07.04.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 07.04.2017
Updated: 08.04.2017

Update

धन्य हुआ भोपाल #ध्यानसागर जी पधारे.. पूरे रास्ते भक्तों ने गुरु श्री का पाद प्रक्षालन किया और आरती उतारी। #KshullakDhyansagar

"जिनके ध्यान में होती है निज की अनूभूति,
जिनके चिंतन के सागर से निकलते हैं आगम के मोती,
जिनके लेखन में समाया है तत्वों का सार,
उनके श्री मुख से बहती है आगम की धार।

ऐसे जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक रत्न ध्यानसागर जी महाराज के श्री मुख से आगमधारा सुनने का सौभाग्य भोपालवासियों को प्राप्त हुआ है

"आगमधारा का उद्देश्य प्रशंसा पाना नहीं हैं बल्कि जिनशासन का प्रकाश फैला कर भटके हुए जीवों के अंदर का अन्धकार हटाना और अपने हृदय मे केवलज्ञान का प्रकाश जगाना है।"

उपदेशक: जिनवाणी पुत्र श्री ध्यानसागर महाराज, कल सुबह 8 बजे, स्थान: चौक मंदिर

Info with pics by अंकित अंशुल जैन:)

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Update

Sri Parshawanath Tirthankara at Humcha, Shimoga district, Karnataka State, South India. Photo sent by -H H Sri Devendra Keerthi Bhattarakaru of Hombuja Jaina Monastery.

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*डोंगरगढ़ में 6 अप्रैल को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की ससंघ भव्य आगवानी Exclusive 😍 -आचार्य श्री #विद्यासागर महा मुनिराज की भव्य अगवानी छत्तीसगढ़ की राजनाँदगांव जिले के प्रसिद्ध जैन तीर्थक्षेत्र चंद्रगिरी में!

आचार्य श्री लगभग 45 दिन के बिहार के बाद 500 किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर डोंगरगढ़ पहुंच रहे हैं मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया कि सागर बीना बारह, जबलपुर, मंडला आदि प्रमुख स्थानों से बिहार करते हुए यह पहचे हैं, वर्ष 2011 और वर्ष 2012 में आचार्य श्री के ससंघ वर्षाकालीन चातुर्मास हुए थे श्री विद्यासागर महाराज की के सानिध्य में छत्तीसगढ़ के पहले तीर्थ स्थान का शिलान्यास चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में हुआ था इस मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है आचार्य श्री के आशीर्वाद से यहां पर प्रतिभास्थली विद्या ज्ञानपीठ का शुभारंभ 4 वर्ष पूर्व हुआ था यहां पर लगभग 400 से अधिक छात्राएं अध्ययनरत हैं

-एमड़ी न्यूज़ सागर

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News in Hindi

#आचार्य_श्री_ज्ञानसागर तथा #बाबा_रामदेव -आपको कोई कहे कि ऐसा व्यक्ति ढूंढकर लाओ जो ज़िन्दगी भर बिजली का उपयोग न करता हो, वाहन में न बैठता हो, स्नान न करता हो, बैंक में जिसका खाता न हो, जिसके पास रहने के लिए घर न हो, गांव में खेत न हो, जो पैसा न कमाता हो, जो विवाह न करता हो, जिसका परिवार न हो, पैर में जुते न पहनता हो, जिसके पास राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, ड्राईविंग लाईसेंस आदि न हो, जिसे पासपोर्ट की जरुरत न हो, जिसे दर्जी, नाई, मोची, सुथार, लुहार, घांची, तेली, वणिक आदि लोगो की जरुरत न पड़े और फिर भी जो सदैव सुखी रहे, तो आपको कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं, जैन साधू के रूप में ऐसे व्यक्ति आपके आस पास विचरण करते हुए नज़र आ जाएंगे ।

भारत का संविधान 1950 में बना था और अब तक 64 सालों में इसमें 100 से अधिक संशोधन हो चुके हैं परंतु एक संविधान आज से 2570 वर्ष पूर्व शासन स्थापना के दिन भगवान महावीर ने साधू के लिए बनाया था जो आज तक एक बार भी परिवर्तित नहीं हुआ । (note: Jain Dharma ki sthapana is avsarpaniya kaal mein Bhagwaan Adinath ne ki thi)
2570 वर्ष पूर्व जैन साधू जो जीवन जीते थे, आज के आधुनिक चकाचौंध भरे युग में भी वैसा ही जीवन जी रहे हैं:)

-वैभव जैन सम्यक्

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