19.01.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 19.01.2017
Updated: 20.01.2017

Update

20 जनवरी का संकल्प

तिथि:- माध कृष्णा अष्टमी

संयम के शस्त्र से ही होता इच्छाओं पर वार ।
मन वश में हो जाए तो बेड़ा लग जाए पार ।।

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🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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👉 पूज्यवर का प्रेरणा पाथेय
👉 तपस्या करने वालो का जीवन अच्छा हो सकता है। तपस्या शरीर और वाणी से होती है- आचार्य श्री महाश्रमण
👉 माथाभांगावासियों को पूज्यवर ने प्रदान की सम्यक्त्व दीक्षा
👉 माथाभांगा से पूज्यवर के आज के प्रवचन के अंश..

दिनांक - 19 जनवरी 2017

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*प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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आचार्य तुलसी की कृति...'श्रावक संबोध'

📕अपर भाग📕
📝श्रृंखला -- 196📝

(मुक्त छन्द)

*41.*
सहिष्णुता हो सहिष्णुता हो केवल रट से,
सहनशील सहसा कोई कैसे बन पाए?
हो प्रयोग *'तुलसी'* प्रेक्षा-प्रयोगशाला में,
परमाधामी पति भी परमात्मा बन जाए।।

*अर्थ--* सहिष्णुता-सहिष्णुता की रट लगाने मात्र से कोई भी व्यक्ति कभी सहनशील नहीं बन पाता। यदि प्रेक्षाध्यान की प्रयोगशाला में नियमित रूप से प्रयोग किया जाए तो सहिष्णुता जीवन में उतर आती है। उससे परमाधामी--यमदूत लगने वाला पति परमात्मा बन जाता है।

*भाष्य--* सहिष्णुता रटने का नहीं, आचरण में लाने का तत्त्व है। जो व्यक्ति सहन करना सीख लेता है, वह अपने जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन ला सकता है। इस सच्चाई को प्रमाणित करने वाली एक घटना यहां दी जा रही है--

लम्बी प्रतिक्षा के बाद सेठ के घर में कन्या का जन्म हुआ। उसका नाम रखा गया समता। अत्यधिक प्यार-दुलार के कारण वह उच्छृंखल हो गई। विवाह योग्य अवस्था होने पर वर की खोज की गई। गांव में कोई भी उसके साथ संबंध करने के लिए तैयार नहीं हुआ। आखिर दूर-दराज के किसी गांव में उसका रिश्ता तय हुआ। निश्चित समय पर विवाह हो गया। सम्पन्न घर और सुन्दर लड़की पाकर समता के ससुराल वाले प्रसन्न थे।

समता ससुराल गई। एक सप्ताह में ससुराल वाले परेशान हो गए। नई बहू में न विनय, न विवेक और न कामकाज की दक्षता। सास, जिठानी और ननद किसी के साथ उसकी नहीं पटी। कुछ समय बाद समता का भाई बहन को लेने आया। सास ने बहू को तैयार कर भाई के साथ भेज दिया। समता पिता के घर पहुंची तो फूट-फूटकर रोने लगी। कारण पूछने पर वह बोली-- *'आपने मेरे लिए कैसा घर व वर खोजा!'* इस विषय पर पिता-पुत्री में छोटा-सा संवाद हो गया--
*पिता--* पुत्री! क्या बात है? ससुराल कैसा लगा?
*समता--* नर्क से भी बदतर।
*पिता--* तेरी सास कैसी है?
*समता--* साक्षात् डायन है।
*पिता--* जिठानी कैसी है?
*समता--* वह तो बनी-बनाई चुड़ैल है।
*पिता--* ननद का क्या हाल है?
*समता--* वह शिकोतरी है।
*पिता--* मेरा जामाता कैसा है?
*समता--* उसके बारे में क्या बताऊँ, वह तो परमाधामी है।

सेठ समझ गया कि गलती समता की है। अन्यथा घर के सब सदस्य बुरे कैसे हो जाते! उसने पत्नी से परामर्श कर एक दिन समता को चमत्कारिक मंत्रों के बारे में जानकारी दी। उसे यह भी बताया कि मंत्र को साधने से संसार वश में हो जाता है। समता ने मन्त्र-साधना के बारे में उत्सुकता दिखाई। सेठ बोला-- 'बेटी! मन्त्र तो छोटा-सा है, पर उसकी साधना कठिन है। साधनाकाल में पूरी तरह से शांत रहना जरूरी है और साधना भी उन लोगों के बीच रहकर करनी होगी, जिनको वश में करना है। तुम्हें उनकी हर हरकत सहन करनी पड़ेगी।'

*क्या समता उस वशीकरण मन्त्र की साधना सफलतापूर्वक सम्पन्न कर पाई? क्या उसके ससुराल वाले वश में होकर उसके मन मुताबिक बन पाए?* जानने के लिए पढ़ें... हमारी अगली पोस्ट... क्रमशः कल।

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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