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अमेरिका की होटल 450 करोड़ रुपये में बेच अपनाई संयम राह
#जिन_शाशन के शणगार
ऐसे इस महान आत्मा का परिचय
पू मुनिराज श्री हेमर्षि प्रभ विजयजी और एक साध्वीजी की बड़ी दीक्षा आज शत्रुंजय डैम मंदिर के निकट संपन्न हुई।
मुनिराज श्री हेमर्षि प्रभ विजयजी की दास्ताँ बड़ी महान और अनुकरणीय है। आपका सांसारिक नाम जयु भाई था और आप अमेरिका में होटल चला रहे थे..
मगर पुण्योदय से भारत आते-जाते समय इनका परिचय पू आ श्री हेमप्रभ सूरिजी से हुआ। तत्पश्चात, अमेरिका की होटल आपने 450 करोड़ रुपये में बेचीं, और 25 वर्ष से आप गिरी विहार की व्यवस्था संभाल रहे हैं ।
पहले गिरिराज पर जो फल, चावल,नैवेद्य चढ़ते थे, वे वापस दुकानदारों के पास आकर पुनः बेचे जाते थे। इस प्रकार यह प्रक्रिया बार बार होती थी, और हम अनजाने में घोर आशातना के भागिदार बनते थे, जिसे जयु भाई ने सेठ आनंदजी कल्याणजी पेढ़ी से संपर्क कर सभी मंदिरों की सामग्री गिरी विहार के अंतर्गत ली और जो सामग्री जहां उपयोग में लाये जाने से आशातना नहीं होती, वहां उपयोग में लाये जाने लगे।
आपके प्रयासों से गिरी विहार की भोजनशाला में बिलकुल मुफ्त में खाना दिया जाने लगा।पू आ श्री कलापूर्ण सूरिजी के कहने से कि बिलकुल मुफ्त भोजन से अपने साधर्मिकों को भोजन करने में संकोच होता था, अतः भोजन का 1 रूपया रखा गया।
आप ही के प्रयासों से पालीताना में गौशाला, साधु साध्वी वृद्धाश्रम, अस्पताल, आदि निर्माण किये गए । श्री जयु भाई ने अपनी काफी बड़ी रकम का उपयोग गुप्त रूप से गिरी विहार के कार्यक्रमों में किया।
ऐसे महान व्यक्ति की जितनी भी अनुमोदना और अभिनन्दन करें, वो कम ही है। आज इनकी उम्र लगभग 80 वर्ष की है, और संयम के पालन में वे अत्यन्त चुस्त हैं।
आपको पाकर धन्य हुआ जिनशासन
Source: © Facebook
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इवेंट मैनेजर है ये लड़की, एक फैसले से हैरान रह गए पूरी फैमिली के लोग
#नीलम 8 मार्च को जैसलमेर में #जैन संत विजय जी महाराज साहब और उनकी शिष्या साध्वी जिनेंद्र प्रभा संन्यास की #दीक्षा देंगी।
शिवपुरी के जैन परिवार की युवती ने 15 साल की उम्र में ही संन्यास का फैसला कर लिया था, लेकिन मां के आग्रह पर उस वक्त परिवार के साथ ही रही और धीरे-धीरे उसने MCom, MA, PhD और ईवेंट मैनेजमेंट की पढ़ाई में खुद को खपा दिया। घर वालों के लगातार दबाव के बावजूद उसने शादी नहीं की। लगातार 17 साल की जिद के बाद आखिरकार परिवार झुक गया और युवती को संन्यास लेने की अनुमति दे दी। अब युवती 8 मार्च को विधिवत संन्यास की दीक्षा लेगी। यह है मामला...
- शिवपुरी के जल मंदिर के पास जैन कारोबारी कविंद्र चौरड़िया की बेटी नीलम ने 15 साल की उम्र में ही संन्यास का संकल्प अपनी मां ऊषा के सामने जाहिर कर दिया था।
- दरअसल परिवार ने नीलम को शुरुआती पढ़ाई के बाद शिवपुरी से राजस्थान के एक जैन आश्रम में भेज दिया था।
- पढ़ाई के दौरान नीलम साधु-साध्वियों की संगत में रही और उनके निर्देशन में भजन गाने लगीं। भजन गाते और साधु-साध्वियों की संगति से नीलम के मन में टीनेज से ही वैराग्य आ गया।
फैमिली ने नहीं दी संन्यास की अनुमति
- आश्रम में रहने के दौरान नीलम ने मां से जिद कर रही थी कि उसे संन्यास लेना है, लेकिन मां और परिवार के दूसरे सदस्यों ने उसे इसकी अनुमति नहीं दी।
- नीलम ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और MCom, MA के बाद जैन फिलोसॉफी में PhD और ईवेंट मैनेजमेंट की पढ़ाई की।
- नीलम अब जैन समाज के ईवेंट ऑर्गनाइज करने लगी और अच्छे ईवेंट मैनेजर के तौर पर मशहूर हो गई।
अब दी संन्यास की अनुमति
- नीलम 32 साल की हो गई, लेकिन शादी न करने के फैसले पर अडिग रही तो आखिरकार मां ऊषा और पिता रविंद्र ने उसे संन्यास के लिए अनुमति दे दी।
- अब नीलम 8 मार्च को जैसलमेर में जैन संत विजय जी महाराज साहब और उनकी शिष्या साध्वी जिनेंद्र प्रभा संन्यास की दीक्षा देंगी।
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