01.02.2017 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 02.02.2017

News in Hindi

रविन्द्र जैन बने शौर्य मुनि
जहां संकल्प है वहां असंभव कुछ भी नहीः आचार्य सम्राट श्रीशिवमुनि
श्री स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उदयपुर के तत्वावधान में आचार्य सम्राट श्री शिवमुनिजी महाराज ससंघ के सानिध्य में भव्य #जैन_भगवती_दीक्षा_महोत्सव सम्पन्न
उदयपुर, 1 फरवरी। श्री स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उदयपुर के तत्वावधान में आचार्यश्री शिवमुनिजी महाराज ससंघ के सानिध्य में बुधवार को बसन्त पंचमी के अवसर पर आज चित्रकूट नगर स्थित रसिकलाल एम. धारीवाल स्कूल प्रांगण में भव्य जैन भगवती दीक्षा महोत्सव हुआ। दीक्षार्थी साधक रविन्द्र जैन आचार्य सम्राट श्री शिवमुनिजी महाराज से दीक्षित होकर रविन्द्र जैन से शौर्य मुनि बने।
दीक्षा समारोह के प्रारम्भ में दीक्षार्थी रविन्द्र जैन ने आचार्यश्री सहित सभी मुनिवृन्दों का आशीर्वाद लेकर उपस्थित जनों को अपना परिचय दिया। उन्होंने कहा कि दीक्षा परमात्मा को पाने की पहली सीढ़ी है और अरिहन्त के चरणों में स्थान पाने का मार्ग है। दीक्षा न ली जाती है और न ही दी जाती है। दीक्षा भावना तो एक वैराग्य है तो अपने आप स्वयं में उत्पन्न होता है। उन्हें इसकी प्रेरणा अपने माता-पिता से मिली जो जीवन में हमेशा धर्मध्यान और अरिहन्त की आराधना करते थे। बचपन से उन्हें देखता आया हूं और आखिरकार उनके जीवन में भी यह भाव जागा और आज दीक्षा ले रहा हूं। सभी से क्षमा याचना करते हुए उन्होंने उपस्थित सभी समाजजनों को प्रभावना वितरित की। इस दौरान दीक्षार्थी की जय-जयकार से दीक्षा स्थल गूंज उठा।
इसके बाद साधुवृन्द दीक्षार्थी को अपने साथ ले गये एवं सांसारिक परिवेश का त्याग करवा कर साधुवेश धारण करवाया एवं पुनः जयकारों के साथ दीक्षार्थी को आचार्यश्री के सानिध्य में लाया गया।
पुष्करवाणी ग्रुप ने बताया कि आचार्यश्री ने दीक्षार्थी को विभिन्न दीक्षा विधियां सम्पन्न करवाई। णमोकार मं़त्र का जाप करवाया, सामयिक सूत्र ग्रहण करवा कर मन, वचन और काया का शुद्धिकरण करवाने की विभिन्न विधियां सम्पादित करवाई। दीक्षार्थी को संयम का संकल्प करवाने के बाद साधु जीवन के सभी आवष्यक सामग्री प्रदान की। समारोह में जैसे ही आचार्यश्री ने दीक्षार्थी का नामकरण कर रविन्द्र जैन को शौर्यमुनि उद्घोषित किया तो चारों और हर्ष-हर्ष और जयकारों से सभागार गुंजायमान हो गया। इसके साथ ही आचार्यश्री ने शौर्यमुनि के कैशलोच की विधि भी सम्पादित की।
दीक्षा विधि सम्पादित होने और संयम साधना का मार्ग अंगीकार करने के बाद शौर्यमुनि को मंच पर मुनिवृन्दों के साथ ही आसन ग्रहण करवाया।
इस अवसर पर आचार्यसम्राट शिवमुनि ने कहा कि शौर्यमुनि के संकल्प, साधना और दृढ़ निश्चय के आगे आज हर कोई नतमस्तक है। दीक्षा लेना इतना आसान काम नहीं है। इन्होंने प्रेम से परिवार, रिश्ते-नातेदारों का सभी का दिल जीत कर आज यह मुकाम हासिल किया। जहां संकल्प है वहां असंीाव नाम की कोई चीज नहीं होती है। साधना का नाम ही जीवन है। ज्ञान, शांति, परमात्मा, अनन्त सभी भीतर हैं, केवल ज्ञान बाहर या शास्त्रों में नहीं मिलता है वह ही अपने भीतर से ही मिलता है। दीक्षा ही ऐसा मार्ग है तो मनुष्य को भीतर तक की यात्रा करवाती है।
इसके बाद चादर महोत्सव हुआ जिसमें आचार्यश्री सहित मुनि वृन्दों को चादर समर्पित की गई। अन्त में आचार्यश्री ने सभी को मंगलपाठ सुनाया।
इससे पूर्व लोकमान्य सन्त रूप मुनि ने दीक्षार्थी को संयम के मार्ग पर चलने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि आज से इनका नया जन्म हुआ है इनके जीवन की सारी प्रक्रियाएं ही बदल गई है। दीक्षा के दो अक्षर का महत्व बताते हुए मुूनि ने कहा कि दी यानि दीनपना और क्ष यानि क्षय होना यानि जिससे दीनपने का क्षय हो वह दीक्षा है। सांसारिक जीवन में सभी धर्म और संयम के नाम पर दीन-हीन ही होते हैं। जब धर्म का मार्ग जीवन में आता है तो दीनपने का क्षय हो जाता है। आचार्य कपिलजी, सुभम मुनि, शिरीष मुनि आदि ने भी नव दीक्षित शौर्यमुनि जी को आशीर्वाद प्रदान किया।
समारोह में श्री स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उदयपुर के पूर्व अध्यक्ष विरेन्द्र डांगी ने आचार्यश्री शिवमुनि ससंघ संे अगला चातुर्मास उदयपुर में ही करने की विनती की जिसकी अनुमोदना श्री स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ने की। बड़ीसादड़ी संघ की ओर से आगामी अक्षय तृतीया पर बड़ी सादड़ी में वर्षी तप के पारणे आचार्य सम्राट के सानिध्य में करवाने की अनुमोदना करवाई। समारोह में कई वक्ताओं ने आचार्य सम्राट का चातुर्मास करवाने के लिए अपने विचार रखे।

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Sources

Source: © FacebookPushkarWani

Shri Tarak Guru Jain Granthalaya Udaipur
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Sthanakvasi
        • Shri Tarak Guru Jain Granthalaya [STGJG] Udaipur
          • Institutions
            • Share this page on:
              Page glossary
              Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
              1. Guru
              2. Shri Tarak Guru Jain Granthalaya Udaipur
              3. Udaipur
              4. अक्षय तृतीया
              5. आचार्य
              6. ज्ञान
              7. भाव
              Page statistics
              This page has been viewed 370 times.
              © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
              Home
              About
              Contact us
              Disclaimer
              Social Networking

              HN4U Deutsche Version
              Today's Counter: