17.10.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 17.10.2016
Updated: 05.01.2017

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Boycott crackers - #share #NoFirecrackers #SafeDiwali

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आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के 71वें जन्मदिवस पर रवीन्द्र भवन में हुए "आत्मन्वेषी' नाटक के मंचन की झलकियाँ #AcharyaVidyasagar #Acharyashri #MuniKshamasagar

प्रस्तुति: विवेचना रंगमंडल जबलपुर
नाट्यरूपान्तरण: अर्चना मलैया
आयोजक: मैत्री समूह

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देखिए विद्यासागर महाराज जी क्या कह रहे है, मुकमाटी मे।।। #AcharyaVidyasagar #Mookmati #AcharyaShri #Jainism

फूल प्रभु की पूजन में काम आते है,इसलिए उनकी प्रशंसा होती है |प्रभु चरणों में समर्पित होते है फूल,किन्तु भगवान कभी उन्हें छूते नहीं,कारण प्रभु ने काम-वासना को नष्ट किया है,शरण हीन हुए फूल शरण की आस ले प्रभु चरणों में आते है अवश्य | प्रभु का पवित्र सम्पर्क पाने से हम शूलों के जीवन में फूलों से विपरीत जो परिणमन हुआ सो और सुनो-किस दिशा से किस दिशा तक,कब से अब तक और अब से कब तक इत्यादि सूक्ष्म स्थान एवं समय का ज्ञान हमे शूलों के द्वारा ही हो पाता है | यदि ऐसा ना हो तो बताओ की दिशा सूचक यंत्र {चुम्बकीय सुई } एवं समय सूचक यंत्र { घड़ियों } में काँटे क्यों लगे रहते है |

*यह बात भी हमें नहीं*
*भूलना चाहिए कि*
*शास्ता की शासन-शय्या*
*फूलवती नहीं*
*शूल-शीला हो,*
*अन्यथा,*
*राजसत्ता वह राजसत्ता की*
*रानी-राजधानी बनेगी वह!*

अनुवाद: मुनि निर्वेगसागर जी (आचार्य विद्यासागर जी के शिष्य)

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⁠⁠⁠जैन युवा प्रतिभा सम्मान 2016 -इंदौर गोम्मटगिरी में यंग जैना अवार्ड में प्रतिभाओं का हुआ आत्मीय सम्मान:

गोम्मटगिरी (इंदौर)। आचार्य श्री विद्यासागर जी के शिष्य मुनिश्री क्षमा सागर जी की प्ररेणा से आयोजित यंग जैन अवार्ड (जैन युवा प्रतिभा सम्मान) के समारोह में देश के 19राज्यों से आईं होनहार जैन प्रतिभाओं का आत्मीय सम्मान देश की सुप्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ व राजनीतिज्ञ कोटा (राज.)की पूर्व महापौर श्रीमती रत्ना जैन ने किया। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर मे स्थित प्रसिद्ध जैन अतिशय क्षेत्र गोम्मटगिरी जी में मैत्री समूह के तत्वावधान में आयोजित वर्तमान के सर्वाधिक प्रतिष्ठित "अखिल भारतीय जैन युवा प्रतिभा सम्मान" हेतु देशभर से लगभग 23 राज्यों से 2000 प्रतिभाओं की प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं। जिसमे से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली लगभग 200 प्रतिभाओं को सम्मान समारोह में आमंत्रित कर आत्मीय एवं गरिमापूर्ण के साथ सम्मानित किया गया। इन में 112 विद्यार्थी ऐसे हैं जिन्होंने अपनी बोर्ड क्लास में शत-प्रतिशत अंक पाए हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा (PSC)परीक्षा में चयनित 25 अवार्डियों को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।

यंग जैना अवार्ड 2016 का गरिमामय आयोजन पूर्ण भव्यता के साथ गोमटगिरी जी इन्दौर में सम्पन्न हुआ। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज और मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज की प्रेरणा से आयोजित होने वाले यंग जैना अवार्ड का आयोजन इस वर्ष का गोमटगिरी जी, इन्दौर में दिनाक 8 एवं 9 अक्टूबर को किया गया। मैत्री समूह के सदस्य और देश भर से आये वालियंटियर्स ने सर्वप्रथम गोमटेश बाहुबली भगवान के श्री चरणों मे सामूहिक रूप से शांतिनाथ भगवान का स्त्वन शांति विधान के रूप में अत्यंत भावनाओं से भर कर किया। शाम होते होते बादलों ने भी इस आयोजन की अनुमोदना करते हुए अमृत बरसाया और भूमि की शुद्धि कर दी।

मैत्री समूह द्वारा मुनिश्री क्षमासागर जी महारज के जीवन पर आधारित एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया था जिसमें मुनिश्री का जीवन परिचय, उनका साहित्य, उनके द्वारा दिया जाने वाला शंका का सटीक समाधान, उनके संस्मरण और जैन धर्म का वैज्ञानिक पक्ष प्रस्तुत किया गया था। अपराह्न 12.30 सारे अवार्डी मंच के समीप पहुँचे जहाँ पर एक भव्य शोभा यात्रा के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। सर्वप्रथम जिन धर्म की ध्वजा और उसके पीछे अलग अलग राज्यों के ध्वज लेकर अवार्डी बच्चे और वालियंटियर्स का समूह बहुत ही व्यवस्थित रूप में मन्दिर परिसर की परिक्रमा करते हुए प्रदर्शनी स्थल पर पहुँचा जहाँ पर प्रदर्शनी का उद्घाटन श्रीमती वंदना बड़जाते, कोटा द्वारा किया गया। सभी प्रत्यक्षदर्शीयों के द्वारा प्रदर्शनी की बहुत सराहना की गयी। फिर यह शोभायात्रा ध्वजारोहण के स्थान पर पहुँची जहाँ मंत्रोच्चार के साथ मंगल ध्वजारोहण समपन्न हुआ और पूर्व/उत्तर दिशा में ध्वजा के फहरते ही मुनिश्री के मंगल आशीष की अनुभूती उपस्थित जन समुदाय को हुई।

कार्यक्रम के पहले दिन 8 अक्टूबर को दोपहर साढ़े 2 बजे पहले सत्र का शुभारंभ मंगलाचरण के साथ हुआ। इंजी. योगेन्द्र जैन, लंदन एवं श्रीमती रेशु जैन, मुम्बई ने यंग जैना अवार्ड का जोरदार आगाज किया. इसके बाद IIM बंगलौर के प्रोफेसर, विशेषज्ञ व विनियोजक श्री राकेश गोधवानी जी ने स्व रोजगार शुरुआत हेतु कौशल विकसित कराये. इसके पश्चात अहमदाबाद से आये हुए श्री कुणाल गुप्ता और अर्शदीप कौर जी ने सफल अन्त्रप्रेउशिप के अनुभव और मन्त्रो से सभी को अवगत कराया। परमपूज्य आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी के आशीर्वाद से स्थापित हथकरघा उद्योग के निर्देशक ब्र.श्री अमित जैन M.Tech IIT Delhi के द्वारा हथकरघा उद्योग एवं रोहित भैया जी ने जैविक खेती,बायोगैस प्लांट, गौशाला पर आधारित उद्योग के बारे मे अवार्डी बच्चों को मार्गदर्शन दिया गया।
8 अक्टूबर को सायं 7 बजे पुज्य बाहुबली भगवन के चरणों में सभी बच्चों ने आरती और भक्ति की, पूज्य मुनिश्री के जीवन पर आधरित वृतचित्र भी दिखाया गया. इसके बाद अनुभव ने जैन दर्शन से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक व् रोचक मैत्री किव्ज के माध्यम से बहुत ही सरलता से जैन धर्म के मूलभूत सिद्धांतो को सभी को समझाया गया।
दूसरे दिन का प्रारम्भ हुआ प्रभु स्मरण के साथ और सारे लोगों ने प्रभात फेरी के रूप में भक्ति करके अपने दिन की शुरुवात की। तत्पश्चात सभी अवार्डियों को सामूहिक अभिषेक, शांतिधारा एवं पूजन करवाई गई जिसमे लगभग 50 अवार्डी भाइयों ने श्री जी का अभिषेक किया। शांतिधारा का प्रथम अवसर उन भाइयों को मिला जिन्होने वर्ष में एक दिन अभिषेक का संकल्प लिया अथवा प्रतिदिन मेरी भावना के पाठ के लिये संक्लपित हुए। आखिर ये छोटे संकल्प ही तो बडे संस्कारों की नीव बनते हैं। कार्यक्रम में यंग आर्केस्ट्रा झांसी के मधुर भजनों ने श्रोताओं को आनंदित किया। प्रातः 10 बजे के पहले सत्र में अमेरिका से आई एक्सपर्ट ट्रेनर सुश्री सुरभि पांड्या ने पुज्य मुनि श्री के संस्मरण के साथ पर्सनाल्टी डेवलपमेंट पर सारगर्भित व्याख्यान देते हुए जीवन में आगे बढ़ने के कारगर टिप्स दिए। इसके बाद श्री रीतेश जैन (Director T.I.M.E. Institute Ghaziabad) ने बच्चों को कैरियर काउंसलिंग दी गई ।

प्रतिभाओं के सम्मान का मुख्य आयोजन दूसरे दिन 9 अक्टूबर को दोपहर 1.30बजे प्रारंभ हुआ, जिसकी भव्यता, अनुशासन, प्रबंधन एवं गरिमा देखते ही बनती थी। सम्मान की श्रंखला में सबसे पहले राज्य प्रशासनिक सेवा मे चयनित 20 छात्रो का आत्मीय सम्मान किया गया। इसके बाद कक्षा 10 वीं मे 10 CGPA अंक पाने बाले अवार्डियों जिन्होने अपने सभी विषयों में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं, तथा साथ ही कक्षा 10वीं के उच्च अंक प्राप्त अन्य छात्रों का भी सम्मान किया गया। कक्षा 12 वीं मे कला, वाणिज्य, एवं विज्ञान, के छात्रो के साथ प्रतियोगी परीक्षआओ मे चयनित छात्रो का भावभीना सम्मान किया गया। छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती रत्ना जैन ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने के साथ-साथ अपने धर्म और संस्कार को न भूले, अपने आप को बहुत प्रतिभाशाली बनाये और अपनी बात को प्रतिभाशाली ढंग से रखे, विदेश जाने में कोई बुराई नही है परन्तु हम अपने संस्कार न भूले, हम जैन है तो वाकई मे सच्चे है आप सभी जन जन्म से भी श्रेष्ठ है और कर्म से भी श्रेष्ठ है। इससे पूर्व वरिष्ठ साहित्यकार

प्रो.(डॉ.) सरोजकुमार जी ने अपने सरल सुबोध उध्वोधन मे कहा कि लौकिक शिक्षा प्राप्त करते हुऐ धर्म से विमुख न हो यह क्षमासागर जी ने युवाओं के पीठ पर हाथ रखते हुऐ सिखाया। मंच यहाँ खाली नही है मेरी कल्पना मे मुनि क्षमासागर जी यहाँ बैठे है। प्रथम पंक्ति के कवि थे लेकिन तृतीय, चतुर्थ पंक्ति मे रहते थे, क्योंकि उनकी प्रथम पंक्ति उनकी चर्या और त्याग था।लोगों ने यह पहचाना कि वह साधारण कवि नही बल्कि अनूठा कवि है, महाराज जी एक पेड़ है जिस पर हम सब चिड़िया आकर सुखद अनुभव करते है,

उपस्थित जनसमुदाय को यंग जैन अवार्ड की यात्रा पर आधारित विडियो दिखाया गया. अवार्डियों से जीवन में कभी व्यसन न करने का संकल्प पत्र भी भराया गया। अंत में जय जिनेन्द्र के गान का गुणगान करते हुए मैत्री समूह के सभी सदस्यों ने सभी अवार्डी, उनके माता-पिता एवं आमंत्रित अतिथियो से मंच से हाथ जोड़ कर क्षमा याचना की गई । सीनियर अवार्डी योगेंद्र जैन, लंदन ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस मुख्य सम्मान समारोह का संचालन श्री राजेश बड़कुल, छतरपुर एवं श्रीमती आभा जैन कॉमर्शियल टैक्स ऑफिसर जबलपुर ने बखूबी किया।
10 अक्टूबर को सम्मानित प्रतिभाएं पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शनाथ भोपाल ले जाया गया ।

सभी ने पुज्य आचार्य भगवन के दर्शन, पूजन, आहारचर्या का लाभ लिया, तथा पुज्य आचार्य भगवन ने सभी अवार्डी बच्चों को खूब-खूब आशीर्वाद दिया।
संघस्थ मुनिराज श्री प्रसाद सागर जी, मुनि संभव सागर जी, मुनि सौम्य सागर जी, मुनि निश्चल सागर जी एवं अन्य मुनिराजो से अपनी समस्याओं का समाधान करते हुए अपने जीवन को अच्छा बनाने के लिए व्रत-नियम ग्रहण किये तथा खूब आशीर्वाद प्राप्त किया।

मैत्री समूह
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News in Hindi

भगवान ऋषभदेव की भक्ति में समर्पित भक़्तामर स्तोत्र के रचेता मानतूंग आचार्य जी की समाधि स्थली @ भोजपुर (20km from bhopal):) #Mangtung #BhaktamaraStotra #Bhaktamar #KshullakDhyansagar

Q.1: भक्तामर स्तोत्र की रचना किसने की थी तथा इस स्तोत्र का दूसरा नाम क्या है!, इस स्तोत्र का नाम "भक्तामर" क्यों पड़ा? यह कौन सी भाषा में लिखा गया है?

A.1:भक्तामर स्तोत्र के रचना मानतुंग आचार्य जी ने की थी, इस स्तोत्र का दूसरा नाम आदिनाथ स्रोत्र भी है, यह संस्कृत में लिखा गया है, प्रथम अक्षर भक्तामर होने के कारन ही इस स्तोत्र का नाम भक्तामर स्तोत्र पढ़ गया!!!

Q.2: भक्तामर स्तोत्र में कितने शलोक है तथा हर शलोक में कौन सी शक्ति निहित है, ऐसे कौन से 4 अक्षर है जो की 48 के 48 काव्यो में पाए जाते है?

A.2: भक्तामर स्तोत्र में 48 शलोक है, हर शलोक में मंत्र शक्ति निहित है, इसके 48 के 48 शलोको में "म" "न" "त" "र" यह चार अक्षर (Letter) पाए जाते है!

Q.3: भक्तामर स्तोत्र की रचना कौन से काल में हुई.? 11वी शताब्दी में राजा भोज के काल में या 7वी शताब्दी में राजा हर्षवर्धन के काल में?

A.3: वैसे तो जो इस स्तोत्र के बारे में सामान्य ये है की आचार्य मानतुंग को जब राजा हर्षवर्धन ने जेल में बंद करवा दिया था तब उन्होंने भक्तामर स्तोत्र की रचना की तथा 48 शलोको पर 48 ताले टूट गए! अब आते है इसके बारे में दुसरे तथा ज्यादा रोचक तथा पर,जिसके अनुसार आचार्य मान तुंग जी ने जेल में रहकर में ताले तोड़ने के लिए नहीं अपितु सामान्य स्तुति की है भगवन आदिनाथ की तथा अभी 10 प्रसिद्ध विद्वानों ने ये सिद्ध भी किया प्रमाण देकर की आचार्य श्री जी राजा हर्षवर्धन के काल ११वी शताब्दी में न होकर वरन 7वी शताब्दी में राजा भोज के काल में हुए है तो इस तथा अनुसार तो आचार्य श्री 400 वर्ष पूर्व होचुके है राजा हर्षवर्धन के समय से!

Q.4: भक्तामर स्तोत्र का अब तक लगभग कितनी बार पदानुवाद हो चूका है! तथा इतनी ज्यादा बार इस स्तोत्र का अनुवाद क्यों हुआ तथा यह इतना प्रसिद्ध क्यों हुआ जबकि संसार में और भी स्तोत्र है!

A.4: भक्तामर स्तोत्र का अब तक लगभग १३० बार अनुवाद हो चूका है बड़े बड़े धार्मिक गुरु चाहे वो हिन्दू धर्मं के हो वो भी भक्तामर स्तोत्र की शक्ति को मानते है तथा मानते है भक्तामर स्तोत्र जैसे कोई स्तोत्र नहीं है! अपने आप में बहुत शक्तिशाली होने के कारन यह स्तोत्र बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुआ! यह स्तोत्र संसार का इकलोता स्तोत्र है जिसका इतने बार अनुवाद हुआ जो की इस स्तोत्र की प्रसिद्ध होने को दर्शाता है!

Q.5: क्या आप संस्कृत का भक्तामर स्तोत्र पढ़ते है तथा सही उच्चारण करते है? यहाँ तक की अनुराधा पौडवाल ने जो भक्तामर स्तोत्र को गया है उसमें भी कुछ संस्कृत सम्बन्धी गलतिया है!

A.5: अगर आप सही उच्चारण करना सीखना चाहते है तो आप भक्तामर स्तोत्र जो क्षुल्लक ध्यानसागरजी महाराज ने गया है तथा जिसको Edit करके बादमें Music डाल दिया गया है, http://library.jain.org/3.Bhajan/Strotra/Bhaktamar/ShriBhaktamarJi.mp3 वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते है

ये लेख क्षुल्लक ध्यानसागरजी महाराज (आचार्य विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित शिष्य) के प्रवचनों के आधार पर लिखा गया है!टाइप करने में मुझसे कही कोई गलती हो गई हो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ! -Admin of https://www.facebook.com/VidyasagarGmuniraaj/

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