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🌹जय आदि🌹
आज भोपाल नगर में हुई गुरुवर की अद्भुत अदुतीय अगवानी सारा नगर झूम उठा चहुंओर *नमोस्तु शासन*जयवंत हो रहा था यह कार्य ऐसा लग रहा था की मनुष्यों के रूप में मानो इन्द्र देव गुरुदेव की अगवानी कर रहें हो यह अनुपम द्रश्य आप के सम्मुख है-
*॥अनुपम गुरुवर की अनुपम अगवानी॥*
*द्वार द्वार पर वन्दनवारे,मंगल गीत सुनाते है।*
*विशुद्ध गुरु भोपाल पधारे,मिलकर चौक पुराते है॥*
सब नयनो से अश्रु धारा,नीरव निर्झर बहता है।
अनुपम क्षण की खुशियों में यह,भक्त ह्रदय कुछ कहता है॥
प्यासे नयना झलक रहें है,यह कैसे हो सकता है।
अन्तस के इस उत्सव को,यह अश्रु गिरकर कहता है॥
हम सुद्बुद भूलें झूम झूम कर,मिलकर हर्ष मनाते है।
*विशुद्ध गुरु भोपाल पधारे,मिलकर चौक पुराते है॥*
धरती अम्बर झूमे गाये,मिलकर सब हर्षाते है।
गुरुवर की मुस्कान देखकर,मन मोहित हो जाते है॥
कल वसंत छाया था पर,मानो वसंत अब आया है।
जग मिथ्यातम को हरने को,यह परम संत अब आया है॥
हम एक नेक है गुरु चरणों में,मिलकर शीश झुकाते है।
*विशुद्ध गुरु भोपाल पधारे,मिलकर चौक पुराते है॥*
क्या मंत्री-क्या संतरी नेता,सब चरणों में झुक जाते है।
गुरुवर जिसपर हाथ रखें,वह पत्तर भी पुज जाते है॥
हरस हरस कर बादल बरसें,कोयल कू कू गाती है।
लघुनँदन का वंदन करके,गौरव गीत सुनाती है॥
स्वर्ण अक्षरों से गुरुवर,इतिहास यहाँ लिख जायेगा।
अगवानी का द्रश्य नयन से,हटा कोई ना पायेगा॥
लघुनँदन वंदन करता है,रौम रौम खिल जाते है।
*विशुद्ध गुरु भोपाल पधारे,मिलकर चौक पुराते है॥*
🌹🌹🌹जय पार्श्वनाथ!🌹🌹🌹
चरण रखते है गुरु जहाँ.पुण्य सैलाब आता है।
पाप कटते है नज़रों से.चरण मे शीष झुकाता है॥
कूछ मांगो ना गुरुवर से.बिन माँगे ही मिलता है।
गुरु मुश्कान को लखकर.लघुनँदन जैन खिलता है॥"
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*🌹भारत🌹भारत🌹भारत🌹"प्रेम वा मिठास घोलो-मिलकर सब हिन्दी बोलो"🌹भारत🌹भारत🌹भारत🌹*
*"आप अपनी जिंदगी मे एक वार श्री सियावाश तीर्थक्षेत्र आये आपकी जिंदगी बदल जयेगी"*
"मे हाथो मे कलम लिये,सोचता ही रह गया।
गुरु महिमा वर्णन करते-2,जीवन छोटा पड़ गया॥
*नमोस्तु शासन जयवंत हो!*
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