31.08.2016 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 31.08.2016
Updated: 31.08.2016

News in Hindi

लोच (केश - लोचन)

ये जैन धर्म की एक आम प्रथा है जहाँ दीक्षा मिलने के बाद साधू और साध्वी साल में एक या दो बार अपने बालों को अपने हाथों से तोड़ते है ।

इस प्रथा के माध्यम से जैन साधू सभी दुनिया से जुड़े सुखों का परित्याग करते है ।

भेद ज्ञान की उत्कृष्ट साधना है - *लोच* ।

भगवान महावीर ने *दस प्रकार* के मुण्डन बताएं है ।

*पांच इन्द्रियों* का मुण्डन ।
*चार कषाय* का मुण्डन,
*दसवां सिर* मुण्डन।

मुण्डन अर्थात् अपने इन्द्रिय, मन और शरीर पर विजय प्राप्त करके आत्मा में स्थिर होना ।

जैसे इन्द्र सुख का अनुभव करता है उसी प्रकार मनुष्य को शारीरिक सुखों के अनुभव के लिए प्रकृति ने पांच इन्द्रियां दी है ।

कान से श्रवण करना,
आंख से देखना,
नाक से सूंघना,
जिह्वा से भोजन करना और
स्पर्श से अनुकूल प्रतिकूल स्पर्श का अनुभव करना।

इन पांचों इन्द्रियों के अनुकूल विषय मिलने पर व्यक्ति को सुख अनुभव होता है । प्रतिकूल होने पर दुःख महसूस होता है । अगर दोनों में व्यक्ति समभाव में रहता है तो वो पांच इन्द्रियों का मुण्डन कर लेता है ।

इसी प्रकार क्रोध, मान, माया, लोभ में अगर वह समभाव रखता है, आवश्यकता पूरी न होने पर भी शान्त रहता है, अपमान मिलने पर भी स्वाभाविक स्थिति से बाहर नहीं जाता । किसी कपटभाव से छलने पर भी उसके साथ सरलभाव में रहता है । बहुत लाभ हो या हानि हो फिर भी समभाव में रहता है तो उसने चार कषायों का मुण्डन कर लिया ।

अन्तिम मुण्डन है सिर का मुण्डन ।

भगवान से पूछा गया कि जो लोच की परम्परा है इसका कोई आध्यात्मिक संबंध है या परम्परा मात्र है । भगवान ने फरमाया लोच का संबंध अध्यात्म से जुड़ा हुआ है । शरीर अलग है, आत्मा अलग है, इस भेद-ज्ञान की अनुभूति के साथ जो लोच करवाते है वे महान् कर्मों की निर्जरा करते है । और जो परम्परा मानकर मजबूरी में भी लोच करते है वे भी महान् पुण्य का उपार्जन करते है । अतः मन और शरीर से पार जाने की साधना है केश-लोंचन । भेद ज्ञान के साथ जो लोच करता है वह अपने अनंत कर्मों को क्षय करता है । लोच भेद ज्ञान के अनुभव एवं आत्मसात् की साधना है ।

Source: © Facebook

पॉलिटिक्स बीफ की, पॉलिसी बूचड़खाने की, RTI से सामने आया BJP सरकारों का हैरान करने वाला सच!
नई दिल्‍ली। बीफ को भारतीय राजनीति का केंद्रीय मुद्दा बना देने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिए आरटीआई के जरिए हुआ एक खुलासा असहज स्थिति पैदा कर सकता है। पता चला है कि देश में चल रहे डेढ़ हजार से भी ज्यादा बूचड़खानों में से अधिकतर बीजेपी शासित राज्यों में ही चल रहे हैं। भारत मांस निर्यात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया है जबकि अपनी चुनावी कैंपेन में ‘गुलाबी क्रांति’ को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तत्कालीन मनमोहन सरकार को घेरते नजर आते थे।
मुंबई में इस समय पर्यूषण पर्व को लेकर मीट और मछली की दुकानें बंद करा दी गई हैं लेकिन वही महाराष्ट्र देश में मांस उत्पादन में नंबर वन है और वहां सबसे अधिक बूचड़खाने चल रहे हैं। दिलचस्‍प बात यह है कि मांसाहार को लेकर नॉर्थ ईस्‍ट की ओर सबसे ज्यादा उंगलियां उठती हैं जबकि वहां सबसे कम स्‍लाटर हाउस हैं। जानकार इसे लेकर पार्टी और सरकार के रवैये पर सवाल उठा रहे हैं और इसे कथनी-करनी का अंतर करार देते हैं।
फरीदाबाद निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता रविंद्र चावला ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पशुपालन, डेयरी और मत्‍स्‍य पालन विभाग में आरटीआई डालकर पूछा था कि किस राज्‍य में कितने स्‍लॉटर हाउस हैं। उनमें पशुओं के काटने के नियम क्‍या हैं। इसका जो जवाब आया वह हैरान करने वाला था। क्योंकि मांसाहार को भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताने वाली भाजपा के शासन वाले राज्‍यों में सबसे ज्‍यादा स्‍लॉटर हाउस हैं। देश भर में कुल 1623 स्‍लॉटर हाउस बताए गए हैं जिनमें से 675 तो भाजपा के शासन वाले राज्‍यों में हैं। अकेले महाराष्ट्र में ही 316 कसाईखाने हैं। 285 इकाइयों के साथ यूपी दूसरे नंबर पर है लेकिन ऐसे टॉप टेन राज्यों में महाराष्ट्र को छोड़कर भाजपा शासित तीन और राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब शामिल हैं।
पुष्करवाणी गु्रप ने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सार्वजनिक रूप से बयान दे चुके हैं कि बीफ खाने वाले उनके राज्य में न आएं लेकिन 21 जिले वाले इस छोटे से राज्य में भी 36 बूचड़खाने चल रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह क्षेत्र गुजरात में भी 38 इकाइयों में पशुओं का मांस निकालने का काम किया जाता है। रवींद्र चावला का कहना है कि अपने आपको पशु प्रेमी बताने वाली पार्टी के शासन वाले राज्‍यों में सबसे ज्‍यादा स्‍लाटर हाउस की संख्‍या हैरान करती है। टॉप टेन राज्‍यों में चार भाजपा के ही हैं। दरअसल, सत्‍ता में बैठे लोगों की कथनी और करनी में भारी अंतर है।
सामाजिक कार्यों के लिए पदमश्री से सम्‍मानित ब्रह्म दत्त का कहना है कि हिंदुत्‍व के एजेंडे पर तो भाजपा सत्‍ता में आती है, कुर्सी मिलने के बाद बिजनेस हित देखती है इसीलिए वह कसाईखानों को बंद करने में नाकाम रही है। यह तो और ताज्‍जुब की बात है कि उनके शासन वाले राज्‍यों में स्‍लॉटर हाउस ज्‍यादा हैं जिनके संगठनों ने पशु वध को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा रखा है।

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गुरु पुष्कर जैन सेवा संस्थान द्वारा अभी तक के शिविर में लगभग 400 के आसपास नेत्र ऑपरेशन हो गए हे।

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