01.09.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 01.09.2016
Updated: 05.01.2017

Update

today exclusive @ मंगल प्रवचन *(आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज) 1 सितम्बर 2016

नदी में बाढ़ आती है, बाढ़ उसे बोलते हैं जिसमें पानी का वेग होता है जिसमें सब कुछ बेहतर जाता है ।" उक्त उदगार पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने आज 1 सितम्बर को आयोजित प्रवचन में व्यक्त किये

_आचार्य श्री ने कहा की बाढ़ के वेग में अच्छे अच्छे कुशल नाविक भी घबराया जाया करते हैं,पानी के वेग में उशी दिशा में बहना पड़ता है नदी को हम कुशलता पूर्वक पार कर सकते हैं ऐंसे ही कर्मों का वेग है जिसमें हमको उसी की गति के अनुसार बहना पड़ता है । जब कर्मों का वेग धीमा होता है उस समय हम अपना पुरुषार्थ कर सकते हैं।

_आचार्यों ने कहा है की जब भूख न लगी हो तो किसी को जोर जबरदस्ती से खिलाया नहीं जा सकता । ऐंसे ही जब नदी के बेग की भांति कर्मों की धीमी गति होने पर आत्मा को ज्ञान का डोज दिया जा सकता है । जब कर्मों का तीव्र उदय होता है कुछ नहीं किया जा सकता ज्ञानी व्यक्ति कर्मों की रफ़्तार को धीरे होने की प्रतीक्षा करता है । गुणवत्ता बाली बस्तु को सभी पसंद करते हैं और प्राथमिकता उसे ही देते हैं परंतु कभी कभी विज्ञापन के प्रभाव में गुणवत्ता का आभाव हो जाता है और कम गुण बाली बस्तु से संतुष्ट होना पड़ता है। आज विज्ञापन का इतना जोर है है क़ि समाचारपत्रों में विज्ञापन की अधिकता के कारण ख़बरों की गुणवत्ता कम हो जाती है । कोई भी निष्कर्ष तभी निकलता है जब हम गुणवत्ता को अच्छे से परख लेते हैं । कुशल तैराक भी बाढ़ में बेह जाता है उसी प्रकार आप लोग भी विज्ञापन की बाढ़ में बह रहे हो।_

_उन्होंने कहा कि लोहे को बैसे आसानी से नहीं मोड़ा जा सकता परंतु अग्नि के निमित्त से उसे किसी भी रूप में ढाला जा सकता है इसी प्रकार आत्मा को भी पुरुषार्थ से अच्छे रूप में ढाला जा सकता है। आचार्यों ने कहा है की ऐंसे वातावरण में रहना चाहिए जहाँ कषाय का वेग उत्पन्न न हो । आपकी कषायों की वेग आपके नियंत्रण से बहार होती है इसलिए पहले इसे नियंत्रित करें,अंकुश लगाएं। आत्मा अनंतकाल से कषायों की वेग की वजह से नियंत्रित नहीं हो पा रही है।पुरुषार्थ की भूमिका बनाने के लिए आचार्यों ने इसीलिए प्रेरित किया है। एक बार में कोई भिखारी नहीं बनता बल्कि धीरे धीरे काम बनते हैं और प्रयासों से बनते हैं,भूमिका बनाने की आवश्यकता है, चिंतन की आवश्यकता है और उसके साथ ही अपने आदर्शों के जीवन को सामने रखकर काम में जल्दी सफलता मिलती है । महापुरुषों ने सभी तूफानों,बाढ़ोंं और वेगों में अपने पुरुषार्थ से सामना करके उन्हें दरकिनार किया है । जो आदर्श वादी जीवन हमारे पूर्वजों ने जिया है बही हमें संघर्षों के लिए प्रेरित करता है । उनके अनुभव्, सूझबूझ, संकल्प, दृढ़ता उनकी अनुपस्थिति में भी हमारे काम आ रही है, उनके विचार, उनके द्वारा बताए गए संकेत और सूचनाएं हमारे लिए पथ प्रदर्शक का काम कर रही हैं।_

_उन्होंने कहा क़ि अध्यात्म का आनंद तभी आता है जब हम उसमें गोते लगाने का मन बनाते हैं। संयम के मार्ग पर चलने से ही मीठे फल की प्राप्ति होती है इसलिए आप लोग धीरे धीरे इस मार्ग का अनुशरण करते जाएँ । साबधानी पूर्वक चलते जाएँ वातावरण आपके अनुकूल स्वयं ही निर्मित होता जायेगा । अच्छे मार्ग का अनुकरण करने पर ही मंजिल को पाया जा सकता है। जो प्रवाह है, परंपरा है उसकी गति रुकनी नहीं चाहिए निरंतर चलायमान रहें पीछे लौटने का उपक्रम न करें।

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दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शन करने पधारे 2 महीने पूर्व BJP अध्यक्ष श्री अमित शाह तथा मध्य प्रदेश के CM श्री शिवराज सिंह चौहान #vidyasagar #Jainism #tarunsagar #Digambara #tirthankara #BJP #Amitshah #Shivrajsingh #Kundalpur

साधू का दिगम्बरत्व [ नग्नता ] रूप साधना का एक उत्कृष्ट रूप है, विकार और दुर्बलता रहित है! -मुनि प्रमाणसागर जी

चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज [ दिगम्बर नग्न साधु ] " ने एक बार जब हैदराबाद (जहाँ मुसलमान शासन था) की तरफ विहार किया तब वहाँ के निजाम ने आचार्य श्री की चर्या सुनकर अपनी बेगमों के साथ उनकी आरती उतारी! और कुछ लोगों के आपत्ति करने पर निजाम ने जो उत्तर दिया वो इतिहास बन गया! उन्होंने कहा की - " हमारे देश में नंगों पर प्रतिबन्ध है, फरिश्तों पर नहीं और ये एक फ़रिश्ते हैं "! - मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज

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Update

श्री नरेंद्र मोदी दिगम्बर जैन मुनि सुधासागर जी के दर्शन करते हुए --कौन कहता है जैन संत नंगे होते हैं? अरे अज्ञानियों, जैन संत तो दिगंबर होते हैं नंगे तो तुम अज्ञानी होते हो।क्या कभी किसी पागल नंगे को किसी ने नमस्कार किया है? नहीं ना।

लेकिन इसी देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने आचार्य देशभूषण महाराज से आशीर्वाद लिया था।

प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल ने भी आ. देशभूषण महाराज से आशीर्वाद लिया था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी श्वेत पिछीधारी आ. विद्यानंद जी से आशीर्वाद लिया था।
प्रधानमंत्री अटलविहारी जी ने भी आचार्यश्री विद्यासागरजी से आशीर्वाद लिया था।

बड़े-बड़े शीर्ष नेताओं ने समय-समय पर जैन संतों से आशीर्वाद लेकर अपना मनुष्य जीवन सार्थक किया है।

जो भी जैन संतों की बुराई करता है या उन्हें नंगा बोलता हैं उनके लिए खुली चुनौती है कि वे सिर्फ एक दिन
1. नंगे होकर सड़क पर निकल जाएं।
2. एक समय खाना-पानी लें।
३. नंगे पैर चलें।
4. बिना कोई कपड़ा बिछाए जमीन या तख्त पर सोकर दिखाएं।
5. तपती धुप में, बेहद सर्दी में और बारिश में चलकर और साधना करके दिखाएं । न पंखा, न एसी, न छाता, न कार। क्या आप एक घंटा भी सहन कर सकते है?

🕉यदि आप सच्चे गुरुभक्त हैं और आप मेरी बात से सहमत हैं तो अधिक से अधिक शेयर करें। #Sudhasagar #Narendramodi #Modi #Jainism #Digambara #tarunsagar #vidyasagar #PMModi

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दिगम्बर मुनि तरुणसागर जी के दर्शन ओर आशीर्वाद लेते श्री नरेंद्र मोदी #NarendraModi #Modi #tarunsagar #Digambara #Jainism

जैन धर्म को और जैन धर्म के सिद्धांतो को इस संसार मे जैन मुनि ही सच्चा चमत्कार हैं जो बालक जन्म से निवस्त्र होता है वैसा ही बालक स्वरूप जैन मुनि का होता है जैन मुनि वो होता है जिसने आपनी वासना को जीत लिया अब बताता हूं जैन मुनि की दिनचर्या की वो कैसे रहते हैं कैसे साधना करते हैं जैन मुनि 24 घंटे मे एक बार शुद्ध छने हुए जल से बना भोजन ग्रहण करते है जिसमे भी दाल रोटी सब्जी और ऐसा कोई पदार्थ नही लेते जिसमे जीवों की हिंसा हो वो भी अपने हाथों की अंजुली बनाकर उसके बाद अगर पानी भी पीना होगा तो 24 घंटे बाद ही आहार के समय मे ही पियेंगे जैन मुनि सर्दी गर्मी बरसात कुछ भी हो कभी भी चद्दर कंबल का उपयोग नही करते लकड़ी के पाटे पर बैठते और सोते हैं जैन मुनि को भारत वर्ष मे कहीं भी जाना हो तो पैदल ही चलते हैं अगर परिस्थिति विशेष स्वास्थ्य ठीक न हो तो wheelchair का उपयोग कर सकते हैं वो भी कोई उनका भक्त उसे हैंडिल करेगा मोटर गाड़ी का उपयोग नही करते 2-4 महीने मे एक बार अपने हाथों से अपने सिर के बाल चेहरे के बाल मूछ के बाल उखाड़ते हैं कोई कैंची ब्लेड का उपयोग नही करते ये है जैन मुनि की साधना जब एक बार नेहरू जी सीड़ीयो से उपर चड़ रहे थे तो उनका पैर फिसल गया तो संत विनोवा भावे ने सहारा देकर गिरने से बचाया तब नेहरू जी ने उनको धन्यवाद दिया जब संत विनोवा भावे ने कहा जब जब भारत की राजनीति लड़खड़ाएगी जब जब हम संत उसे सहारा देंगे राजनीति मे धर्म आ जाए तो देश की उन्नति जरूर होगी पर धर्म मे राजनीति नही आनी चाहिए

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