26.09.2016 ►Acharya Mahashraman Ahimsa Yatra

Published: 26.09.2016
Updated: 27.09.2016

अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति

‘सर्वधर्म समभाव सम्मेलन’ से निकला शांति और सौहार्द का मंत्र

-अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का प्रथम दिन सर्वधर्म सम्मेलन का हुआ आयोजन
-सभी धर्मगुरुओं ने कहा ईश्वर एक, सभी धर्मों का हो सम्मान, सर्वस्व हो शांति की स्थापना
-आचार्यश्री ने कहा अणुव्रत देता है मानवता का संदेश, हर प्राणी के प्रति हो प्रेम
-धर्मगुरुओं ने अहिंसा यात्रा को बताया शांति की स्थापना के लिए आवश्यक


26.09.2016 गड़ल (असम)ः कहा जाता है ‘मजहब नहीं सीखाता आपस में बैर रखना’। मजहबी बैर को मिटाने, आपसी प्रेम-भाईचारा बढ़ाने, जन-जन में सद्भावना की चेतना जागृत करने व विश्व में शांति और सौहार्द की स्थापना करने के उद्देश्य से सोमवार को चतुर्मास प्रवास स्थल परिसर में स्थित ‘वीतराग समवसरण’ प्रवचन पंडाल में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के प्रथम दिन ‘सर्वधर्म समभाव सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। इसमंे विभिन्न धर्मों के धर्मगुरु उपस्थित होकर सभी धर्मों का आदर करने व आपसी सौहार्द व शांति बनाने का संदेश लोगों को प्रदान किया। आचार्यश्री ने सभी धर्मगुरुओं को अणुव्रत के नियम और अहिंसा यात्रा के संकल्पों से अवगत कराया तो सभी धर्मगुरुओं ने शांति की स्थापना के लिए अहिंसा यात्रा को आवश्यक बताया।
लगभग सवा नौ बजे अणुव्रत की गीत से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। ‘अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह’ के संयोजक श्री राजकरण बुच्चा ने उपस्थित धर्मगुरुओं का स्वागत किया। कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे सिक्ख समाज के मुख्य ग्रंथी भाई रणजीत सिंह जी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी धर्म समान हैं। सभी मानव हैं। सभी धर्मग्रंथ यहीं संदेश देते हैं कि हे इंसान! तू परमात्मा को नित्य याद कर। सभी इंसान उसी परमात्मा की संतान हैं, तू सबसे प्रेम करना सीखो। उन्होंने कहा कि कुछ धर्म के ठेकेदार धर्म के नाम पर दंगा-फसाद को बढ़ावा देेते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। सभी को प्रेम और सौहार्द के साथ रहना चाहिए। इमाम अब्दुल माजिद ने कहा कि सभी को एक ही अल्लाह ने बनाया है। पैगम्बर मोहम्मद साहब ने कहा कि सबसे प्रेम व इंसानियत के साथ रहो। किसी के साथ बैर भाव मत रखो, किसी को दुश्मन मत समझो। उन्होंने आचार्यश्री की अहिंसा यात्रा को सराहा और कहा कि मैं आपका खुशामदीद करता हूं कि आप भारत के पूर्वोत्तर हिस्से में अहिंसा यात्रा लेकर आए हैं। यह यात्रा लोगों मंे इंसानियत संदेश दे और विभिन्न फूलों वाले इस गुलिस्ते में सभी फूलों को संजोने में भागीदार बने।
इसके उपरान्त फादर जाॅन मोलाचिरा ने कहा कि मुझे बहुत प्रसन्नता की आचार्यश्री महाश्रमणजी की सन्निधि में सर्वधर्म समभाव सम्मेलन का आयोजन किया और मुझे में भी इसमें सहभागी बनाया गया। ईश्वर एक है और सभी को मिलजुलकर रहना चाहिए। जैसे शरीर के लिए हर अंग आवश्यक है वैसे ही इस दुनिया के लिए प्रत्येक व्यक्ति आवश्यक है। इसलिए सभी धर्म व लोगों का सम्मान करना चाहिए और आपस में शांति और सौहार्द के साथ रहें। उन्होंने भी आचार्यश्री की इस अहिंसा यात्रा की सराहना की और इससे लोगों को शांति की प्रेरणा मिले, इसकी कामना की।
मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी ने एक कविता के माध्यम से अपने वक्तव्य का शुभारम्भ करते हुए कहा कि आदमी को आदमी बनाने के लिए आचार्य तुलसी ने अणुव्रत के रूप में एक प्रकल्प आरम्भ किया था। अणुव्रत आंदोलन के नियम जन-जन में मानवता को जागृत करने वाले संदेश देते हैं। इस आन्दोलन का समर्थन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू व भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने अणुव्रत आंदोलन को मानव समाज के लिए आवश्यक बताया। आचार्य तुलसी ने मुम्बई में जब फादर
चन्दन पाण्डेय
विलियम्स के पास अपने शिष्यों को इसाई धर्मग्रन्थों में लिखी गई बातों की जानकारी लेने के लिए पहुंचा तो फादर आश्चर्यचकित हुए और वे खुद आचार्यश्री से मिलने के लिए पहुंचे। बाद वे अणुव्रत के संकल्पों को स्वयं स्वीकार किया और आजीवन अहिंसा का व्रत स्वीकार कर लिया। यहीं नहीं जहां भी गए अणुव्रत के नियमों से लोगों को अवगत कराया और मानव जाति के लिए उन नियमों के महत्त्व को भी बताया। अणुव्रत के माध्यम से सर्वधर्म समभाव की प्रेरणा मिलती है। हमारे वर्तमान आचार्य भी अहिंसा यात्रा के माध्यम से लोगों को मानवता का संदेश देने के लिए ही निकले हैं। जन-जन को संदभावना और नैतिकता का संदेश देकर लोगों को सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं। आचार्यश्री का यह प्रयास अतुलनीय है। इसे समझने का प्रयास करना चाहिए।
अहिंसा, सद्भावना और सत्य लगभग सभी धर्मो में मान्य: अणुव्रत अनुशास्ता
अणुव्रत अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि आदमी स्वयं सत्य की खोज करे और सभी प्राणियों के साथ मैत्री करे। भारत एक ऐसा देश जहां, विभिन्न जातियां, धर्म, समुदाय, बोली और भाषा के लोग हैं। जहां विभिन्नता होती है वहां कुछ कठिनाइयां भी हो सकती हैं, लेकिन भिन्नता का अपना उपयोग भी है। भिन्नता द्वेष और हिंसा का कारण न बने, इसका प्रयास करना चाहिए। गाय अनेक रंगों की होती है लेकिन सभी के दूध का रंग सफेद ही होता है उसी प्रकार आदमी के भिन्न रंग, बोली भाषा और जाति हो सकती है लेकिन सभी के खून का रंग लाल होता है। धर्म अनेक हो सकते हैं लेकिन सभी के सिद्धान्तों में समानता प्राप्त होती है। अहिंसा, मैत्री, सद्भाव, सच्चाई और प्रेम के सिद्धान्त सभी में प्राप्त हो सकते हैं। जब सभी धर्म अहिंसा और सत्य की बात करते हैं तो आदमी को भी इसका ध्यान रखना चाहिए। आदमी मंे सत्य, अहिंसा, सद्भावना, सौहार्द और नैतिकता तो उसके जीवन का कल्याण हो सकता है। आचार्यश्री ने संप्रदाय को एक लाइसेंस बताया और अहिंसा, सत्य और सौहार्द मुख्य सिद्धान्त है और इसे जीवन में आए बिना कल्याण होना संभव नहीं हो सकता। सभी धर्मगुरु यदि अपने अनुयायियों को सौहार्द, सच्चाई और अहिंसा संदेश दें तो सौहार्दपूर्ण वातावरण कायम हो सकेगा। मनुष्य ही नहीं पशु, पक्षी ही नहीं सभी प्राणियों और प्रकृति के प्रति भी अहिंसा की भावना होनी चाहिए।
आचायश्री ने उरी के शहीदों के प्रति की मंगलकामना
आचार्यश्री ने उरी में मारे गए सैनिकों की आत्मा के लिए आध्यात्मिक विकास की मंगलकामना भी की। धर्म से जुड़ें जनता खुद भी शांति मंे रहे और दूसरों को भी शांति से रहने दे ऐसा प्रयास होना चाहिए। अंत मंे आचार्यश्री ने सभी धर्मगुरुओं से विभिन्न विषयों पर चर्चा की और अहिंसा यात्रा व जैन साधुचर्या से अवगत कराया।
अणुव्रत समिति गुवाहाटी के अध्यक्ष श्री निर्मल श्यामसुखा, कार्यक्रम के संयोजक श्री राजकरण बुच्चा, मंत्री श्री बजरंग बैद, श्री सुबोध कोठारी, श्री बजरंग डोशी व श्री छत्तर सिंह चोरड़िया ने कार्यक्रम में पहुुंचे धर्मगुरुओं को साहित्य भेंट कर सम्मानित किया।
चन्दन पाण्डेय

Sources

I Support Ahimsa Yatra
I Support Ahimsa Yatra

Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Acharya Mahashraman
          • Ahimsa Yatra
            • Share this page on:
              Page glossary
              Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
              1. आचार्य
              2. आचार्य तुलसी
              3. भाव
              Page statistics
              This page has been viewed 602 times.
              © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
              Home
              About
              Contact us
              Disclaimer
              Social Networking

              HN4U Deutsche Version
              Today's Counter: