07.09.2016 ►Muni Saurabh Sagar Ji Maharaj ►News

Published: 07.09.2016
Updated: 07.09.2016

News in Hindi

दूसरा धर्म: उत्तम मार्दव

मद में फूल नहीं जाना तुम, मान नहीं सुख का दाता
मार्दव धर्म का पालन कर लो, पाने को अक्षय सुख साता
बलशाली रावण को देखो, मानवश स्व पतन किया
अपने ही हाथो से उसने अपना जीवन ख़त्म किया ।।
(- मुनि श्री सौरभ सागर द्वारा रचित श्लोक)

-: प्रवचन के अंश:-

जब तक व्यक्ति के भीतर अहंकार रहेगा तब तक उसका ओमकार से परिचय नहीं हो सकता ।
महावीर ने कहा है की पहले दिन तुमने क्रोध को मिटाया है, अब मान को मिटाओ।
क्रोध से सब डरते हैं और मान सबसे डरता है अर्थात क्रोधी के पास कोई जाना नहीं चाहता और मानी किसी के पास जाना नहीं चाहता।

यदि एक बीज मैं को मिटा के मिट्टी के भीतर मिल जाता है तो एक वृक्ष को जन्म देता है जो हज़ारो को छाया और भोजन देता है
अगर वो स्वाभिमान में रहेगा तो केवल किसी एक का ही पेट भर सकता है
और यदि वह अकड़ में अलग पड़ा रहेगा तो उसने घुन लग जाता है अंदर का अनाज समाप्त हो जाता है और केवल छिलका शेष रह जाता है।
आज उत्तम मार्दव के दिन अपने अंदर की मैं को मार कर एक वृक्ष बनने की चेष्टा कर अपने जीवन में ओमकार से परिचित होवें।

- मुनि श्री सौरभ सागर जी महाराज के आज के प्रवचन से.

।।जय जिनेंद्र ।।

- सौजन्य से - अंकुर जैन (सेक्टर ११ रोहिणी)

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Sources

Sourabh Sagar Ji Maharaj
Muni Saurabh Sagar Ji Maharaj

Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Muni Saurabh Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. महावीर
          2. सागर
          Page statistics
          This page has been viewed 1074 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: