26.10.2016 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 26.10.2016
Updated: 27.10.2016

Update

🔘 खिंवाड़ा
★ विद्यालयों में कार्यक्रम।
🔘 विशाखापट्टनम
★ दीपोत्सव पर कार्यक्रम।
🔘 पीलीबंगा
★ ज्ञानशाला का वार्षिकोत्सव।
🔘 धुलिया
★ पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में कार्यक्रम।

26.10.2016
प्रस्तुति > #तेरापंथ मीडिया सेंटर
#jain #terapanth #tmc #news #samachar

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🔘 धुलिया
★ पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में कार्यक्रम।

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🔘 विशाखापट्टनम
★ दीपोत्सव पर कार्यक्रम।

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🔘 पीलीबंगा
★ ज्ञानशाला का वार्षिकोत्सव।

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🔘 खिंवाड़ा
★ विद्यालयों में कार्यक्रम।

News in Hindi

🌎 आज की प्रेरणा 🌏
प्रवचनकार - *आचार्य श्री महाश्रमण*
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से:-

वृक्ष के मूल से वृक्ष का विकास होता है | मूल है तो फल की भी आशा की जा सकती है | उसी प्रकार धर्म को वृक्ष के रूप में देखें तो विनय मूल है और परम मोक्ष | जीवन विनय से मोक्ष तक की यात्रा है | ज्ञान की प्राप्ति भी विनय से ही होती है | सिर्फ ज्ञान की प्राप्ति में ही नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में विनय का महत्व है | विनय से विद्या शोभित होती है | आचार्य सोमप्रभ सूरी ने सुक्त मुक्तावली में मानव जीवन को एक पेड़ के रूप में प्रस्तुत करते हुए इसके ६ फलों के बारे में बतलाया है | पहला फल है - जिनेन्द्र पूजा, वीतराग पूजा जो दुनियां के सर्वोत्कृष्ट व्यक्ति होते है | दूसरा - गुरु पर्युपासना अर्थात गुरु का सान्निध्य | तीसरा - प्राणियों के प्रति अनुकंपा रखना, चौथा - सुपात्र दान, पांचवां - दूसरों के गुणों के प्रति अहोभाव और छटा - आगम श्रवण, पाठन व स्वाध्याय | लेकिन सबके साथ विनय अपेक्षित है | यदि विनय है तो समझना चाहिए मूल हमारे हाथ में आ गया |

दिनांक - २६ अक्टूबर २०१६, बुधवार

🌎 आज की प्रेरणा 🌏
प्रवचनकार - *आचार्य श्री महाश्रमण*
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से:-

वृक्ष के मूल से वृक्ष का विकास होता है | मूल है तो फल की भी आशा की जा सकती है | उसी प्रकार धर्म को वृक्ष के रूप में देखें तो विनय मूल है और परम मोक्ष | जीवन विनय से मोक्ष तक की यात्रा है | ज्ञान की प्राप्ति भी विनय से ही होती है | सिर्फ ज्ञान की प्राप्ति में ही नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में विनय का महत्व है | विनय से विद्या शोभित होती है | आचार्य सोमप्रभ सूरी ने सुक्त मुक्तावली में मानव जीवन को एक पेड़ के रूप में प्रस्तुत करते हुए इसके ६ फलों के बारे में बतलाया है | पहला फल है - जिनेन्द्र पूजा, वीतराग पूजा जो दुनियां के सर्वोत्कृष्ट व्यक्ति होते है | दूसरा - गुरु पर्युपासना अर्थात गुरु का सान्निध्य | तीसरा - प्राणियों के प्रति अनुकंपा रखना, चौथा - सुपात्र दान, पांचवां - दूसरों के गुणों के प्रति अहोभाव और छटा - आगम श्रवण, पाठन व स्वाध्याय | लेकिन सबके साथ विनय अपेक्षित है | यदि विनय है तो समझना चाहिए मूल हमारे हाथ में आ गया |

दिनांक - २६ अक्टूबर २०१६, बुधवार

करुणासागर गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी
🔯की मनमोहक मुद्राओं की झलकियां।🔯

26.10.2016
प्रस्तुति > तेरापंथ मीडिया सेंटर
#AcharyaMahashraman #jain #terapanth #tmc #post

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🔯 गुरुवचनों को अपनाये - जीवन सफल बनायें 🔯
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