25.09.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 25.09.2016
Updated: 05.01.2017

Update

❖ पोदनपुर -ओ ऋषभ देव के लाडले,पोदनपुर के महाराजा । #Bahubali #Bharat #Podanpur #Gomteshwara

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#Jainism #JainDharma #Jainsadhu #Jainsaint #Digambara #Nirgranth #Tirthankara #Adinatha #Mahavira #Rishabhdev #Acharyashri #Vidyasagar #Kundkund #Shantisagar

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शंका समाधान - 25 Sept.' 2016
======================

१. मनुष्य अपने जीवन में जो भी करता है वो उसको दायित्व मानकर करना चाहिए, कर्ता मानकर नहीं!

२. ये भारत की शिक्षा प्रणाली की कमी है आजकल की शिक्षकों को सबसे कम महत्व दिया जाता है जबकि होना उल्टा चाहिए! शिक्षक देश के भविष्य निर्माण का कार्य करते है, उसका कार्य तो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है!

३. धर्म में आगे बढ़ने के लिए धर्म के मार्ग पर बस चलना शुरू कर दीजिये, अपने आप आगे बढ़ते रहेंगे! एक एक step करके बढ़ते रहिये!

४. घर परिवार के धार्मिक लोगो को बाकी सदस्यों के ऊपर धर्म थोपने का काम नहीं करना चाहिए! आप भावना भाएँ की सभी खूब धर्म करें और आप खुद धर्म को अपने में आत्मसात करें और अपने आचरण को ऐसे उत्कृष्ट बनायें की बाकी लोग अपने आप धर्म की तरफ आकृष्ट हो! केवल क्रियायों को धर्म मानने से काम नहीं चलेगा!

५. आज के समय में सबसे बड़ी आवश्यकता है - नारीत्व की सुरक्षा! जब नारी में नारीत्व गुण सुरक्षित है तो धर्म भी अपने आप सुरक्षित हो जायेगा, इस दिशा में महिलाओं को सोचना चाहिए! महिलाओं से घर, घर से समाज और समाज से राष्ट्र बनता है!

६. जीवन में उदारता और सहिष्णुता अपना ले तो जीवन सरल हो जायेगा!

७. धार्मिक क्रियाओं को करने वाले व्यक्ति के सामने अगर किसी पर अत्याचार हो रहा हो और समर्थ होने के बाद भी वह उस शोषित व्यक्ति की सहायता नहीं करता तो ऐसे असंवेदनशील व्यक्ति के ह्रदय में धर्म का अंकुर नहीं फल सकता!

८. भगवान् की भक्ति में लागो (लघुता) भाव प्रकट किया जाता है! अगर भगवान् जी के सामने जाकर ये कहने लगे की आप और हम समान हैं तो भक्ति ही कहाँ रही!!

- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज

शंका समाधान - 25 Sept.' 2016
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१. मनुष्य अपने जीवन में जो भी करता है वो उसको दायित्व मानकर करना चाहिए, कर्ता मानकर नहीं!

२. ये भारत की शिक्षा प्रणाली की कमी है आजकल की शिक्षकों को सबसे कम महत्व दिया जाता है जबकि होना उल्टा चाहिए! शिक्षक देश के भविष्य निर्माण का कार्य करते है, उसका कार्य तो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है!

३. धर्म में आगे बढ़ने के लिए धर्म के मार्ग पर बस चलना शुरू कर दीजिये, अपने आप आगे बढ़ते रहेंगे! एक एक step करके बढ़ते रहिये!

४. घर परिवार के धार्मिक लोगो को बाकी सदस्यों के ऊपर धर्म थोपने का काम नहीं करना चाहिए! आप भावना भाएँ की सभी खूब धर्म करें और आप खुद धर्म को अपने में आत्मसात करें और अपने आचरण को ऐसे उत्कृष्ट बनायें की बाकी लोग अपने आप धर्म की तरफ आकृष्ट हो! केवल क्रियायों को धर्म मानने से काम नहीं चलेगा!

५. आज के समय में सबसे बड़ी आवश्यकता है - नारीत्व की सुरक्षा! जब नारी में नारीत्व गुण सुरक्षित है तो धर्म भी अपने आप सुरक्षित हो जायेगा, इस दिशा में महिलाओं को सोचना चाहिए! महिलाओं से घर, घर से समाज और समाज से राष्ट्र बनता है!

६. जीवन में उदारता और सहिष्णुता अपना ले तो जीवन सरल हो जायेगा!

७. धार्मिक क्रियाओं को करने वाले व्यक्ति के सामने अगर किसी पर अत्याचार हो रहा हो और समर्थ होने के बाद भी वह उस शोषित व्यक्ति की सहायता नहीं करता तो ऐसे असंवेदनशील व्यक्ति के ह्रदय में धर्म का अंकुर नहीं फल सकता!

८. भगवान् की भक्ति में लागो (लघुता) भाव प्रकट किया जाता है! अगर भगवान् जी के सामने जाकर ये कहने लगे की आप और हम समान हैं तो भक्ति ही कहाँ रही!!

- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज

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Live Pravachan Picture @ Bhopal.. Acharya Shri Entire sangh!!!:) ब्रह्मचर्य के धारी गुरुवर, करते तप दिन रात.. गुरुवर तारण तरन जहाज़

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❖ साधू का दिगम्बरत्व [ नग्नता ] रूप साधना का एक उत्कृष्ट रूप है, विकार और दुर्बलता रहित है! -मुनि प्रमाणसागर जी #Pramansagar #Tarunsagar #Pramanik #ShankaSamadhan

चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज " ने एक बार जब हैदराबाद (जहाँ मुसलमान शासन था) की तरफ विहार किया तब वहाँ के निजाम ने आचार्य श्री की चर्या सुनकर अपनी बेगमों के साथ उनकी आरती उतारी! और कुछ लोगों के आपत्ति करने पर निजाम ने जो उत्तर दिया वो इतिहास बन गया! उन्होंने कहा की - " हमारे देश में नंगों पर प्रतिबन्ध है, फरिश्तों पर नहीं और ये एक फ़रिश्ते हैं "! - मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज

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News in Hindi

Yesterday Parasnath Tonk Picture:) भाव सहित बंदे जो कोई, ताही नरक पशु गति ना होई!! उसके लिए खुल जाए रे सीधा स्वर्ग का द्वारा.. #SammedShikhar #Parasnath #shikharji

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🌸एक बार सब सज्जन जरूर पढे....
🙏🏻★इस काल के सब के महान तपस्वी *आचार्य श्री सन्मति सागरजी महाराज* के त्याग की कथा★🙏🏻

◆ गुरुदेव श्री १०८ आचार्य सन्मतिसागर महाराज भोजन नहीं करते थे.
वे ४८ घंटो में एक बार मट्ठा और पानी लेते थे.
आपने आचार्य १०८ महावीर कीर्ति जी महाराज से 18 साल की आयु में ब्रहमचर्य व्रत लेते ही *नमक का त्याग* कर दिया.

सन 1961 में (मेंरठ) में आचार्य विमलसागर महाराज से छुलक
दीक्षा लेते ही *दही,तेल व घी का त्याग* कर दिया था.
सन 1962 में मुनि दीक्षा लेते ही आपने *शकर का भी त्याग* कर दिया
सन 1963 में आप ने *चटाई का भी त्याग* कर दिया और
सन् 1975 में आपने *अन्न का भी त्याग* कर दिया.
सन 1998 में उन्होंने *दूध का भी त्याग* कर दिया.
सन 2003 में उदयपुर में मट्ठा और पानी का अलावा *सबका त्याग कर दिया*

उन्होंने रांची में 6 माह तक और इटावा में 2 माह तक *पानी का भी त्याग किया*.

*उन्होंने अपने एक चातुर्मास में 120 दिनों में केवल 17 दिन आहार लिया*.दमोह
चातुर्मास में उन्होंने एक आहार एक उपवास फिर दो उपवास
एक आहार तीन उपवास एक आहार.........
इस तरह बढते हुए, 15 उपवास एक आहार, 14 उपवास एक
आहार, 13 उपवास एक आहार........... से करते करते एक
उपवास एक आहार, तक पहुच कर 🌸*सिंहनिष्क्रिदित* महा कठिन
व्रत किया 🌸
उन्होंने अपने 49 साल के तपस्वी
*जीवन में लगभग 9986 उपवास किये*
🤔
*लगभग 27.5 सालो से भी अधिक उपवास किये*

आपके बारे में आचार्य 108 पुष्पदंत सागर महाराज ने यहाँ तक कहा है
की महावीर भागवान के बाद आपने ने इतनी तपस्या की है🙏🏻

सन1973 में उन्होंने शिखरजी की *निरंतर 108 वंदना की थी*😳

वे भरी सर्दियों में भी चटाई नहीं लेते थे.

गुरुदेव 24 घंटो में *केवल 3 चार घंटे ही विश्राम करते थे*
वे पूरी रात तपस्या में लगे रहते थे.

उन्होंने समाधी से 3 दिन पहले उपवास साधते हुए लोगो का
कहने का बावजूद आपना आहार नहीं लिया.

अपनी समाधी से पहले दिन यानि
23-12-10 को आपने अपने शिष्यों को पढ़ाया और शाम को

*अपना आखरी प्रवचन भी समाधी पर ही दिया* और सुबह 5.50
बजे आपने अपने आप पद्मासन लगाया भगवन का मुख
अपनी तरफ करवाया और अपने प्राण 73 वर्ष की आयु में 24-12-10 को आँखों से छोड़ दिए.

*ऐसे तपस्वी सम्राट को मेरा कोटि कोटि नमन*...👏👏👏👏👏

जयकारा गुरुदेव का जय जय गुरुदेव🙏🏻

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