), श्रीमती छायाबाई चौपड़ा (तृतीय वर्षीतप - उपवास), श्रीमती भानुमती गादिया (पाचवां वर्षीतप - एकासन), का पारणा संपन्न हुआ। उसके पश्चात् धर्मसभा में सभी तपस्वियों का श्राविकारत्न प्रभादेवी चंपालाल देसर्डा, श्रीमती सीमादेवी आमदार सुभाष झांबड़, श्रीमती सीमा संदीप छल्लाणी, श्री मीठालाल प्रकाष कांकरिया, श्रीमती कमलाबाई प्रेमचंद ओस्तवाल, श्रीमती शशीकलाबाई पोपटलाल मुणोत, श्रीमती विमला प्रकाष बाफना, श्रीमती विमलादेवी हरखचंद कटारिया, श्रीमती कांताबाई खेमराज संघवी, श्रीमती विद्यादेवी नवीन गुगले, श्रीमती विमलादेवी मेघराज कांकरिया, श्री मांगीलाल माणकचंद फूलफगर, श्रीमती नंदा राजीव कांकरिया, श्रीमती मीनाबाई सुभाष मुथा सहित अनेक परिवारों द्वारा तपस्वियों का बहुमान किया गया।
श्रमण संघ का 66 वें वर्ष में प्रवेश
समारोह के दौरान जानकारी दी गई कि 66 वर्ष पूर्व आज ही के दिन अखिल भारतीय्ा श्वेताम्बर स्थानकवासी श्रमण संघ की स्थापना हुई थी। वर्ष 1952 में मेवाड की इसी धरा के प्रमुख कस्बे सादडी गांव में 22 संप्रदाय्ाों के एकीकृत से श्रमण संघ का गठन हुआ। आज का दिन प्रत्य्ोक श्रावक श्राविकाओं के लिए सौभाग्य्ा का अवसर है।
सलाहकार दिनेष मुनि को चादर भेंट
इस अवसर पर नांदेढ़ पूर्व विधायक ओमप्रकाष पोखरणा, आमदार सुभाष झांबड़, पूर्व न्यायाधिपति कैलाषचंद चांदीवाल, श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष प्रकाष बाफना, सिडको श्रीसंघ मंत्री सुरेष जैन, डॉ. प्रकाष झांबड़, शेखरचंद देसर्डा, संदीप छल्लाणी, किषोर देसर्डा परिवार ने सलाहकार दिनेश मुनि को श्वेत चादर समर्पित की एवं साथ ही डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि, डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि को उनके तपस्या निमित चादर ओढा कर अभिनंदन किया गया।
समारोह को सफल बनाने में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्राविका मंडल, माता त्रिषला महिला मंडल, प्रभाकिरण महिला मंडल, लब्धिकृपा महिला मंडल, पार्ष्वधर्म महिला मंडल, संस्कार महिला मंडल की सदस्याओं के साथ साथ श्रीमती सीमा झांबड़, श्रीमती सुनीता देसर्डा, श्रीमती सीमा छल्लाणी, श्रीमती भारती बागरेचा, श्रीमती नगीनादेवी ओस्तवाल, श्रीमती शीला छाजेड़ इत्यादि का सहयोग प्राप्त हुआ। स्वामीवात्सलय का लाभ श्रीमती प्रभादेवी, शेखरचंद - सुनिता, किषोर - नयना, मधुर, उत्कर्ष एवं तीर्था देसर्डा परिवार ने लिया।
मुनित्रय का विहार पुना की ओर
श्रमण संघीय सलाहकार श्री दिनेश मुनि जी म., डॉ. श्री द्वीपेन्द्र मुनि, डॉ. श्री पुष्पेन्द्र मुनि का वर्ष 2017 का चातुर्मास पूना शहर के कात्रज क्षेत्र के श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, दŸानगर, आंनद दरबार में संपन्न होगा। दो दिवसीय औरंगाबाद प्रवास के पश्चात् मुनित्रय पूना की ओर विहार करेगें। अहमदनगर, घोड़नदी होते हुए 30 मई को पूना नगर प्रवेष करेगें और चातुर्मास प्रवेष 30 जून को होगा।

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सामूहिक पारणा उत्सव में 41 तपस्वियों के हुए पारणे
हजारों की संख्या में पहुंचे सूरत प्रवासी श्रावक-श्राविकाएं
गुरू पुष्कर जैन तीर्थ पावनधाम में सेमटाल में हुआ महोत्सव
उदयपुर, 29 अप्रेल। श्रमण संघ के उपाध्याय पूज्य गुरू पुष्कर मुनि मसा की जन्मस्थली सेमटाल स्थित श्री गुरू पुष्कर मुनि जैन पावनधाम में शनिवार को अक्षय तृतीया पर सामूहिक पारणा महोत्सव सम्पन्न हुआ, जिसमें 41 श्रावक-श्राविकाओं को वर्षीतप का पारणा करवाया गया।
श्री गुरू पुष्कर तीर्थ पावनधान के अध्यक्ष सूरत प्रवासी ललित ओरड़िया ने बताया कि पारणा महोत्सव के अवसर पर महाश्रमण जिनेन्द्र मुनि मसा, राजस्थान सिंहनी उपपर्वतनी महासती चारित्रप्रभा मसा, जिनशासन गौरव मंगलज्योति मसा, रूचिका मसा, राजश्री मसा व प्रक्षा मसा के सानिध्य में कई कार्यक्रम हुए। पावनधाम में स्वागत भवन के उद््घाटन, प्रवचन व पारणा के साथ नवनिर्मित अतिथि भवन की द्वितीय मंजिल व पुस्तकालय भवन की बोलियां भी लगाई गई।
स्वागत भवन का उद्घाटन: पारणा महोत्सव पर पावनधाम में नवनिर्मित स्वागत भवन का उद्घाटन किया गया। सायरा उपतहसील क्षेत्र के कमोल गांव के बाबूलाल दोशी, रमेश कुमार दोशी, सुभाष कुमार दोशी, मयूर कुमार दोशी, अशोक कुमार दोशी, रूपचन्द मादरेचा, सुखलाल मादरेचा व दिनेश कुमार मादरेचा ने उद्घाटन किया।
मंगलाचरण व ध्वजारोहण: पावनधाम परिसर में लगाए गए विशाल पाण्डाल में अतिथियों व श्रावक श्राविकाओं को महाश्रमण जिनेन्द्र मुनि म.सा., राजस्थान सिंहनी उपपर्वतनी महासती चारित्रप्रभा म.सा., जिनशासन गौरव मंगलज्योति म.सा, रूचिका म.सा., राजश्री म.सा. व प्रक्षा म.सा. ने अपने प्रवर्चनों से लाभान्वित किया। प्रवर्चन से पूर्व ललित ओरड़िया की धर्मपत्नि निर्मला ओरड़िया ने मंगलाचरण ‘‘गुरू पुष्कर नाम दिपाया’’ गाकर की। मंगलाचरण के बाद ढ़ोल के रामचन्द्र मादरेचा, तिलक कुमार मादरेचा व रूपेश मादरेचा ने ध्वजारोहण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ढ़ोल के बाबू लाल दोशी ने की। इस दौरान अतिथि के रूप में प्रधान पुष्कर तेली, वरिष्ठ एडवोकेट कमलेश शर्मा, भाजपा के नान्देशमां मण्डल अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह झाला, किसान युवा मोर्चा के मण्डल अध्यक्ष नवल सिंह राजपूत को मेवाड़ी पगड़ी पहनाकर व शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया गया। प्रवर्चन कार्यक्रम में अतिथि व सैकड़ों श्रावक व श्राविकाएं मौजूद थी।
राजश्री मसा ने कहा कि दूध को गर्म करने के लिए तपेले का आधार चाहिए, तपेले का आधार गर्म होता है तब ही दूध गर्म हो पाता है उसी प्रकार आत्मा को पवित्र करने के लिए शरीर को तपना पड़ता है। उन्होंने कहा कि त्याग से जीवन उन्नत बनता है। जिससे छूटता है वो रागी कहलाता है और जो छोड़ देता है वो त्यागी कहलाता है। गौतम बुद्ध ने त्यागा तो उन्हें अक्षय सुख की निधि मिल गई।
प्रवचन के दौरान पूज्य रमेश मुनि ने ट्रस्ट कार्यकारिणी को बधाई देते हुए 45 वर्षीतप पारणा की अनुमोदना की। महाश्रमण जिनेन्द्र मुनि ने आराधकों की प्रशंशा करते हुए सर्वजन को तप की ओर बढ़ने का संदेश दिया। उप प्रवर्तिनी चारित्रप्रभा मसा, मंगलज्योति मसा, रूचिका मसा और प्रक्षा मसा ने भी प्रवचनों से लाभान्वित किया।
पुस्तकालय की बोली 7 लाख 51 हजार: प्रवचन के दौरान महाश्रमण उपपर्वतक जिनेन्द्र मुनि ने अतिथि भवन की द्वितीय मंजिल व पुस्तकालय के लिए बोलियां आरम्भ करवाई। पुस्तकालय के लिए 5 लाख 55 हजार 555 रूपए से बोली आरम्भ की गई। ब्यावर के माणकचंद दुग्गड़ द्वारा सर्वाधिक 7 लाख 51 हजार रूपए की बोली लगाई गई। अतिथि भवन की भी बोली लगी।
महोत्सव के दौरान आचार्य देवेन्द्र मूनि व स्व. मांगी लाल ओरड़िया को किया याद: पारणा महोत्सव के दौरान आचार्य देवेन्द्र मुनि व स्व. मांगी लाल ओरड़िया को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। उल्लेखनीय है कि इस दिन श्रमण संघ के तृतीय पट्धर आचार्य देवेन्द्र मुनि मसा की 19वीं पुण्यतिथि थी, वहीं पावनधाम के लिए सक्रियरूप से कार्य करने वाले स्वर्गीय मांगीलाल ओरड़िया की 9वीं पुण्यतिथि भी थी। इस मौके पर राजश्री मसा ने स्व. मांगी लाल ओरड़िया को दशरथ की भांति बताते हुए उनके चारों पुत्रों को दशरथ के पुत्रों के समान बताया।
ट्रस्ट ने किया स्वागत: इस दौरान श्री पुष्कर तीर्थ पावनधान ट्रस्ट के अध्यक्ष ललित ओरड़िया (वास), मंत्री सुख लाल मादरेचा (ढ़ोल), कोषाध्यक्ष नाथू लाल चपलोत (सायरा), उपाध्यक्ष रमेश बी दोशी (कमोल), उपाध्यक्ष मीठा लाल सोलंकी (नान्देशमां), सहमंत्री बसंती लाल भोग (जसवंतगढ़), भंवर लाल तातेड़ (गोगुन्दा) ने सभी अतिथियों, आराधकों, आगन्तुकों व श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत किया गया।
इन्हें करवाया पारणा: विकास ज्योति मसा व महिमाश्री मसा ने वर्षीतप किया था वहीं रूचिका मसा ने एकासन वर्षीतप किया। सिंघाड़ा, सायरा, सेमड़, पदराड़ा, कमोल, ढ़ोल, तरपाल, रावलिया कलां, जसवंतगढ़, गोगुन्दा, नान्देशमां, करदा, उदयपुर, डबोक, देबारी व चित्तौड़ के 38 आराधकों ने भी वर्षीतप किया। पारणा महोत्वस में सभी 45 आराधकों को ढ़ोल के रामचन्द्र मादरेचा, तिलक कुमार मादरेचा व रूपेश मादरेचा ने इक्षुरस पिलाकर हर्षोल्लास के साथ पारणा करवाया। आराधकों ने उप प्रवर्तक महाश्रमण जिनेन्द्र मुनि, रमेश मुनि, उप प्रवर्तिनी चारित्रप्रभा म.सा. सहित मुनिजनों को इक्षुरस पिलाकर पारणा किया।

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News in Hindi

*🙏हार्दिक अनुमोदना🙏*

*🔹वर्षितप की आराधना करने वाले सभी तपस्वीयो का सुख साता पूछते है*👏👏

*♦आपके द्वारा किये गये अमर तप 14 महीने की घोर तपस्या बिना विघ्न परिपूर्ण हो रही है दादा आदिनाथ को भी शत शत वंदन करते है जिन्होने आपकी तपस्या को परिपूर्ण की* 🌷🌷

*🔺जैन धर्म मे अगर सबसे बड़ी तपस्या का जिक्र किया है तो वह है वर्षितप*

*🔸सभी वर्षितप के पुण्यशाली महानुभावो को अक्षय तीज के पारणे की हार्दिक शुभकामना के साथ अनुमोदना करते है*

🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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