07.11.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 07.11.2016
Updated: 05.01.2017

Update

शंका समाधान - 21 Oct.' 2016
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1. भारतीय संस्कृति में लाभ को शुभ नहीं बल्कि शुभ पूर्वक लाभ माना गया है यानि की लाभ शुभ कार्यों पूर्वक हो । अशुभ कार्यों से लाभ की आकांछा नहीं रखनी चाहिए।
2. समाज सेवियों को बहुत ही धैर्यवान होना चाहिए । अपनी आलोचनाओं को स्वीकार करके आगे बढ़ते रहना चाहिए।
3. भिगोया हुआ फुला हुआ अनाज लिया जा सकता है लेकिन अंकुरित अनाज नहीं लेना चाहिए वो सचित्त हो जाता है, कम से कम व्रतियों को तो नहीं लेना चाहिए ।
4. सोच अच्छी होगी तो व्यवहार में निश्चित दिखेगी ही । अगर व्यव्हार ठीक नहीं है तो सोच को और अच्छा करने की जरुरत है।
5. News fasting और week में कम से कम 3 दिन social media से उपवास रखिये, आपके व्यापर, job और स्वास्थ आदि में बहुत लाभ होगा । संवाद से ही व्यक्ति संवेदनशील बनता है । सुविधाएँ नियंत्रण में होनी चाहिए ।
6. वैयावृत्ति महातप है, 12 तपों में वैयावृत्ति को अलग से तीर्थंकर प्रकृति का बंध होता है । शारारिक तप तो फिर भी आसान है लेकिन किसी की सेवा करना बहुत महान कार्य है ।
7. धन की सार्थकता तभी है जब वो गरीब के या अच्छे कार्य में काम आये। नहीं तो एक दिन धन तो नष्ट हो ही जाना है ।
8. प्रभु की सच्छी उपासना तभी है जब मन की वासना शांत हो ।
9. दूसरों पर स्वयं के द्वारा किये हुए उपकार को पानी पर खींची लकीर की तरह भूल जाओ और दूसरों द्वारा अपने ऊपर किये उपकारों को पत्थर पर खींची लकीर की तरह याद रखिए ।
- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज

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दिगम्बर साधु का नग्न स्वरूप मज़ाक़ की वस्तु नई हैं!!

दिगम्बर मुनिराज वे होते ह जो पूरे जीवन नग्न रहते हैं, 24 धंटे में एक बार शुध भोजन तथा जल खड़े होकर लेते हैं, जीवन भर ब्रह्मचारी रहते हैं, कही भी जाना हो हमेशा पैदल ही चलते हैं, कितना भी दूर जाना हो हमेशा पैदल चलते हैं, जैन धर्म की पुस्तकें पढ़ते हैं, ध्यान करते हैं, उपदेश देते हैं.. इन दिगम्बर साधु के एक भी पैसा/ बैंक अकाउंट/ मठ नई होता, जीवन भर चलते रहते ह एक से दूसरे जगह, मंदिर/ अकेला शांति स्थान/ धर्मशाला आदि में रहते हैं, अपने को भावो से शुद्ध बनाने का प्रयास करते हैं, किसी को भी उनके कारण परेशानी या दुःख ना हो ध्यान रखते हैं। www.jinvaani.org दिगम्बर साधु के नग्न रूप का मज़ाक़ क्रोध/बैर तथा अज्ञानता के कारण से कोई उड़ा लेता हैं तो उसको एक बार इन दिगम्बर के आचरण [ Lifestyle & Daily routine ] को देख लेना चाहिए फिर आप स्वतंत्र हैं!!! अगर आपका कोई प्रश्न हैं तो आप पूछ सकते हैं, इस पोस्ट को SHARE करे ताकि कोई भी जो दिगम्बर साधु के बारे में ना जानते हो वे भी जाने PLEASE -written by admin

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आचार्य श्री वर्धमानसागर जी सासंघ सानिध्य में @ पोदनपुरम, सनावद में भगवान बाहुबली प्रथम अभिषेक:) #AcharyaVardhmansagar #Sanavad

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News in Hindi

"शिक्षा और भारत" विषय पर पुज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का "पत्रकारों" को सम्बोधन

जो संगोष्ठी का रूप रखा है उसके लिए आप आये है पूर्व भूमिका जानने।
आज शिक्षा के चक्र को मोड़ने की आवश्यकता है, विपरीत दिशा में मोड़ की आवश्यकता नहीं होती है विपरीत दिशा में जाना होगा। सृष्टि नहीं बदलना दृष्टि बदलना है, समष्टि बदलना है। शिक्षा के सन्दर्भ में सतर्क होकर हमें जागने की आवश्यकता है। सूर्य पश्चिम में ढलता है उसकी प्रकृति है परंतु हमें पश्चिम की तरफ नहीं बल्कि अतीत भारत के दर्शन की तरफ जाना है। आगे खतरनाक मोड़ है ऐंसा कहा जाता है और मार्ग में इसका बोर्ड भी लगा होता है परंतु भारत का सीधा रास्ता है इंडिया का नही।

ऊपर यान और नीचे जलयान चलता है जलयान चलातेे समय मुड़ना पड़ता है परंतु वायुयान में सीधा चलना पड़ता है उसी तरह अब भारत को सीधे रास्ते पर चलाना है। पत्रकारिता एक अच्छा स्तम्भ है और इस स्तम्भ के माध्यम से सीधे रास्ते पर चला जा सकता है।

भारत के अर्थ तंत्र में मंदी लायी जाती है मंदी आती नहीं है। कुछ शक्तियां भारत को टेढे मेढ़े रास्ते पर ले जाना चाहते हैं। पूरब की ओर ले जाना है हमें भारत को। भारत के पुराने बैभव को लाने के लिए हम किसी का विरोध नहीं करेंगे। परंतु अपने रास्ते पर चलने का प्रयास करना होगा। भारत के पास चेतन, अचेतन,इतिहास, हर प्रकार के विज्ञान का भंडार है। भारत एक खान है जिसमें भरपुर भण्डार है। भारत कभी दबता नहीं है दबंगता से चलता है। अखबारों को सही के साथ खड़ा होना होगा। विकास क्या है कौन बिकसित है कौन विकासशील है इसके बारे में चिंतन जरूरी है। अर्थ व्यवस्था के कारण ये हो रहा है। रीति यानि रास्ता नहीं बदलना बल्कि नीति को बदलना है। लोकतंत्र महत्वपूर्ण है। सरकार कौन है ये नहीं जान पाये अभी तक 70 बर्षों में। भारत प्रजातांत्रिक देश है जनता है तो सत्ता है,राजा कोई नहीं है। आतंकवाद की उत्पत्ति के कारणों को जानना होगा फिर उसके उपाय की तरफ जाना चाहिए। हिंसा से लड़ने के लिए हिंसा की जरूरत नहीं होती है अहिंसा इस देश का मूल मन्त्र है और अहिंसा कायरता नहीं है। अहिंसा की उपासना करने बाले कायर नहीं होते। तामसी गुण हैं तो राजसत्ता है बो राजसता कहलाती है। आप लोकतंत्र के पुजारी हैं उसे आपको संरक्षित रखना है। संदेह अवस्था में अच्छे अच्छे पहलवानों के पैर लड़खड़ा जाते हैं।

शिक्षा मंहगी हो गई है जब किसी पत्रकार ने ये पुछा तो गुरुवर ने कहा कि शिक्षा तो शिक्षा है इसे हमने ही यानि समाज ने ही महंगा किया है। जो शक्तियां भारत को बिचलित कर रही हैं उनका साथ देना छोड़ना पडेगा तभी एक अच्छे लोकतंत्र की तरफ हमारे मजबूत कदम बढ़ सकते हैं।

आज पत्रकारवार्ता में राष्ट्रीय स्तर का पूरा मिडिया उपस्थित था जिसमें ABP, ज़ी न्यूज, इंडिया न्यूज़,uni,pti, ibn 7, बंसल, e tv, express न्यूज़, अखबारों में दैनिक भास्कर, पत्रिका, राज एक्सप्रेस, जागरण,नवदुनिया, पीपुल्स समाचार, ई एम एस,प्रदेश टुडे, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स दि वीक और अनेक पत्रकार उपस्थित थे।

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