09.10.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 09.10.2016
Updated: 05.01.2017

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❖ तीर्थंकर भगवान हमेशा निःशस्त्र और निर्वस्त्र ही रहते हैं, फिर भी वे निर्भय रहते हैं, क्योकि उनके आसपास के 2500 किलोमीटर डायमीटर के क्षेत्र में रहने वाले सभी जीवों के किसी भी अन्य जीव को भी मारने के भाव ही उपजते नहीं हैं.
जब भगवान समवशरण में विराजमान होते हैं, तब चारों दिशाओं से 12 योजन या लगभग 150 किलोमीटर पहले से ही तीर्थंकर भगवान के लोगों को दर्शन होने लगते हैं #Ellora #Cave #AncientJainism

तीर्थंकर भगवान समवशरण में केवलज्ञान प्राप्त करने के बाद बोलते नहीं हैं. फिर भी उनके शरीर के माध्यम से ॐ की ध्वनि सुनाई देती है और उसमें पूछने वाले सभी मनुष्य, पशु-पक्षी आदि तिर्यंच और स्वर्ग के देवों के सभी प्रश्नों के उत्तर उनकी अपनी-अपनी 700 तरह की भाषाओं में मिल जाते हैं. हमको भी सभी प्रश्नों के उत्तर हमारी अपनी ही भाषा में मिल जाते हैं. इसी को भगवान का उपदेश कहा जाता है. जब हम समवशरण में जाते हैं, तब हमको भगवान के पीछे के भामंडल में हमारे तीन पूर्व के भव, एक वर्तमान का भव और तीन आगे आने वाले भव; इस तरह कुल सात भव दिखते हैं. साथ ही हमारे सभी प्रश्नों के उत्तर भी मिल जाते हैं.

इस तरह हम वहां से पूर्ण संतुष्ट होकर ही बाहर आते हैं. अधिकांश बार तो वहां पर हम सभी भगवान के इस अतिशय या चमत्कार को देखने और अपने भविष्य को जानने के लिए ही गये थे. यह हमारे देश में जो सात जन्मों का बंधन कहा जाता है, वह भी चूँकि भगवान के समवशरण में हर एक व्यक्ति को उसके सात जन्म दिखते हैं, इसलिए यह कथन प्रचलित हो गया है कि सात जन्मों का बंधन होता है. इस तरह तीर्थंकर भगवान सभी जीवों को उनके सच्चे धर्म से, सात्विक वृत्तियों से उनका परिचय करवाते रहते हैं

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❖ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा... #Mobile जो आप मोबाईल का उपयोग कर रहे हो, इसमें से निकलने बाली घातक किरणें आपके साथ साथ कुछ आकाश में विचरण करने बाले पंछियों के लिए भी नुक्सानदायक हैं। चिड़िया संघी पंचिन्द्रिय जीव होती है। एक अनुसंधान से पता चला है की मोबाइल के टावर से निकलने बाली किरणों से सबसे ज्यादा नुक्सान उनको हो रहा है और उनकी संख्या घटती जा रही है।

आप मोबाइल मंदिर परिसर में लेकर घुमते हो तो अहिंसा धर्म का घात होता है। आप कम से कम मंदिर में उपयोग न करने का संकल्प तो ले ही सकते हैं ताकि अनावश्यक हिंसा से बच सकें। गर्भवती महिलाओं पर भी इसका दुष्प्रभाव होता है और आने बाले बच्चे के लिए विकास में भी इसकी किरणे घातक सिद्ध होती हैं।
उन्होंने कहा कि जब एक्सरे का निर्माण हुआ तो उससे भीतर की बीमारियां पता लगाईं जाती हैं। जो भीतर की बीमारियां आपको ज्ञात नहीं हो पाती हैं ऐंसे ही मोबाइल से आपके भीतर बीमारियां पनप रही हैं जो आपको दिखाई नहीं देती हैं। आज विज्ञान जगत में जो सूक्ष्म अविष्कार हो रहे हैं बो भविष्य में विकराल रूप धारण कर सकते हैं और मानव जीवन के लिए ख़तरा सिद्ध हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आज कृषि के क्षेत्र में भी विज्ञान के द्वारा कीटनाशक के नए प्रयोग हो रहे हैं जिनके दुष्प्रभाव आपके शरीर पर हो रहे हैं ।नए नए प्रयोगों से बातावरण दूषित हो रहा है । कीटनाशक भारतीय संस्कृति नहीं है बल्कि कीटनिरोधक भारतीय संस्कृति है। आज ऐंसी खाद भी बनाई जा रही है जिसे डालने से मौसम के जो कीट होते हैं बो खेत में पनप ही नहीं पाते हैं,इसको प्रोत्साहित हो भोपाल ।जो आप मोबाईल का उपयोग कर रहे हो,इसमें से निकलने बाली घातक किरणें आपके साथ साथ कुछ आकाश में विचरण करने बाले पंछियों के लिए भी नुक्सानदायक हैं ।

उन्होंने कहा कि अपने राष्ट्र के भविष्य के निर्माता बच्चे हैं उन्हें प्रदूषित बातावरण से मुक्त कर अच्छी दिशा का बोध कराना आप सभी का कर्तव्य है। आज डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ खिलाकर आप बच्चों के मानसिक और बौद्धिक विकास से कुठाराघात कर रहे हो। जब तक शुद्ध और पौष्टिक आहार अपने बच्चों को देना प्रारम्भ नहीं करोगे तब तक उनकी बुद्धि का विकास रुका रहेगा।

उन्होंने कहा की आज कृषि उत्पादन में फल,सब्जी, अनाज के साथ अंडा उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन को भी सम्मिलित करना राष्ट्र का दुर्भाग्य है। आज कृषि प्रधान भारत में असली कृषि को पीछे धकेल कर मांस उत्पादनों को बढाबा देना कृषि के साथ कुठाराघात है । इस बिषय में सभी को चिंता के साथ सोचना होगा तभी अहिंसा धर्म को जीवित रखा जा सकता है।

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Shocking News* जैन समाज के गौरव पण्डित श्री रतन लाल जी बैनाड़ा जी को कल शाम 4बजे ह्रदय का दौरा (HEART ATTACK) हुआ । हाल ही में उन्होंने 2 प्रतिमा के व्रत लिए हैं आचार्य श्री विद्यासागर जी से ।। वर्तमान में वह जयपुर के SMS होस्पिटल में भर्ती हैं, हम सब यहीँ कामना करते हैं पंडित श्री का स्वास्थ जल्द से जल्द अच्छा हो और युगों युगों तक धर्म प्रभावना करते रहे ।

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