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आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन और मार्गदर्शन के लिए आज लगभग 40 न्यायधीश गण जैन मंदिर हबीबगंज पहुंचे उनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर गुरुवर ने कहा कि भारत की न्यायपालिका अन्य राष्ट्रों के मुकाबले बहुत सशक्त है फिर भी लाखों लोग न्याय से वंचित हैं क्योंकि जिस भाषा में कार्यप्राणाली चल रही है उसका ज्ञान नहीं है, स्थानीय भाषाओं में कार्य होगा तो न्याय सही होगा। गुरुवर ने कहा कि न्याय का फैसला सुनाते समय अपराधी और अपराध की परिस्थिति का भी अध्ययन आपको करना चाहिए। साथ ही अपराधी को एक प्रायश्चित का मौका अवश्य दिया जाना चाहिए।
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*What is Rest in Peace (RIP) ये "रिप-रिप-रिप-रिप" क्या है?* MUST READ IMPORTANT INFORMATION!!
*RIP शब्द का अर्थ होता है "Rest* *in Peace" (शान्ति से आराम करो*). यह शब्द उनके लिए उपयोग किया जाता है जिन्हें *कब्र में दफनाया गया हो*. क्योंकि ईसाई अथवा मुस्लिम मान्यताओं के अनुसार जब कभी "जजमेंट डे" अथवा "क़यामत का दिन" आएगा, उस दिन कब्र में पड़े ये सभी *मुर्दे पुनर्जीवित हो जाएँगे*... अतः उनके लिए कहा गया है, कि उस क़यामत के दिन के इंतज़ार में "शान्ति से आराम करो".
लेकिन जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार *शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है. जैन शरीर को जला दिया जाता है, अतः उसके "Rest in Peace" का सवाल ही नहीं उठता. जैन धर्म के अनुसार मनुष्य की मृत्यु होते ही आत्मा निकलकर किसी दूसरे नए जीव/काया/शरीर/नवजात में प्रवेश कर जाती है... उस आत्मा को अगली यात्रा हेतु गति प्रदान करने के लिए ही "विनम्र श्रद्धांजलि", "श्रद्धांजलि", "आत्मा को सदगति प्रदान करें" "Om shanti"
कोशिश करें कि भविष्य में यह गलती ना हो एवं हम लोग "दिवंगत आत्मा को *श्रद्धांजलि" प्रदान करें... ना कि उसे RIP करें*
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