11.11.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 14.11.2016
Updated: 05.01.2017

News in Hindi

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❖ आचार्य श्री अपने शरीर को बिना हिलाय डुलाय ऐसे लेटे थे जैसे कोई पुतला पाटे पर रख दिया गया हो चीटियों के काटने का सारा दर्द इसलिए सहन कर रहे थे कि जरा सा भी हिलने डुलने पर शरीर के बोझ से चीटियों को नुकसान हो सकता था तुरंत.... क्या हुआ पढ़े निचे:)

मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज कंपिला जी से बिहार करते हुए आचार्य श्री के दर्शनों को कुंडलपुर जा रहे थे साथ में कुछ युवक बालक भी विहार कर रहे थे कुंडलपुर में आचार्य भगवंत के दर्शन हुए और संघ सहित कटनी की ओर विहार हुआ जैसे ही संघ रास्ते में आगे बढ़ा दूरी अधिक और अचानक अंधेरा होने से रास्ते में ही रुकना पड़ा सारा संघ खेत के किनारे किनारे पाटे लगाकर विश्राम कर रहा था तभी उनमें से कुछ बच्चों ने गाय के शुद्ध घी से आचार्य श्री एवं कुछ साधुओं की वैयाबृत्ति की तत्पश्चात संघ आराम करने लगा,थोड़ी देर बाद देखा कि कुछ महाराज उठ कर बैठ गए हैं पास में जाकर देखने पर पता चला कि घी की सुगंध से सारे शरीर के आसपास चीटियां आ रही थी जब आचार्य श्री के पास जाकर देखा तो उनके भी शरीर से सटकर चारों और चिटीयों का झुंड जमा था और आचार्य श्री अपने शरीर को बिना हिलाय डुलाय ऐसे लेटे थे जैसे कोई पुतला पाटे पर रख दिया गया हो चीटियों के काटने का सारा दर्द इसलिए सहन कर रहे थे कि जरा सा भी हिलने डुलने पर शरीर के बोझ से चीटियों को नुकसान हो सकता था तुरंत सभी भाइयों ने महीन कपड़े से चीटियों को अलग किया कपूर का छिड़काव किया जिससे चीटियां दूर चली गई तब आचार्य श्री उठे और मुस्कुराते हुए सभी को आशीर्वाद दिया।

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